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मालदीव में हो रहे राष्ट्रपति चुनाव, लेकिन दांव पर भारत और चीन की साख?

मालदीव में हो रहे राष्ट्रपति चुनाव, लेकिन दांव पर भारत और चीन की साख?

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Maldives President Election & India – China Connection: मालदीव में कल यानी ’30 सितंबर’ को राष्ट्रपति चुनाव होने जा रहे हैं। इन चुनावों में कुल आठ उम्मीदवार अपनी क़िस्मत आजमाते दिखाई दिए। लेकिन चुनावों में मुख्य मुकाबला मौजूदा राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह (Ibrahim Mohamed Solih) और उनके प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार मोहम्मद मुइज्जू (Mohamed Muiz) के बीच माना जा रहा है।

वैसे 9 सितंबर को चुनाव का प्रथम चरण हो चुका है। लेकिन पहले दौर में किसी भी उम्मीदवार को 50 प्रतिशत वोट नहीं मिल सके, जिसके चलते किसी को विजेता नहीं माना गया। ऐसे में अब 30 सितंबर को राष्ट्रपति चुनाव में सोलिह या मुइज्जू में से किसी एक के जीतने की संभावना जताई जा रही है। ऐसा इसलिए क्योंकि पहले चरण में मुइज्जू को करीब 46% वोट मिले थे, वहीं वर्तमान राष्ट्रपति सोलिह 39% वोट जुटा सके थे।

Maldives Election + India-China?: चुनाव पर क्यों है भारत और चीन की नजर?

ये चुनाव मालदीव के लोगों के लिए जितनी अहमियत रखते हैं, उतनी ही बेसब्री से भारत और चीन भी चुनावों के नतीजों पर नजर गड़ाए हुए हैं। लेकिन आप शायद सोच रहे होंगे भला मालदीव के राष्ट्रपति चुनावों से भारत और चीन का क्या वास्ता? तो आइए इसका जवाब जानते हैं!

भौगोलिक रूप से हिंद महासागर में स्थित होने के कारण मालदीव, भारत और चीन दोनों के लिए रणनीतिक तौर पर बेहद अहम हो जाता है। खासकर भारत का पड़ोसी देश होने के चलते, व्यापार, सांस्कृतिक व अन्य पैमानों पर भी इसकी अहमियत बढ़ जाती है।

वहीं मालदीव चीन की ‘बेल्ट एंड रोड‘ परियोजना का भी हिस्सा है और मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो मालदीव ने चीन से काफी कर्ज ले रखा है। ऐसे में चीन के साथ मालदीव की नज़दीकी भारत के लिए कई मोर्चों पर चुनौती पैदा कर सकती है।

भारत समर्थक मानें जाते हैं सोलिह

वापस चुनावों पर आएँ तो वर्तमान राष्ट्रपति और मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार इब्राहिम मोहम्मद सोलिह का रुख़ भारत के लिए हमेशा सकारात्मक रहा है और वह भारत को एक अहम भागीदार के रूप में देखते आए हैं। साल 2018 में सत्ता में आने के बाद से ही सोलिह ने भारत के साथ संबंधों में सुधार को लेकर कई पहल शुरू कीं और ‘इंडिया फर्स्ट’ नीति को अपनाने का काम किया।

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चीन की वकालत करते रहे हैं मुइज्जू

लेकिन चुनाव में पीपुल्स नेशनल कांग्रेस (पीएनसी) और प्रोग्रेसिव पार्टी ऑफ मालदीव (पीपीएम) के संयुक्त उम्मीदवार तथा राजधानी माले के मेयर मोहम्मद मुइज्जू को चीन का समर्थक माना जाता है। वह सार्वजनिक रूप से भी कई बाद चीन के साथ संबंधों को बेहतर बनाने की वकालत करते नजर आए हैं।

ऐसे में दोनों देशों की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि आखिर मालदीव के लोग किसे अपने अगले राष्ट्रपति के रूप में चुनते हैं, चीन समर्थक मुइज्जू को या फिर भारत समर्थक सोलिह को एक बार फिर मौक़ा मिल सकेगा?

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