संपादक, न्यूज़NORTH
Afghanistan Embassy In India May Shut Down: अफगानिस्तान की सरकार और दूतावास के बीच बनी तनातनी जैसी स्थिति का असर अब भारत में भी दिखने लगा है। सामने आ रही खबरों के अनुसार, नई दिल्ली स्थित अफगानिस्तान का दूतावास जल्द अपना कामकाज बंद करने जा रहा है। बताया जा रहा है कि इस संबंध में अफगान दूतावास की ओर से भारतीय विदेश मंत्रालय के नाम एक सूचना पत्र जारी किया गया है।
इसका खुलासा भारत सरकार के सूत्रों के हवाले से द इंडियन एक्सप्रेस की एक हालिया रिपोर्ट में भी किया गया है। जानकारी के मुताबिक, नई दिल्ली में अफगान दूतावास की ओर से विदेश मंत्रालय को एक कथित चिट्ठी भेज कर दूतावास को बंद करने की सूचना दी गई है। फिलहाल भारत सरकार इस सूचना पत्र की प्रामाणिकता और इसके कंटेंट की ‘जांच’ कर रही है।
Afghanistan Embassy In India: क्या है मामला?
बता दें, फिलहाल नई दिल्ली के अफगान दूतावास में बतौर राजदूत फरीद मामुंडजे (Farid Mamundzay) तैनात हैं। लेकिन रिपोर्ट्स बताती हैं कि वह कई महीनों से भारत में नहीं है, और ना ही अफगानिस्तान में! इसके बजाए उनके लंदन में होने की अटकलें हैं।
भारत में राजदूत के रूप में फरीद मामुंडजे की नियुक्ति अफगानिस्तान की पिछली अशरफ गनी सरकार की ओर से की गई थी। और अगस्त 2021 में तालिबान द्वारा अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जा करने के बाद भी, फरीद भारत के अफगान दूतावास में अपने पद पर बने हुए हैं।
बावजूद इसके, सब कुछ ठीक नहीं है। अफगानिस्तान की नई तालिबान सरकार और भारत स्थित अफगान दूतावास के बीच खींचतान बनी हुई है। पिछले कुछ महीनों में राजनयिकों व अन्य दूतावास कर्मियों के बीच अंदरूनी कलह की खबरें सामने आती रहीं हैं।
पिछली ‘इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ अफगानिस्तान’ सरकार द्वारा नियुक्त राजदूत फरीद मामुंडजे फिलहाल काबुल में तालिबान द्वारा संचालित विदेश मंत्रालय के राज में अपने पद पर बने रहने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। भारत भी इस मसले को अफगानिस्तान का आंतरिक मुद्दा मानते हुए किसी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं करना चाहता है। दिलचस्प ये है कि भारत ने अभी तक तालिबान की आंतरिक सरकार को मान्यता नहीं दी है और लगातार एक समावेशी सरकार के पक्ष में खड़ा हुआ है।
दूतावास बंद करने के कथित कारण
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अफगानिस्तान की मौजूदा तालिबान सरकार और भारत के बीच मजबूत होते रिश्ते भी अफगान राजदूत की परेशानी का सबब बन रहे हैं। कथित रूप से फरीद का मानना है कि यह फैसला उन्हें तालिबान सरकार और भारतीय अधिकारियों द्वारा बनाए जा रहे दबाव के चलते लेना पड़ रहा है।
नई तालिबान सरकार अब तक कम से कम 14 विदेशी मिशनों पर नियंत्रण हासिल करते हुए, वहाँ नए नामित व्यक्तियों को तैनात कर चुकी है। लेकिन फिलहाल भारत उस लिस्ट में शामिल नहीं है।
इस विषय में अब तक सार्वजनिक रूप से ना तो अफगान दूतावास और ना ही भारत के विदेश मंत्रालय की ओर से कोई बयान जारी किया गया है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या दूतावास को बंद करने से संबंधित कथित सूचना पत्र राजदूत फरीद मामुंडजे की ओर से भेजा गया है या नहीं?