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बच्चों के लिए एक उम्र के बाद ही खुले ‘सोशल मीडिया’ का दरवाज़ा?, शुरू हुई बहस!

बच्चों के लिए एक उम्र के बाद ही खुले ‘सोशल मीडिया’ का दरवाज़ा?, शुरू हुई बहस!

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Will India Set Minimum Age To Access Social Media?: हम सब बख़ूबी इस बात को समझते हैं कि आज के दौर में सोशल मीडिया का इस्तेमाल ‘ज़रूरत’ के बजाए एक ‘लत’ बन गया है, खासकर बच्चों के बीच! इसी को ध्यान में रखते हुए अब कर्नाटक हाईकोर्ट की ओर से एक अहम टिप्पणी की गई है।

कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा है कि जिस प्रकार शराब पीने के लिए कानूनी रूप से एक न्यूनतम आयु निर्धारित की गई है, ठीक उसी प्रकार सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने के लिए भी न्यूनतम उम्र की सीमा तय करने पर विचार होना चाहिए। मौखिक रूप से दिए गए इस सुझाव में आगे अदालत कहना था कि बच्चों के लिए सोशल पर प्रतिबंध लगाए जाने की आवश्यकता है।

कहाँ से उठा मामला?

असल में कर्नाटक हाईकोर्ट के जस्टिस जी. नरेंद्र और जस्टिस विजयकुमार ए. पाटिल की खंडपीठ ने ‘2021 और 2022 में कुछ ट्वीट्स और अकाउंट्स को ब्लॉक करने के भारत सरकार के आदेशों’ से संबंधित मामले में X Corp. (पूर्व में Twitter) द्वारा की गई अपील पर सुनवाई के दौरान यह बातें कहीं। कंपनी की ओर से एकल न्यायाधीश के उस फैसले के खिलाफ अपील की गई थी, जिसके तहत इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeiTY) के विभिन्न आदेशों के खिलाफ X Corp. की याचिका को खारिज कर दिया था।

इसी मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस जी. नरेंद्र ने मौखिक रूप से कहा;

“सोशल मीडिया पर कुछ प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए, मेरे नजरिए से यह बहुत अच्छा होगा। आज स्कूली बच्चे इसके आदी होते जा रहे हैं, इसलिए मेरा मानना है कि देश में लागू आबकारी नियमों की तर्ज पर, इस संबंध (सोशल मीडिया) में भी एक उम्र सीमा तय की जानी चाहिए।”

Minimum Age For Social Media: क्या हो सकती है उम्र सीमा?

आपके मन में शायद यह सवाल आ रहा हो कि अगर सरकार सोशल मीडिया इस्तेमाल करने की एक न्यूनतम उम्र तय करने का मन बनाती भी है, वो वह उम्र सीमा क्या होगी? इस पर भी अदालत की ओर से टिप्पणी की गई है।

कोर्ट की ओर से यह प्रश्न उठाया गया, “क्या 17 से 18 साल के बच्चे इतने परिपक्व होते हैं कि वह यह समझ सकें कि देश हित में क्या सही है और क्या गलत?” सोशल मीडिया उपयोगकर्ता की उम्र कम से कम 18 या 21 वर्ष की जानी चाहिए। अक्सर इस दिशा में तर्क देने वाले, यह भी हवाला देते हैं कि देश में वोट देने का अधिकार भी 18 वर्ष की उम्र के बाद भी मिलता है।

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इतना ही नहीं बल्कि अदालत ने यह भी कहा कि न सिर्फ सोशल मीडिया, बल्कि इंटरनेट पर मौजूद ऐसी चीजों को भी हटाया जाना चाहिए, जो दिल-दिमाग को भ्रष्ट करती हैं। खासकर सोशल मीडिया के उपयोग के लिहाज से एक न्यूनतम उम्र तय करने पर विचार किया जा सकता है।

केंद्र सरकार का पक्ष?

मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए वकील ने अदालत के सक्षम बताया कि देश में पहले से ऐसे कानून मौजूद हैं, जिसके चलते कुछ ऑनलाइन गेम खेलने के लिए यूजर्स को अपनी उम्र का प्रमाण देना होता है। इसके लिए आधार या अन्य कुछ दस्तावेजों का होना अनिवार्य होता है। इस पर अदालत की ओर से पूछा गया कि फिर सोशल मीडिया के लिए ऐसी किसी पद्धति का विस्तार क्यों नहीं किया जा सकता, जिससे एक न्यूनतम उम्र तय की जा सके।

फिलहाल अब तक सामने आई जानकारी के अनुसार, सोशल मीडिया के लिए न्यूनतम उम्र सीमा तय करने को लेकर किसी प्रकार का कोई लिखित आदेश नहीं दिया गया है। लेकिन इतना तो साफ है कि यह विषय कोई नया नहीं है, बीतें कई सालों से सोशल मीडिया के आदी होने वालों की संख्या में भारी उछाल देखने को मिला है, और इसके चलते बतौर समाज कई मोर्चों पर नुकसान हो रहा है।

अब देखना यह है कि हाल में नई संसद के साथ, एक नए अध्याय की शुरुआत करने वाला भारत, इस मुद्दे पर कोई क़ानूनी पहल कब शुरू करता है। जब तक इस विषय पर आप अपने विचार हमसे अवश्य साझा कर सकते हैं!

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