संपादक, न्यूज़NORTH
‘Socialist & Secular’ Removed From New Copies Of Constitution: देश को मिली नई संसद भवन में पहले सत्र के साथ ही नए विवादों का भी आगाज हो गया है। भारत के नए संसद भवन में चल रहे लोकसभा और राज्यसभा के विशेष सत्र के बीच अब कांग्रेस सांसद, अधीर रंजन चौधरी ने एक बड़ा आरोप लगाया है। यह आरोप इसलिए भी गंभीर हैं क्योंकि इनका संबंध मौजूदा ‘महिला आरक्षण बिल’ आदि से ना होकर, सीधे ‘मूल संविधान’ से है।
अक्सर अपने बयानों के चलते चर्चा में रहने वाले कांग्रेस के वरिष्ठ लोकसभा सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा है कि नए संसद भवन के उद्घाटन के मौके पर उन्हें जो संविधान की प्रति (कॉपी) दी गई, उसमें से समाजवादी (सोशलिस्ट) और धर्मनिरपेक्ष (सेक्युलर) – दोनों शब्द गायब थे।
क्या है मामला?
19 सितंबर को नए संसद भवन में पहले सत्र के शुभारंभ के मौके पर सभी माननीय सांसदो को भेंट स्वरूप संविधान की नई प्रतियां भी प्रदान की गई थीं। ऐसी ही एक कॉपी कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी को भी दी गई। लेकिन इसके बाद ही उनका एक बयान सामने आया, जिसने सभी को चौंका दिया।
ANI के साथ की गई बातचीत में अधीर ने कहा;
“आज (19 सितंबर) को देश के संविधान की जो नई प्रतियां हमें सौंपी गईं और जिसे हम हाथ में लेकर नए संसद भवन में दाखिल हुए, उसकी प्रस्तावना में ‘समाजवादी’ (सोशलिस्ट) व ‘धर्मनिरपेक्ष’ (सेक्युलर) शब्द नहीं है।”
“हम जानते हैं कि ये शब्द 1976 में किए गए संविधान संशोधन के तहत शामिल किए गए थे, लेकिन आज हमें जो संविधान की कॉपी दी गई, उसमें ये शब्द नहीं हैं जो गंभीर चिंता का विषय है।”
अधीर रंजन ने आगे कहा कि “इस तरह की चीजों को देखते हुए, सरकार का इरादा संदेहास्पद नजर आता है। यह बहुत ही चतुराई से किया गया काम लगता है।
#WATCH | Leader of Congress in Lok Sabha, Adhir Ranjan Chowdhury says, "The new copies of the Constitution that were given to us today (19th September), the one we held in our hands and entered (the new Parliament building), its Preamble doesn't have the words 'socialist… pic.twitter.com/NhvBLp7Ufi
— ANI (@ANI) September 20, 2023
इस बीच अधीर ने यह भी बताया कि उन्होंने इस विषय की जानकारी राहुल गांधी के साथ भी साझा की है। साथ ही अधीर के अनुसार, उन्होंने इस मुद्दे को उठाने की कोशिश भी की, लेकिन उन्हें फिलहाल पर्याप्त मौक़ा नहीं मिल सका।
कल नए संसद में प्रवेश के समय सांसदों को संविधान की प्रति दी गई.
पहली प्रति अंग्रेजी प्रति की है जिसमें Socialist और Secular शब्द नहीं है.
हिंदी प्रति में समाजवादी और पंथनिरपेक्ष छपा हुआ है.
कानून मंत्री कह रहे 1950 के समय की ओरिजनल कॉपी दी गई है तो फिर हिंदी में क्यों छपा है? pic.twitter.com/nVUZoBpdmD
— Gaurav Srivastav (@gauravnewsman) September 20, 2023
कब जोड़े गए ‘धर्मनिरपेक्ष’ और ‘समाजवादी’ शब्द
इतिहास पर नज़र डालें तो सर्वप्रथम भारत के मूल संविधान की प्रस्तावना में ‘धर्मनिरपेक्ष’ (सेक्युलर) और ‘समाजवादी’ (सोशलिस्ट) शब्दों को जगह नहीं दी गई थी। लेकिन 1976 में इमरजेंसी के दौरान 42वें संविधान संशोधन के तहत प्रस्तावना में ये दोनों शब्द जोड़े गए।
‘Socialist & Secular’ Removed From New Copies Of Constitution: सफ़ाई में क्या कहा गया
वैसे अधीर रंजन द्वारा उठाए गए इस मुद्दे को केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने अधिक तवज्जो ना देते हुए कहा कि सांसदों को मूल संविधान की प्रतियाँ भेंट की गई होगी। मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से, केंद्रीय मंत्री के अनुसार, “जब सबसे पहले मूल संविधान अपनाया गया था तब प्रस्तावना में ये दोनों शब्द शामिल नहीं थे, इसलिए ऐसा हो सकता है कि सदस्यों को मूल प्रति ही दी गई हो।”
गौर करने वाली बात ये भी है कि संसद के इस विशेष सत्र के पहले दिन यानी 18 सितंबर को लोकसभा सचिवालय द्वारा जारी एक बुलेटिन में सदस्यों को संविधान की एक प्रति और भारत के मूल संविधान की एक सुलेखित प्रति दिए जाने की बात कही गई थी।