संपादक, न्यूज़NORTH
No new unicorn startup in six months in India: स्टार्टअप इकोसिस्टम के मौजूदा हालातों की बात करें तो लगभग बीतें एक साल से भारत समेत दुनिया के कई देशों में निवेशक अपना हाथ बाँधे नजर आ रहे हैं। आसान भाषा में कहें तो फिलहाल टेक स्टार्टअप्स किसी भी प्रकार के नए निवेश को लेकर संघर्ष कर रहे हैं और इसी को ‘फंडिंग विंटर’ (Funding Winter) तक का नाम दिया गया है।
गौर करने वाली बात ये है कि कई जानकारों के अनुसार, ये फंडिंग विंटर जैसे हालात सुधरने के बजाए, साल 2023 में बढ़ सकते हैं। और कुछ ऐसा ही उदाहरण अब भारत में नजर भी आने लगा है।
असल में सामने आई Moneycontrol की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में पिछले 6 महीनों से किसी भी स्टार्टअप ने यूनिकॉर्न का दर्जा हासिल नहीं किया है। Tracxn द्वारा एकत्र किए गए आँकड़ो के मुताबिक, ऐसा सालों बाद देखने को मिल रहा है, लगभग 7 सालों बाद!
आपको बता दें गोवा आधारित हेल्थ टेक प्लेटफॉर्म, Molbio Diagnostics फिलहाल भारत का सबसे नवीनतम यूनिकॉर्न स्टार्टअप है, जिसने ये दर्जा सितंबर 2022 में हासिल किया था, जब इसको $1.6 बिलियन के वैल्यूएशन पर Temasek के नेतृत्व में $85 मिलियन का निवेश मिला था।
ये इसलिए भी दिलचस्प हो जाता है क्योंकि अभी से कुछ 1-2 साल पहले ही, साल 2020 और 2021 के दौरान तमाम टेक स्टार्टअप्स कहीं अधिक वैल्यूएशन पर बड़े-बड़े निवेश हासिल कर रहे थे। लेकिन दिलचस्प रूप से जैसे-जैसे कोविड महामारी के हालातों में सुधार होने लगा और विश्व की अर्थव्यवस्थाएं वापस खुलने लगीं, स्टार्टअप इकोसिस्टम को जादुई वैल्यूएशन के आँकड़ो से परे, वास्तविकता का सामना करना पड़ा।
आलम ये रहा कि साल 2021 में जहाँ भारत को लगभग 46 यूनिकॉर्न स्टार्टअप्स मिले थे, वहीं साल 2022 में ये आँकड़ा सिर्फ 22 तक ही सिमट के रह गया।
मार्केट इंटेलिजेंस कंपनी Trackxn द्वारा पेश एक रिपोर्ट की मानें तो भारत में यूनिकॉर्न स्टार्टअप्स की संख्या दिसंबर 2022 में सितंबर 2022 के ही मुकाबले 100 से अधिक से गिरकर महज 85 हो गई। इसके पिछले मौजूदा वैश्विक आर्थिक हालातों और उसके चलते फंडिंग आदि से निवेशकों द्वारा बनाई जा रही दूरी को वजह माना जा रहा है।
पहले और अब के हालातों में फर्क़ का अंदाज़ा इस बार से भी लगाया जा सकता है कि रिपोर्ट के मुताबिक़ भारतीय स्टार्टअप्स ने फरवरी 2023 में कुल $809 मिलियन का निवेश हासिल किया, जबकि फरवरी 2022 में यही आँकड़ा लगभग $5.2 बिलियन का था।
वैसे ऐसे ही कुछ हालात कुछ सालों पहले भी बने थे जब जनवरी 2016 में ShopClues द्वारा यूनिकॉर्न का दर्जा हासिल करने के लगभग दो साल बाद, 2018 में Zomato यूनिकॉर्न स्टार्टअप बनकर उभरा था।
क्या होता है यूनिकॉर्न स्टार्टअप?
यूनिकॉर्न का दर्जा उन प्राइवेट स्वामित्व वाले स्टार्टअप्स को दिया जाता है, जिनकी कुल वैल्यूएशन $1 बिलियन डॉलर को पार कर चुकी हो।
वैसे इस यूनिकॉर्न के दर्जे को सफ़लता का मानक माना जाए या नहीं, इस पर स्टार्टअप ईकोसिस्टम हमेशा से ही दो धड़ों में बँटा नजर आया है।