संपादक, न्यूज़NORTH
Economic Survey 2022-23 | Budget Session: भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा संयुक्त सत्र में दोनों सदनों को दिए संबोधन के साथ ही आज यानी 31 जनवरी, 2023 से संसद के बजट सत्र की शुरुआत हो गई है।
आज वित्त मंत्री, निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने लोकसभा में आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 पेश किया, जिसमें वित्त वर्ष 2023-24 के लिए आर्थिक विकास के अनुमानों के साथ ही साथ कई अहम पहलुओं को देश के सामने रखा गया।
‘आर्थिक सर्वेक्षण’ या ‘इकोनॉमिक सर्वे’ असल में सरकार द्वारा की गई उस समीक्षा को कहते हैं, जिसमें वह देश के सामने यह बताती है कि पिछले एक साल में भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति कैसी रही? साथ ही इसमें आगामी साल को लेकर कुछ अनुमानों का भी आँकलन किया जाता है। परंपरा के अनुसार, आर्थिक सर्वेक्षण को वित्त मंत्री संसद में केंद्रीय बजट के एक दिन पहले ही पेश करते हैं।
तो आइए जानते हैं साल 2022-23 के लिए सरकार द्वारा पेश ‘आर्थिक सर्वेक्षण’ (Economic Survey) में किन-किन अहम आँकड़ो व बिंदुओं को उजागर किया गया;
Economic Survey 2022-23 – Key Highlights:
▶︎ सबसे पहले आपको बता दें, लोकसभा में वित्त मंत्री द्वारा पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, भारत की अर्थव्यवस्था 2023-24 में 6.5% की विकास दर से बढ़ती नजर आएगी। मौजूदा वित्त वर्ष 2022-23 के लिए यह आँकड़ा 7% रहा, जबकि वित्त वर्ष 2021-22 में यही 8.7% था।
▶︎ अगर पिछले तीन वित्त वर्ष में तुलना की जाए तो, इस बार विकास दर के सबसे कम रहनें की संभावना है। लेकिन इसके बाद भी भारत विश्व में सबसे तेजी से विकसित हो रही अर्थव्यवस्थाओं वाले प्रमुख देशों की लिस्ट में बना रहेगा।
▶︎ आर्थिक सर्वेक्षण यह भी सामने आया कि केंद्र सरकार के पूंजीगत व्यय यानी कैपेक्स में वित्त वर्ष 2022-23 के पहले आठ महीनों में 63.4% तक की बढ़त दर्ज की गई है।
▶︎ वित्त वर्ष 2023-24 के लिए वर्तमान कीमतों पर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 11% तक रहने का भी अनुमान जताया गया है।
▶︎ वहीं अगले वित्तीय वर्ष में वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर के 6% से 6.8% के बीच रहने का भी अनुमान लगाया गया है, जो वैश्विक आर्थिक विकास और राजनीतिक हालातों पर भी निर्भर करेगा।
▶︎ इस बीच अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में और अधिक वृद्धि किए जाने की संभावना बनी हुई है, जिसके चलते सरकार के सामने रुपये (₹) के मूल्यह्रास की चुनौती बनी रहेगी।
▶︎ वहीं मुद्रास्फीति की हालत और मध्यम क्रेडिट लागत के चलते वित्त वर्ष 24 में बैंक ऋण (लोन) में भी तेजी दिखने की संभावना जताई गई है।
▶︎ पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 के अनुसार, साल 2022 में जनवरी से नवंबर के बीच देश में छोटे व्यवसायों के लिए ऋण वृद्धि 30.5% से अधिक रही है।
▶︎ भारत क्रय क्षमता (Purchasing Power) के मामले में दुनिया में तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था रहा, वहीं विनिमय दर के लिहाज से देश पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना रहा।
▶︎ आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey) में यह बताया गया है कि भारत के पास पर्यात मात्रा में विदेशी मुद्रा भंडार मौजूद है, जो चालू खाते के घाटों को वित्त पोषित करने व रुपये के उतार-चढ़ाव को नियंत्रित करने आदि के लिहाज से भी पर्याप्त है।
▶︎ आर्थिक सर्वे के अनुसार, देश में शहरी रोजगार दर में गिरावट दर्ज की गई। लेकिन कर्मचारी भविष्य निधि पंजीकरण के मामले में वृद्धि दर्ज की गई है।
▶︎ सर्वे के मुताबिक, व्यापक खपत की वजह से भारत में रोजगार की स्थिति में थोड़ा सुधार देखने को मिला है, लेकिन रोजगार के अवसर में अधिक वृद्धि के लिए निजी निवेश में वृद्धि को अहम बताया गया।
▶︎ यह भी सामने आया कि महामारी के बाद, भारत अन्य देशों के मुकाबले तेज वापसी करते नजर आया, जिसकी वजह ‘घरेलू माँग से वृद्धि’ और ‘पूंजी निवेश में आई तेजी’ को बताया गया।
▶︎ इतना ही नहीं बल्कि सर्वे के अनुसार, Sustainable Development Goal के तहत साल 2030 तक गरीबी को आधी करने के लक्ष्य के साथ 2005-06 से 2019-21 के दौरान 41 करोड़ से अधिक लोग गरीबी से बाहर निकल चुके हैं।
आपको बता दें इसके पहले राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने अभिभाषण में बताया था कि पिछले 8 सालों में भारत में मेट्रो का नेटवर्क तीन गुना से अधिक बढ़ चुका है। आज भारत में पंजीकृत स्टार्टअप्स की संख्या 90,000 से भी अधिक हो चुकी है। भारत साल 2015 में, वैश्विक नवाचार सूचकांक में 81वें स्थान पर रहा था, लेकिन हालिया रैंकिंग के अनुसार अब देश 40वें स्थान पर आ गया है।
बताते चलें कि केंद्रीय वित्त मंत्री, निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) कल यानी 1 फरवरी, 2023 को बजट 2023-24 पेश करने जा रही हैं। पीएम मोदी (PM Modi) के अनुसार, बजट को ‘इंडिया फर्स्ट, सिटीजन फर्स्ट’ की सोच के साथ पेश किया जाएगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि,
“वैश्विक अर्थव्यवस्था के हालातों को देखते हुए, सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया, भारत के इस नए बजट की ओर आशा से देख रही है।”
यह बजट कई मायनों से अहम हो जाता है, पहले तो वर्तमान में वैश्विक आर्थिक स्थिति के बदहाल हालातों के कारण, और दूसरा ये कि यह मौजूदा भारत सरकार के कार्यकाल का आख़िरी पूर्ण बजट है।
जानकारों के अनुसार, नए बजट से कई सेक्टरों को उम्मीदें हैं, खासकर मैन्युफ़ैक्चरिंग सेक्टर में पीएलआई स्कीम का विस्तार होने की भी संभावना जताई जा रही है।
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