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1 जनवरी 2022 से Zomato, Swiggy पर खाना ऑर्डर करना हो जाएगा महंगा? जानें सच्चाई

1 जनवरी 2022 से Zomato, Swiggy पर खाना ऑर्डर करना हो जाएगा महंगा? जानें सच्चाई

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Zomato & Swiggy to get costlier from Jan 1, 2022?: शायद आपने अब तक ये सुन ही लिया होगा कि Swiggy और Zomato जैसे ऑनलाइन फ़ूड ऑर्डरिंग प्लेटफ़ॉर्म से खाना मँगवाना 1 जनवरी, 2022 से थोदा महँगा हो सकता है। लेकिन इस बात में कितनी सच्चाई है? आइए जानते हैं!

असल में ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि भारत के इस सेगमेंट में 1 जनवरी 2022 से टैक्स संबंधित कुछ नियमों में किए गए बदलाव लागू होने जा रहें हैं। लेकिन क्या वाक़ई इसका असर Zomato, Siwggy आदि के ग्राहकों के बिलों पर पड़ेगा?

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पहले बात करें नए नियमों की तो नए साल से सभी फ़ूड डिलीवरी प्लेटफ़ॉर्मों/ऐप्स को रेस्तरां सेवाओं का इस्तेमाल करने के तहत 5% तक का गूड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) जमा करना होगा।

ये नया नियम वित्त मंत्रालय द्वारा जारी किए गए नए अपडेट के रूप में आया है, जिसके तहत फूड एग्रीगेटर्स को अपने प्लेटफॉर्म पर पके हुए खाने के ऑर्डर के लिए GST दरों में 5% तक का भुगतान करने का निर्देश दिया गया है।

Swiggy and Zomato to pay GST to govt: FM Nirmala Sitharaman

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस साल सितंबर में हुई जीएसटी परिषद की 45वीं बैठक में हाइपरलोकल फूड ऑर्डरिंग सेवाओं के लिए इस नई टैक्स व्यवस्था को लागू किया था।

तब उन्होंने प्रस्ताव दिया कि Swiggy और Zomato जैसे प्लेटफ़ॉर्म को अपने पार्टनर रेस्तरां की ओर से GST का भुगतान करना चाहिए, जिसमें क्लाउड किचन और सेंट्रल किचन को भी शामिल किया गया था, जो इन ऐप्स पर फ़ूड ऑर्डर लेते हैं। बैठक में इस प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए, साल 2022 के पहले दिन यानी 1 जनवरी से इसे लागू करने के निर्देश दिए गए थे।

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Credits: Wikimedia Commons

असल में सरकार का मानना ​​​​है कि इस कदम से कई रेस्तरां द्वारा की जानें वाली टैक्स चोरी पर अंकुश लगाया जा सकता है, क्योंकि इसके पहले रेस्तरां ही GST इक्कठा करने और जमा करने के लिए जिम्मेदार थे।

अब तक रेस्तरां अपने ग्राहकों से फूड डिलीवरी ऐप के जरिए दिए गए हर ऑर्डर पर GST वसूलते हैं लेकिन अधिकांश सरकार को टैक्स नहीं भरते। इसलिए अब सीधे फूड एग्रीगेटर्स को उनके प्लेटफ़ॉर्म से वसूले गए हर टैक्स के लिए जवाबदेह बनाने से, एक पारदर्शिता आएगी और इस टैक्स के पैसों की चोरी कम होगी।

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बतौर ग्राहक आपको इस बात का पता होना चाहिए कि आप जिस सेवा का इस्तेमाल कर रहें हैं, उसमें आपको किसको कितना टैक्स देना पड़ रहा है।

अब तक ऑनलाइन फूड एग्रीगेटर्स के साथ जुड़े हुए स्टोरेंट फूड बिल पर 5% GST का भुगतान करते हैं, जबकि एग्रीगेटर खुद कमीशन पर 18% GST का भुगतान करता है। ये वही कमीशन है जो रेस्तरां को डिलीवरी और मार्केटिंग सेवाएं प्रदान करने के लिए चार्ज की जाती है।

मतलब साफ़  है कि सरकार फ़ूड बिल पर कोई नया टैक्स नहीं लगाने जा रही है बल्कि बस वह ख़ुद स्टोरेंट से अपना GST हिस्सा वसूलने के बजाए अब फ़ूड डिलीवरी ऐप्स को ये ज़िम्मेदारी दे रही है।

ऐसे देखने में आदर्श स्थिति यही बनती है कि ग्राहकों पर इसका कोई अतिरिक्त भार नहीं पड़ना चाहिए। पर क़ीमतों के बढ़ने की अटकलें इसलिए लगाई जा रही हैं क्योंकि जानकारों के अनुसार फ़ूड एग्रीगेटर्स को GST आदि का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए अपने बुनियादी ढाँचे में बदलाव करने होगे और जिस कारण से उन्हें अतिरिक्त संचालन खर्च आएगा, जिसको बोझ वो ग्राहकों पर डाल सकते हैं।

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