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ई-कॉमर्स कंपनियों ने डिलीवरी में मदद करने हेतु खुदरा विक्रेताओं और ई-ग्रोसरी प्रदाताओं से मिलाया हाथ

ई-कॉमर्स कंपनियों ने डिलीवरी में मदद करने हेतु खुदरा विक्रेताओं और ई-ग्रोसरी प्रदाताओं से मिलाया हाथ

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लॉकडाउन के समय में एक सबसे बड़ी मुसीबत है लोगों तक खाद्य और रसद जैसी आवश्यक चीज़ों की आपूर्ति को बनाये रखना।

और पिछले कुछ सालों से देश में बढ़ी ऑनलाइन सेवाओं के चलते अब सरकार के साथ-साथ यह ऑनलाइन डिलीवरी सेवाएं भी अपने-अपने स्तर पर लोगों के बीच इन चीज़ों की आपूर्ति को सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहीं हैं।

और अब इसी दिशा में एक सामूहिक प्रयासों के अंतर्गत ये ई-डिलीवरी सेवाएं, टैक्सी और बाइक टैक्सी एग्रीगेटर्स व अन्य ई-कॉमर्स कंपनियों ने ग्राहकों तक किराने आदि का सामान पहुँचाने के लिए कई खुदरा चेनों और ऑनलाइन ग्रोसरी प्रदाताओं से हाथ मिलाने की पहल शुरू की है।

इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक Uber, Domino’s Pizza, Rapido, Zypp, Swiggy, Zomato और Scootsy सभी ने Big Bazaar, Spencer और Nature’s Basket जैसी रिटेल चेन के साथ साझेदारी कर ग्रोसरी सामानों की डिलीवरी का जिम्मा संभला है।

दरसल आपको बता दें कि इस क्षेत्र के BigBasket और Grofers जैसे बड़े ख़िलाड़ी, कमर्चारियों के कमी के कारण काफी परेशानियों का सामना कर रहें हैं। दरसल कई प्रवासी कर्मचारियों के अपने अपने घर जाने या कहीं फंसे होने के चलते यह प्लेटफार्म सामान्य रूप से अपना संचालन नहीं कर पा रहें हैं।

इस बीच ईटी की इस रिपोर्ट में मामले के जानकार कुछ लोगों के हवाले से बताया गया कि कुछ कंपनियों ने देश के सबसे बड़े ऑनलाइन मार्केटप्लेस Amazon और Flipkart से भी मदद माँगी है, और फ़िलहाल अभी बातचीत चल रही है।

वैसे इस बीच खबर यह है कि Uber ने जहाँ Spencer’s Retail और Big Basket के साथ अपनी साझेदारी की शुरुआत कर दी है, वहीँ अभी यह Flipkart, Amazon और Big Bazaar जैसी कंपनियों के साथ भी बातचीत कर रहा है।

वहीँ बात करें Spencer’s और Nature’s Basket की तो ये बाइक टैक्सी एग्रीगेटर Rapido और डिलीवरी सेवा प्रदाता Scootsy के साथ साझेदारी करने जा रहें हैं।

इस बीच इस रिपोर्ट में Spencer’s Retail और Nature’s Basket के प्रबंध निदेशक देवेंद्र चावला ने कहा,

“इस समय हमें एक इकोसिस्टम और ऐसी साझेदारियों की बेहद जरूरत है, क्यूंकि हमें अपने ई-कॉमर्स और फोन डिलिवरी ऑर्डर के जरिए ही अपने उपभोक्ताओं तक दैनिक रूप से अधिक डिलीवरी को बढ़ावा देना होगा।”

वहीँ सूत्रों की मानें तो National Restaurant Association of India ने भी रेस्टोरेंट के कर्मचारियों को अस्थायी रोजगार देने के लिए Pharmeasy, BigBasket और कुछ खुदरा विक्रेताओं के साथ बातचीत शुरू की है।

वहीँ Zomato ने एक ओर जहाँ Grofers के साथ साझेदारी की है, वहीँ Domino’s ने भी अपने कर्मचारियों के जरिये अब ITC के जरूरी सामानों की डिलीवरी हेतु साझेदारी की है। वहीँ Marico ने भी कुछ जरुरी सामानों जैसे तेल और ओट्स आदि के लिए Swiggy और Zomato के साथ भागीदारी की है।

वहीँ Rapido के सह-संस्थापक अरविंद संका ने बताया कि Spencer’s और Nature’s Basket के साथ साझेदारी करने के साथ ही साथ Rapido ने Big Basket, Grofers, Big Bazaarऔर फलों व सब्जियों की आपूर्ति चेन Ninjacart के साथ भी भागीदारी की है।

अरविंद के अनुसार Rapido के 250,000 चालकों के बेड़े में से लगभग 70% अभी भी शहरों में ही हैं, इसलिए वह आवश्यक सामानों की डिलीवरी आराम से कर सकतें हैं।

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वहीँ Uber India और South Aisa के निदेशक संचालन और शहरी संचालन प्रमुख, प्रभजीत सिंह की माने तो Uber अपने ड्राइवरों से उनकी इन डिलीवरी सेवाओं के लिए कोई कमीशन नहीं ले रहा है।

वहीँ Flipkart के एक प्रवक्ता ने बताया कि बाजार कैब एग्रीगेटर्स और रेलवे सहित सभी संभावित साझेदारियों पर विचार कर रहा है, ताकि ग्राहकों को किराना और आवश्यक वस्तुओं की डिलीवरी आसानी के साथ की जा सके।

इस बीच आपको बता दें DMart ने भी अपने कुछ स्टोर्स को मुंबई में चौबीसों घंटे खुला रखने की पहल शुरू की है। गौर करने वाली बात यह है कि कुछ रिटेलर्स जैसे More, Future Group और Spencer’s Retail इन साझेदारियों के साथ ही साथ थोक डिलीवरी के लिए आवासीय कल्याण संघों के साथ भी साझेदारी कर रहे हैं, ताकि दुकानों में आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके।

वहीँ कई लोग कुछ और दिलचस्प कदम उठाते भी नज़र आ रहें हैं, जैसे Future Group ने अपने सामान्य बीमा और भुगतान गेटवे के माध्यम से एक बीमा पॉलिसी शुरू की है जो COVID-19 उपचार के लिए संक्रमितों के लिए काम आ सकता है।

दरसल लॉकडाउन जैसे मौजूदा और बेहद जरूरी फैसलों से खाद्य चेनों को प्रभावित करना किसी भी हाल में सही नहीं होगा, क्यूंकि इससे देशभर में लोगों के बीच खाने पीने और एनी जरूरी सामानों की कमी देखने को मिल सकती है, जिससे हालात और भी ख़राब हो सकतें हैं।

लेकिन ऐसे में एक सकरात्मक कदम के रूप में इन साझेदारियों की सराहना करनी चाहिए, कि आखिर मौजूदा हालातों में इन प्लेटफार्मों ने एक साथ आकर अपने अपने कर्मचारियों और ग्राहकों के हितों की रक्षा का फैसला किया।

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