संपादक, न्यूज़NORTH
RBI Raises IMPS Limit: बीते कुछ सालों (ख़ासकर महामारी के चलते) भारत में लोगों ने तेज़ी से डिजिटल लेनदेन को अपनाया है और इसमें UPI के साथ ही साथ पारंपरिक इंटरनेट आधारित बैंकिंग सेवाओं को भी शामिल करना गलत नहीं होगा।
लेकिन अब देश में इसी डिजिटल लेनदेन की प्रक्रिया को और भी बढ़ावा देने के इरादे से भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अब Immediate Payment Service (IMPS) के के ज़रिए प्रति लेनदेन सीमा को ₹2 लाख से बढ़ाकर ₹5 लाख तक करने का मन बनाया है।
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भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) द्वारा मैनेज की जाने वाली IMPS एक अहम भुगतान प्रणाली है, जो 24×7 तत्काल तौर पर देश के भीतर पैसों को ट्रांसफ़र करने की सुविधा देती है, और इसको इंटरनेट बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग ऐप, बैंक शाखाओं, ATM, SMS और IVRS जैसे विभिन्न चैनलों के माध्यम से एक्सेस किया जा सकता है।
RBI raises IMPS limit from Rs 2 lakh to Rs 5 lakh
IMPS इसलिए भी एक पसंदीदा विकल्प के तौर पर देखा जाता है क्योंकि इसके ज़रिए पैसे ट्रांसफर करने पर कई बैंक कोई फीस नहीं लेते है। ये सेवा मुख्यतः 2014 से शुरू की गई थी।
इसकी घोषणा करते हुए RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा,
“IMPS प्रणाली के महत्व और बढ़ती हुई उपभोक्ता सुविधा के मद्देनजर, प्रति लेनदेन सीमा ₹2 लाख से बढ़ाकर ₹5 लाख करने का प्रस्ताव है।”
IMPS limit to be increased from Rs 2 lakh to Rs 5 lakh: RBI Governor Shaktikanta Das
— Press Trust of India (@PTI_News) October 8, 2021
असल में शक्तिकांत दास का मानना है कि ऐसा करने से डिजिटल भुगतान में और वृद्धि होगी और ग्राहकों को ₹2 लाख से अधिक के भुगतान करने के लिए भी इस डिजिटल भुगतान को इस्तेमाल करने अतिरिक्त विकल्प मिल सकेगा।
वैसे RBI गवर्नर ने ये साफ़ किया है कि अभी इसको लेकर केंद्रीय बैंक द्वारा विस्तारित रूप से आवश्यक निर्देश अलग से जारी किए जाएंगे।
दिलचस्प ये है कि इसके साथ ही रिजर्व बैंक ने देश भर में ऑफलाइन तौर पर भी रिटेल डिजिटल भुगतान के लिए एक रूपरेखा पेश करने का प्रस्ताव रखा है।
ऐसे विचार इसलिए भी अहम है क्योंकि अभी भी देश के दूर-दराज के इलाक़ों में रिटेल व्यापारियों के लिए इंटरनेट कनेक्टिविटी कम या उपलब्ध नहीं होती है। इसलिए अपनी योजना के तहत RBI अब ऐसी जगहों के लिए इनोवेटिव तकनीक की मदद से धीमे इंटरनेट या ऑफ़लाइन मोड में भी लेनदेन को संभव बनाने की कोशिश कर रहा है।
सितंबर 2020 से जून 2021 की अवधि के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों में इस योजना के तहत तीन पायलट प्रोजेक्ट सफलतापूर्वक चलाए गए, जिसमें ₹1.16 करोड़ तक के 2.41 लाख ट्राज़ैक्शन दर्ज किए गए।