संपादक, न्यूज़NORTH
Google locks Afghan govt email accounts? तालिबान द्वारा अफगानिस्तान पर क़ब्ज़े के बाद से जहां एक तरफ वहाँ के नागरिकों के लिए बेहद मुश्किल भरे हालात पैदा हो गए हैं, वहीं दुनिया भर में इंटरनेट कंपनियों के लिए भी तालिबान एक चुनौती बनता जा रहा है। इसके कुछ अहम कारण हैं।
असल में भले तालिबान ने अफगानिस्तान पर हुकूमत करने का ऐलान कर दिया हो, और कुछ देशों ने इस सरकार को मान्यता देने की बात भी शुरू कर दी हो, लेकिन अमेरिका जैसे कई देश तालिबान को एक आतंकी संगठन के रूप में ही चिन्हित करते हैं, और क्योंकि अधिकतर टेक दिग्गज़ कैसे Google, Facebook, Twitter आदि सब अमेरिका आधारित कंपनियाँ ही हैं, इसलिए उन्हें वहाँ कि सरकार के नियमों के अनुरूप ही वैश्विक पॉलिसी का निर्माण करना पड़ता है।
यही कारण है कि तमाम टेक कंपनियाँ इस असमंजस में हैं कि क्या वह अफगानिस्तान में ख़ुद को सरकार घोषित करने जा रहे तालिबान को अपने प्लेटफ़ॉर्म पर जगह दें या नहीं?
Google locks down Afghan govt email accounts – Report
और इसी कड़ी में अब Reuters की एक रिपोर्ट में ये सामने आया है कि Google ने कुछ अफगान सरकारी ईमेल अकाउंट्स को अस्थायी रूप से बंद कर दिया है क्योंकि तालिबान के सदस्यों द्वारा वहाँ कि पूर्व सरकार के अधिकारियों के ईमेल तक पहुंच हासिल करने का प्रयास किया जा रहा है।
वहीं गूगल (Google) ने शुक्रवार को ये बात मानी थी कि वह ई-मेल अकाउंट्स को सुरक्षित करने के लिए अस्थायी कार्रवाई कर रहा था। पर दिलचस्प रूप से कंपनी ने इन अकाउंट्स को पूरी तरह से लॉक करने की बात को स्वीकार नहीं किया।
असल में गूगल (Google) के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा,
“विशेषज्ञों की सलाह के आधार पर हम अफगानिस्तान की स्थिति का लगातार आकलन कर रहे हैं। और साथ ही हम कुछ अहम अकाउंट्स को सुरक्षित करने के लिए अस्थायी कार्रवाई कर रहे हैं, क्योंकि इन अकाउंट्स पर अनधिकृत पहुँच हासिल करने की जानकारी लगातार सामने आ रही है।”
लेकिन इस रिपोर्ट में कुछ सूत्रों के हवाले से ये सामने रखा गया कि गूगल ने पूर्व अफ़ग़ान सरकार से संबंधित कुछ ईमेल अकाउंट्स को पूरी तरह से बंद कर दिया गया था क्योंकि उनमें मौजूद जानकारी का इस्तेमाल पूर्व सरकारी अधिकारियों को ट्रैक करने और उन्हें नुक़सान पहुँचाने के लिए किया जा सकता था।
Reuters के मुताबिक़ अफगानिस्तान में स्थानीय सरकारों, राष्ट्रपति के कार्यालय, क़रीब दो दर्जन अधिकारी और कुछ मंत्रालयों में कम्यूनिकेशन के लिए गूगल की ईमेल सेवा का ही इस्तेमाल किया जाता है।
वहीं पूर्व सरकार के एक कर्मचारी ने Reuters को बताया कि तालिबान ने जुलाई के अंत में उससे उस मंत्रालय के डेटा को सेव करने के लिए कहा था, जिसमें पहले वह कार्यरत था।
जानकारो की मानें तो इन तमाम सरकारी डेटा का इस्तेमाल कर तालिबान पूर्व सरकारी अधिकारियों, कार्यकर्ताओं और कमजोर समूहों से बदला ले सकता है और उन्हें प्रताड़ित कर सकता है।