Vodafone Idea ने पुणे और गांधीनगर में शुरू किया ‘5G ट्रायल’

5G Test Bed

Vodafone Idea (Vi) 5G Trial: भारत की तीसरी सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी, वोडाफोन आइडिया (Vodafone Idea या Vi) ने पुणे और गांधीनगर में यूरोप आधारित एरिक्सन (Ericsson) और नोकिया (Nokia) के साथ मिलकर 5G ट्रायल की शुरुआत कर दी है।

इस बात की जानकारी देते हुए Vi के एमडी रविंदर टक्कर ने बताया कि कंपनी ने अपने मौजूदा 4G स्पेक्ट्रम के साथ 4G और 5G के बीच एक फीचर के रूप में डायनेमिक स्पेक्ट्रम शेयरिंग की टेस्टिंग की है।

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कंपनी ने पुणे और गांधीनगर में नए आवंटित 5G स्पेक्ट्रम पर अपने प्रमुख नेटवर्क पार्टनर, नोकिया (Nokia) और एरिक्सन (Ericsson) के साथ 5G टेस्टिंग को शुरू कर रही हैं। वहीं रविंदर के अनुसार;

“कंपनी ऐसे उपकरणों का इस्तेमाल कर रही है जो 5G नेट्वर्क के संबंध में रेडियो और कोर दोनों के लिए तैयार हैं। कंपनी के लिए सबसे फ़ायदेमंद ये है कि इसके लेटेस्ट 4G उपकरण ऐसे हैं, जिन्हें आसानी से अपग्रेड करके 5G के लिहाज़ से भी इस्तेमाल किया जा सकता है।”

कंपनी की मानें तो उसने ऐसी कई 5G तकनीकों को इस्तेमाल करने में सफ़लता पाई है, जो भविष्य के लिहाज़ से बेहद अहम साबित होती नज़र आएँगी जैसे – विशाल मिमो, डायनेमिक स्पेक्ट्रम रीफार्मिंग और कोर का क्लाउडिफिकेशन आदि।

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Vodafone Idea (Vi) 5G Trial: Jio और Airtel भी दे रहें हैं टक्कर

दिलचस्प ये है कि Reliance Jio और Airtel ने भी हाल ही में दिल्ली-एनसीआर व मुंबई में अपने-अपने 5G नेटवर्क की टेस्टिंग शुरू कर दी है।

इन टेस्टिंग के लिए एक ओर Reliance Jio जहां अपनी ख़ुद की तकनीक की मदद ले रहा है। वहीं साइबर हब कहे जाने वाले शहर गुरुग्राम में Airtel ने Ericsson के साथ मिलकर 3.5 गीगाहर्ट्ज (GHz) बैंड का इस्तेमाल करते हुए इसको अंजाम दिया है।

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आपको बता दें भारत के दूरसंचार विभाग (DoT) ने हाल ही में 700 MHz, 3.5 GHz और 26 GHz बैंड में 5G ट्रायल स्पेक्ट्रम को एयरटेल (Airtel), रिलायंस जियो (Reliance Jio) और वोडाफोन आइडिया (Vi) के बीच आवंटित किया था।

ज़ाहिर है इन ट्रायल के ज़रिए ये टेलीकॉम कंपनियों नेक्स्ट जेनरेशन के फास्ट वायरलेस ब्रॉडबैंड से भारतीय यूज़र्स को पूरी तरह से लैस करने से पहले अपनी क्षमताओं को परखने का काम कर रही हैं।

लेकिन ये 5G ट्रायल स्पेक्ट्रम का आवंटन Jio और Airtel के लिए कुछ ज़्यादा ही अहम हो जाता है, और उसका एक बड़ा कारण ये है कि इन दोनों कंपनियों के पास पहले से ही 5G-Ready नेटवर्क हैं।

लेकिन इसके बाद भी ये कंपनियाँ हाल ही में हुई नीलामी में महत्वपूर्ण एयरवेव्स (Airwaves) को अधिक से अधिक अपने पाले में रखना चाहती है, क्योंकि माहामारी के चलते जहाँ एक ओर डेटा की तेज़ी से बढ़ी खपत में भी ये काम आएँगीं, वहीं ये आगामी 5G रोलाउट के लिहाज़ से भी इन टेलीकॉम दिग्गजों को मदद करेंगी।

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