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महामारी की इस दूसरी लहर ने अप्रैल महीनें में 73.5 लाख भारतीयों से छीनी नौकरी

महामारी की इस दूसरी लहर ने अप्रैल महीनें में 73.5 लाख भारतीयों से छीनी नौकरी

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कोविड-19 महामारी ने लोगों को शारीरिक, मानसिक और आर्थिक रूप से काफ़ी नुक़सान पहुँचाया है ख़ासकर इस दूसरी लहर ने। भारत में इसके आर्थिक पहलुओं की बात करें तो फरवरी और मार्च में जहाँ देश में महामारी के चलते लोगों की नौकरियाँ जाने का आँकड़ा कम था वहीं अप्रैल, 2021 में दूसरी लहर के दौरान देश भर से कम से कम 73.5 लाख लोगों के जॉब्स (Jobs) गंवाने की बात सामने आई है।

सेंटर ऑफ मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के आंकड़ों से पता चलता है कि मार्च 2021 में वेतनभोगी और गैर-वेतनभोगी कर्मचारियों की संख्या 39.81 करोड़ थी, जो अप्रैल 2021 में कम होते हुए 39.08 करोड़ हो गई है।

Jobs को लेकर सामने आया आँकड़ा

वहीं आपको बता दें CMIE के अनुसार जनवरी 2021 में भारत में नौकरी-पेशा लोगों का यही आँकड़ा 40.07 करोड़ था, जो तब से लगातार कम हो रहा है।

वैसे एक सच ये भी है कि इस दूसरी लहर का सबसे घातक असर अप्रैल महीने से ही शुरू हुआ है जिसके चलते नौकरियों (Jobs) और बिज़नेस दोनों पर काफ़ी नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।

भारत में अप्रैल में लगातार रोजगार दर और श्रम बल की भागीदारी दर में गिरावट दर्ज की गई है और साथ ही साथ बेरोजगार होने वाले लोगों की संख्या भी दुर्भाग्यपूर्ण रूप से तेजी से बढ़ रही है।

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ज़ाहिर है इसका कारण साफ़ है, कोरोना के चलते देश भर के लगभग सभी हिस्सों में सरकारों ने कई तरह के प्रतिबंध लगाए हुए हैं, जिनके चलते बिज़नेस आदि पर काफ़ी प्रभाव पड़ रहा है। पर ये भी है कि ये प्रतिबंध किसी भी सरकार ने अपनी ख़ुशी से नहीं लगाए, बल्कि इन हालातों के आगे मजबूर होकर ही जान-माल की रक्षा को देखते हुए इनको लागू किया गया है।

लेकिन कारण या मजबूरी, हम कोई सा भी नाम दे दें, लेकिन इसका असर तो सीधा उन लोगों पर पड़ा है, जिनको अपनी नौकरियाँ गँवानी पड़ी हैं और उनके परिवार में अब आर्थिक तंगी जैसी स्थिति आ गई है।

CMIE के अनुसार, मार्च में रोजगार की दर 37.56% थी, जो अप्रैल में कम होते हुए 36.79% ही रह गई है। ग़ौर करने वाली बात ये है कि ये आँकड़ा पिछले चार महीनों में सबसे कम है।

इसके साथ ही जारी किए गए मासिक आंकड़ों के ज़रिए ये भी सामने आया है कि जो लोग बेरोजगार थे, वे अभी भी सक्रिय रूप से नौकरियों की तलाश नहीं कर पा रहें हैं, और ये आँकड़ा भी में 1.60 करोड़ से बढ़कर अप्रैल में 1.94 करोड़ हो गया है।

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भारत में Jobs के इन आँकड़ो के पीछे का कारण?

ध्यान देने वाली बात ये है कि पिछले साल 2020 में जब कोरोना महामारी तेज़ी से फैलना शुरू हुई थी, तो भी इसने ग्रामीण इलाक़ों में इतना असर नहीं किया था। लेकिन इस बार दूसरी लहर ने ग्रामीण इलाक़ों को भी नहीं छोड़ा है और अब वो भी शहरी इलाक़ों की तरह ही प्रभावित नज़र आ रहें हैं।

इसी के चलते मज़दूर तबका आदि भी अब शहर हो या गाँव, कहीं भी किसी भी तरह का काम करने में असमर्थ नज़र आ रहें हैं।

कई क्षेत्र जैसे रिटेल, ट्रैवल, कैब, हॉस्पिटैलिटी, टूरिज़म, इंफ़ोर्मल, व अन्य फ़ॉर्मल सेक्टर में अधिकतर श्रेणी के कर्मचारियों को प्रभावित होते देखा जा रहा है, क्योंकि इन पर लॉकडाउन जैसी स्थिति का ख़ासा प्रभाव पड़ता है।

आपको बता दें CMIE के मुताबिक़ अप्रैल में राष्ट्रीय बेरोजगारी दर 7.97% हो गई है, जो मार्च में  6.5% और फरवरी में 6.89% थी। वहीं शहरी बेरोजगारी दर भी अप्रैल में 9.78% हो गई जो मार्च में 7.27% थी।

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