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नागरिकों पर नज़र रखने के लिए है “Aarogya Setu” ऐप? दिल्ली हाईकोर्ट के एक हालिया ऑर्डर को लेकर उठा मुद्दा

नागरिकों पर नज़र रखने के लिए है “Aarogya Setu” ऐप? दिल्ली हाईकोर्ट के एक हालिया ऑर्डर को लेकर उठा मुद्दा

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भारत की आरोग्य सेतु (Aarogya Setu App) सहित दुनिया भर में कोविड-19 कांटैक्ट ट्रेसिंग ऐप के इस्तेमाल को लेकर लगातार काफी विवाद रहा है। और अब एक बार फिर से इस ऐप द्वारा देश में नागरिकों पर नज़र रखने या कहें तो सर्विलांस के लिए इस्तेमाल किए जाने की आशंकाओं को बल मिलता नज़र आ रहा है।

असल में भले आरोग्य सेतु (Aarogya Setu) पर लग रहे इन तमाम आरोपों का भारत सरकार ने शुरू से ही खंडन किया है, लेकिन अब दिल्ली हाईकोर्ट के एक नए आदेश के चलते कुछ और ही तस्वीर सामने आ रही है।

Umar Khalid को लेकर Delhi HC के फ़ैसले से फिर उठा Aarogya Setu से जुड़ा प्राइवेसी विवाद

15 अप्रैल को दिल्ली हाईकोर्ट ने उमर खालिद को 1967 के गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत उसकी गिरफ्तारी के सात महीने बाद जमानत दे दी है। बता दें UAPA के तहत आरोपों को अभी तक ख़ारिच नहीं किया गया है, लेकिन तमाम मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़ दिल्ली हाईकोर्ट ने ₹20,000 बॉन्ड भुगतान और इतनी हाई जमानत राशि के साथ उमर खालिद को जमानत देने का फैसला किया है।

जज़ाहिर है दिल्ली हाईकोर्ट ने सभी क़ानूनी प्रक्रियाओं के साथ ही क़दम बढ़ाया है, लेकिन ज़मानत की एक शर्त के चलते आरोग्य सेतु (Aarogya Setu App) पर लगने वाले नागरिकों के सर्विलांस संबंधित आरोपों को बल मिलता दिख रहा है।

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असल में अदालत ने ज़मानत की एक शर्त यह भी रखी है कि उमर खालिद को अपने मोबाइल फोन पर आरोग्य सेतु ऐप इंस्टॉल करना होगा।

इस बात में कोई शक नहीं है कि देश में वापस से कोविड-19 संक्रमण फैलने लगा है और ऐसे में कांटैक्ट ट्रेसिंग  बेहद ज़रूरी हो जाती है, लेकिन अदालत ने इस वजह से उमर ख़ालिद को ऐसे आदेश दिए हों? इस बात की संभावना थोड़ा कम ही नज़र आती है।

असल में पिछले एक साल से कोविड-19 संक्रमण फैला हुआ है, लेकिन तब तक ऐसे कोई मामले सामने नहीं आए हैं जिनमें किसी के सामने जमानत के लिए ऐसी कोई शर्त रखी गई हो?

ज़ाहिर सी बात है जानकार इस आदेश के बाद से ही ऐसी अटकलें लगाने लगें हैं कि शायद आरोग्य सेतु का इस्तेमाल कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा जमानत या अंडर-ट्रायल व्यक्तियों को ट्रैक करने के लिए किया जाता है।

असल में भले जमानत की शर्त केवल खालिद के लिए है, लेकिन अगर सर्विलांस जैसी बातें कथित रूप से सच होती हैं तो फिर Aarogya Setu को इस्तेमाल करने वाले क़रीब 10 करोड़

लोगों की प्राइवेसी आदि का क्या? क्या उन्हें इसके बारे में पहले से सूचित किया गया है? क्योंकि इस आदेश का मतलब है कि ऐप पर बिना कोविड-19 संक्रमण से प्रभावित हुए लोगों की भी निगरानी की जा सकती है या रही है, और दिलचस्प ये है कि सरकार लगातार ऐसे तमाम आरोपों से इनकार करती रही है।

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इसी कड़ी में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने ‘द आरोग्य सेतु डेटा एक्सेस एंड नॉलेज शेयरिंग प्रोटोकॉल, 2020‘ शुरू करते हुए Aarogya Setu ऐप की गैर-सर्विलांस प्रवृत्ति को सबके सामने लाने की कोशिश भी की है।

लेकिन वहीं गैर-स्वास्थ्य कारणों से भी आरोग्य सेतु ऐप का डेटा इस्तेमाल किए जाने की तमाम उदाहरण सामने आते रहे हैं। जम्मू और कश्मीर प्रशासन ने पिछले महीने स्वीकार किया था कि उसने केंद्र शासित प्रदेश के कुलगाम जिले में स्थानीय पुलिस के साथ आरोग्य सेतु ऐप द्वारा एकत्र किए गए यूज़र डेटा को शेयर किया है।

क्या है Aarogya Setu App?

अप्रैल 2020 में लॉन्च किया गया कांटैक्ट ट्रेसिंग ऐप, अरोग्या सेतु, संदिग्ध या कोरोनोवायरस पॉजिटिव मामलों के साथ संभावित मुलाक़ातों की पहचान करने के लिए ब्लूटूथ और जीपीएस-आधारित लोकेशन ट्रैकिंग का इस्तेमाल करता है। यह उन अन्य उपकरणों का पता लगाता है, जिन पर आरोग्य सेतु ऐप इंस्टॉल किया गया है और यूज़र को उस डिवाइस के पास जाने पर अलर्ट करता है।

दरसल ये मुद्दा इसलिए भी अहम हो जाता है क्योंकि हाल ही में भारत सरकार ने तमाम सोशल मीडिया दिग्गजों आदि पर यूज़र डेटा के साथ खिलवाड़ करने और बिना अनुमति के यूज़र का डेटा एक्सेस करने जैसी घटनाओं को रोकने के लिए काफ़ी गम्भीरता दिखाई है।

लेकिन इन कुछ तमाम उदाहरणों की वजह से कई लोगों के बीच Aarogya Setu App के यूज़र्स की प्राइवेसी व डेटा सुरक्षा को लेकर चर्चा फिर से तेज हो गई है और ऐसे में देखना ये होगा कि भारत सरकार इन तमाम आशंकाओं को कैसे दूर करने का प्रयास करती है?

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