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Google Pay पर जल्द ही भारतीय यूज़र्स डिलीट कर सकेंगें ‘ट्रांजैक्शन डेटा’

Google Pay पर जल्द ही भारतीय यूज़र्स डिलीट कर सकेंगें ‘ट्रांजैक्शन डेटा’

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Google ने गुरुवार (11 मार्च) को इस बात की घोषणा की है कि इसने भारतीय Google Pay यूज़र्स को अपने ट्रांजैक्शन डेटा (Transaction Data) पर अधिक कंट्रोल देने के लिए देश में अपनी पॉलिसी (Policy) को अपडेट किया है।

इसके ज़रिए कंपनी का मक़सद भारतीय यूज़र्स और रेगुलेटर्स की निजी डेटा के दुरुपयोग को लेकर बढ़ रही आशंकाओं को दूर करने का है।

ईटी की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, नई Google Pay प्राइवेसी पॉलिसी अगले हफ़्ते होने वाले ऐप अपडेट के साथ लागू हो जाएगी।

साफ़ कर दें कि ये नए पॉलिसी अपडेट फ़िलहाल सिर्फ़ व्यक्तिगत यूज़र्स पर लागू होगी, व्यापारियों पर ये लागू नहीं होगी, जिनके ट्रांजैक्शन डेटा को कंपनी सहमति के साथ क्रॉस-सेलिंग लोन आदि के लिए उपयोग करती है।

Google Pay New Privacy Policy Update

इस नई अपडेट के तहत व्यक्तिगत यूज़र्स को एक नया विकल्प पेश किया जाएगा, जिसके ज़रिए उदाहरण के लिए वह अपने आख़िरी 10 Unified Payments Interface (UPI) या कार्ड ट्रांजैक्शन डेटा को डिलीट कर सकेंगें, या Tokenised डेबिट/क्रेडिट कॉर्ड सिस्टम को अपना सकेंगें ताकि Google द्वारा उस डेटा को एक्सेस न किया जा सके।

क्या है Debit/Credit Card Tokenisation?

आपको बता दें क्रेडिट (या डेबिट) कार्ड Tokenisation असल में एक प्रक्रिया है, जिसके तहत किसी कंपनी के इंटरनल नेटवर्क से यूज़र्स का संवेदनशील डेटा पूरी तरह से डिलीट कर दिया जाता है और उसको किसी यूनिक प्लेसहोल्डर के साथ रिप्लेस कर दिया जाता है, जिसको टोकन कहते हैं।

मतलब मान लीजिए किसी का कॉर्ड नंबर 1234 5678 8765 4321 किसी कंपनी के इंटरनल सर्वर पर स्टोर किया गया, तो इस प्रक्रिया के बाद उदाहरण के लिए उसके कॉर्ड नंबर को E67TY8G327X ऐसे किसी यूनिक नंबर से रिप्लेस कर दिया जाएगा।

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साथ ही UPI के अलावा Google Pay उपयोगकर्ताओं को अपने स्मार्टफ़ोन से जुड़े टोकन डेबिट या क्रेडिट कार्ड के माध्यम से कांटैक्टलेस पेमेंट की भी सहूलियत देगा।

इसके साथ ही नयी Google Privacy Policy Update के तहत यूज़र्स इस तरह के कांटैक्टलेस पेमेंट आदि की हिस्ट्री भी डिलीट कर सकेंगें।

आपको बता दें फ़िलहाल Google Pay की वर्तमान प्राइवेसी पॉलिसी के अनुसार कंपनी पहले से ही ट्रांजैक्शन डेटा को थर्ड-पार्टी को न तो बेचती है और न ही टार्गेटेड विज्ञापनों को दिखाने के लिए Google के साथ भी डेटा शेयरिंग करती है।

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आपको बता दें Google Pay अमेरिका और सिंगापुर जैसे देशों में पहले से ही ऐसी अपडेट प्रदान कर चुका है, जो यूज़र्स को उनके डेटा पर अधिक कंट्रोल प्रदान करती हैं, लेकिन कंपनी के अनुसार क्योंकि भारत में उसका एक बहुत बड़ा उपयोगकर्ता आधार है इसलिए भारत में इसको पूरी तरह से पेश करने में समय अधिक लग रहा है।

इस बीच आपको बता दें भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के निर्देशों के अनुसार Google को भारत में स्थित सर्वरों पर क़रीब आख़िरी 10 सालों के UPI लेनदेन के डेटा को स्टोर करने की आवश्यकता है।

हाल के भारतीय डेटा की बात करें तो जनवरी में Google Pay ने जहाँ 853 मिलियन लेनदेन के साथ भारत में दूसरा स्थान हासिल किया था, वहीं PhonePe असल में 968 मिलियन लेनदेन प्रॉसेस करने वाला टॉप UPI पेमेंट ऐप बना था। बता दें उस महीने कुल 2.3 बिलियन UPI लेनदेन हुए थे।

भारत में पेमेंट सिस्टम प्रोवाइडर नहीं है Google Pay

दिलचस्प ये है कि भारतीय कानूनों के अनुसार Google Pay कोई लाइसेंस प्राप्त पेमेंट सिस्टम प्रोवाइडर के बजाय एक थर्ड-पार्टी बिचौलिये के रूप में रजिस्टर है।

असल में ज़्यादातर UPI ऐप्स जैसे Facebook का WhatsApp Pay या फिर Walmart का PhonePe आदि भारतीय नियमों के अनुसार पैसों को मैनेज नहीं कर सकते हैं, उन्हें सिर्फ़ मनी ट्रांजैक्शन की सुविधा प्रदान करने का अधिकार है।

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