Now Reading
अमेरिकी दिग्गज़ कंपनियों की भारत से अपील; विदेशी कंपनियों के लिए देश में एफ़डीआई नियमों को और सख़्त न करें

अमेरिकी दिग्गज़ कंपनियों की भारत से अपील; विदेशी कंपनियों के लिए देश में एफ़डीआई नियमों को और सख़्त न करें

amazon-to-invest-15-billion-more-in-india

आज Reuters के ज़रिए सामने आई एक रिपोर्ट के मुताबिक़, Amazon.com और Walmart सहित कई दिग्गज़ कम्पनियों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक अमेरिकी लॉबी ग्रुप ने भारत से यह अपील की है कि ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए विदेशी निवेश नियमों को फिर से सख्त न किया जाए।

दरसल देश में व्यापारियों द्वारा Amazon की भारतीय इकाई और Walmart का Flipkart में निवेश करने को लेकर देश के तय नियमों को दरकिनार करने का आरोप लगाया गया था, जिसके बाद से ही रिपोर्ट्स के अनुसार भारत नियमों में संशोधन करने पर विचार कर रहा है।

ज़ाहिर है भारत फ़िलहाल विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों को केवल खरीदारों और विक्रेताओं को जोड़ने के लिए एक बाज़ार के रूप में संचालित होने की अनुमति देता है, लेकिन स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि अमेरिकी दिग्गज कंपनियाँ चुनिंदा विक्रेताओं को बढ़ावा देते हैं और भारी ऑफ़र आदि की पेशकश कर छोटे स्थानीय खुदरा विक्रेताओं के लिए व्यापार को नुकसान पहुंचा रहे हैं।

आपको याद दिला दे 2018 में भारत ने अपने विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) नियमों को बदलकर विदेशी कंपनियों को उन विक्रेताओं के उत्पादों की पेशकश करने के लिए रोक दिया था जिनमें उनकी अहम इक्विटी हिस्सेदारी हो।

और Reuters के मुताबिक़ अब सरकार उन नियमों को फिर से और सख़्त कसने पर विचार कर रही है, जिसमें अब वो विक्रेताओं को भी इन कंपनियों के प्लेटफ़ॉर्म पर इजाज़त नहीं मिलेगी, जिनमे विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों की पैरेंट कंपनी तक की एक अप्रत्यक्ष हिस्सेदारी तक होगी।

साफ़ है कि अगर ऐसा होता है तो सबसे ज़्यादा नुक़सान Amazon को भी होगा क्योंकि ये भारत में अपने दो सबसे बड़े ऑनलाइन विक्रेताओं, Cloudtail और Appario में अप्रत्यक्ष हिस्सेदारी रखता है।

असल में 28 जनवरी को लिखे एक पत्र में Reuters की स्टोरी काहवाला देते हुए, यूएस – इंडिया बिजनेस काउंसिल (USIBC), जो यूएस चेंबर ऑफ कॉमर्स का हिस्सा, ने भारत सरकार से ई-कॉमर्स नियमों में और अधिक सख़्ती न बरतने का आग्रह किया है।

दरसल इन कंपनियों का मानना है कि एफडीआई के नियमों में किसी भी तरह के बदलाव से ई-कॉमर्स फर्मों को अपने स्तर से काफ़ी नुक़सान सहना पड़ सकता है।

See Also
google-ai-overviews-launching-in-india

USIBC ने भारत के DPIIT को ई-कॉमर्स नियमों को लेकर कंपनियों के साथ भी परामर्श करने के लिए कहा है।

दरसल कई ऐसी ई-कॉमर्स कंपनियों की थोक इकाई आदि हैं जो सीधे कंपनियों से थोक में समान ख़रीद उनको भारी ऑफ़र आदि के साथ अपनी ही हिस्सेदारी ई-कंपनियों की वेबसाइटों पर बेचती हैं।

अब देखना ये है कि भारत इस अनुरोध को किस प्रकार से लेता है, क्योंकि जहाँ एक तरफ़ देश इन बड़ी कंपनियों को भी भारत में और निवेश करने के अवसर देना चाहता है, वहीं सरकार ये भी नहीं चाहेगी कि देश के स्थानीय व्यापारी उससे नाराज़ हों?

©प्रतिलिप्यधिकार (Copyright) 2014-2023 Blue Box Media Private Limited (India). सर्वाधिकार सुरक्षित.