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Ola और Uber जैसे कैब सेवा प्रदाताओं के ‘सर्ज प्राइस’ पर भारत सरकार ने लगाई लिमिट; साथ ही पेश किए कुछ नए नियम

Ola और Uber जैसे कैब सेवा प्रदाताओं के ‘सर्ज प्राइस’ पर भारत सरकार ने लगाई लिमिट; साथ ही पेश किए कुछ नए नियम

काफ़ी समय से जिसकी चर्चा दबी ज़ुबान में की जा रही थी, आख़िरकार सरकार ने उसको अमली जामा पहना दिया है। जी हाँ! दरसल भारत सरकार ने Ola और Uber जैसे ऐप-आधारित कैब एग्रीगेटर्स द्वारा सर्ज प्राइस या कहें तो ज़्यादा माँग के समय किराए में वृद्धि करने की प्रथा को प्रतिबंधित कर दिया है।

ये वाक़ई ग्राहकों की काफ़ी लम्बे समय से की जा रही माँग को देखते हुए किया गया है। असल में 2018 में कम्यूनिटी आधारित सोशल नेटवर्क LocalCircles द्वारा किए गए एक सर्वे में ये पाया गया था कि इन ऑनलाइन कैब सुविधा का इस्तेमाल करने वाले उपयोगकर्ताओं के लिए सर्ज प्राइसिंग एक बड़ी समस्या है। साथ ही इसने बुकिंग कैन्सल करने वाले ड्राइवरों को लेकर भी समस्या का ज़िक्र किया था। कंपनी का दावा था कि ये सर्वे देश भर के 200 जिलों में लगभग 20,000 लोगों के साथ किया गया था।

बता दें गुरुवार को केंद्रीय परिवहन मंत्रालय ने मोटर Motor Vehicle Aggregator guidelines 2020 जारी की, जिसमें कहा गया कि इन कैब एग्रीगेटर्स को संबंधित राज्य सरकारों द्वारा निर्धारित बेस सिटी टैक्सी किराया का अधिकतम 1.5 गुना मूल्य वसूलने की ही अनुमति दी जाएगी।

वहीं सामान्य समय के दौरान जब कैब की मांग अधिक नहीं होती है, तब भारतीय नियामक के अनुसार अब से इन एग्रीगेटर्स को एक किराया चार्ज करने की अनुमति होगी जो बेस फेयर से 50 प्रतिशत कम होगा। नियामक ने यह भी बताया कि जिन शहरों में कोई निर्धारित किराया का आधार नहीं है, वहाँ ₹25 से ₹30 को बेस फेयर माना जाएगा। वहीं कैंसिलेशन चार्ज कुल दाम का 10 प्रतिशत निर्धारित किया गया है। यह ड्राइवर और सवारी दोनों के लिए होगा, जो अधिकतम ₹100 तक होगा।

आपको बता दें अब तक सरकार द्वारा ऐसा कोई भी नियम नहीं बनाया गया था, जिससे यह तय हो सके कि ये कैब सेवा प्रदाता कितना किराया ले सकतें हैं। लेकिन इस बीच पिछले साल Motor Vehicles (Amendment) Act के तहत केंद्रीय मंत्रालय ने दिशानिर्देशों को जारी किया था।

ये नई गाइडलाइनों के अनुसार ड्राइवर को पूरी होने वाली प्रत्येक सवारी के लिए कुल किराया का 80% देना होगा और बाक़ी एग्रीगेटर ख़ुद ले सकतें हैं। इसके साथ ही इसमें यह भी तय किया गया है कि किसी एग्रीगेटर के साथ एक ड्राइवर एक दिन में अधिकतम कितनी बुकिंग या सवारी कर सकता है। आपको बता दें इसके अनुसार एक दिन में अधिकतम चार राइड शेयरिंग इंट्रा-सिटी ट्रिप की और प्रत्येक वाहन के लिए प्रति सप्ताह इंटर-सिटी ट्रिप शेयर करने वाली अधिकतम दो राइड की ही अनुमति दी गई है।

इसके साथ ही केंद्र सरकार ने यह भी साफ़ किया है कि इन कैब एग्रीगेटर को 24×7 कंट्रोल रूम स्थापित करके यह सुनिश्चित करना होगा कि एग्रीगेटर हमेशा वाहन और कंट्रोल रूम के बीच बिना रुकावट संपर्क बनाए रखे।

साथ ही इन सेवा प्रदाताओं को उचित सुरक्षा प्रोटोकॉल का भी पालन करना होगा। उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि हर वाहन में जीपीएस काम कर रहा हो और चालक ऐप पर दिखाए गए निर्धारित मार्ग पर ही चल रहा हो। ज़ाहिर है यह क़दम महिलाओं की सुरक्षा के लिए बेहद अहम है।

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इसके साथ ही इन एग्रीगेटर को भारत में सर्वर पर स्टोर किए गए डेटा को कम से कम 3 महीने और अधिकतम 24 महीने के लिए स्टोर करना होगा। इसके साथ ही इन कंपनियों को कानून के तहत आवश्यक होने पर डेटा राज्य सरकार को उपलब्ध करवाना होगा और ग्राहक से संबंधित किसी भी डेटा का खुलासा उस ग्राहक की लिखित सहमति के बिना नहीं किया जा सकेगा।

इतना ही नहीं बल्कि बिना राज्य सरकार की इजाज़त और तमाम गाइडलाइनों का पालन किए बिना इन कैब सेवा प्रदाताओं को संचालन की अनुमति नहीं दी जाएगी। इतना ही नहीं बल्कि लाइसेंस कानून के नियमों का उल्लंघन करने पर ₹1 लाख तक का जुर्माना या लाइसेंस रद्द करने जैसी सजा भी दी जा सकती है।

आपको बता दें इस लाइसेंस को हासिल करने के लिए कैब एग्रीगेटर को कंपनी अधिनियम, 1956 या 2013 के तहत पंजीकृत होना चाहिए, या सहकारी समितियों अधिनियम, 1912 के तहत ड्राइवरों या मोटर वाहन मालिकों के संघ द्वारा गठित सहकारी समिति में रजिस्टर होना चाहिए। इतना ही नहीं इन एग्रीगेटरों को भारत में एक रजिस्टर्ड कंपनी के रूप में भी दर्ज होना चाहिए।

आपकी जानकारी के लिए बता दें इस सुविधा के लिए लाइसेंस शुल्क ₹5 लाख तय किया गया है जो पांच साल की अवधि के लिए वैध होगा।

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