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भारतीय एयरोस्पेस स्टार्टअप Agnikul Cosmos ने अपने रॉकेट लॉन्च टेस्टिंग के लिए Alaska Aerospace Corporation के साथ की साझेदारी

भारतीय एयरोस्पेस स्टार्टअप Agnikul Cosmos ने अपने रॉकेट लॉन्च टेस्टिंग के लिए Alaska Aerospace Corporation के साथ की साझेदारी

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इस बात में कोई शक नहीं है कि पिछले कुछ समय से भारत का निजी अंतरिक्ष उद्योग क्षेत्र काफ़ी तेज़ी से बढ़ता नज़र आया है, फिर वो चाहे इनोवेशन को लेकर हो या फिर ऐसे तमाम स्टार्टअप्स को मिलने वाले निवेश आदि जैसे समर्थन को लेकर।

और इसी कड़ी में अब एक और उदाहरण जुड़ा है एक चेन्नई स्थित एयरोस्पेस स्टार्टअप Agnikul Cosmos का भी। दरसल खुद को रॉकेट टेक्नॉलोजी के विशेषज्ञ के रूप में परिभाषित करने वाले Agnikul Cosmos ने Alaska Aerospace Corporation के साथ अपने ‘Agnibaan’ रॉकेट का परीक्षण शुरू करने के लिए एक अहम साझेदारी की है।

इस डील के तहत यह भारतीय रॉकेट-निर्माता स्टार्टअप अमेरिका में Kodiak Island के Alaska स्थित Alaska Aerospace के Pacific Spaceport Complex से अपने अग्निबाण (Agnibaan) रॉकेट का परीक्षण करने की अनुमति पा गया है। बता दें इसके पहले लॉन्च को साल 2022 के आसपास किए जाने की उम्मीद है।

डील के अनुसार दोनों संस्थाएं संबंधित सरकारों से आवश्यक अनुमति प्राप्त करेंगी। इस डील का मक़सद Pacific Spaceport Complex, Alaska से रॉकेट लॉन्च, स्पेसपोर्ट प्रक्रिया और कम से कम एक परीक्षण-लॉन्च करने का है।

Agnibaan फ़िलहाल विकास के स्तर पर ही है और एक बार बनने के बाद यह 100 किलो तक के पेलोड को पृथ्वी की कक्षाओं में 700 किमी तक ले जा सकेगा। Agnibaan रॉकेट मिशन की जरूरतों को पूरा करने के लिए इंजन कॉन्फ़िगरेशन को भी अपने अनुसार प्लग और प्ले कर सकता है। वहीं भारतीय स्टार्टअप की मानें तो अधिक ऊंचाई पर बसे Alaska बेस से लॉन्च करने पर रॉकेट को एक अतिरिक्त लाभ मिल सकेगा।

यह स्टार्टअप कस्टमाइज़ेबल रॉकेट सॉल्यूशन प्रदान करता है, जिससे ग्राहकों के कॉन्फ़िगरेशन और पेलोड के आधार पर “वाहन” को ढालने की अनुमति मिलती है। लॉन्चिंग क्षमताओं की बात करें तो Agnibaan रॉकेट को ख़ुद स्टार्टअप के ही अंडर-डेवलपमेंट मोबाइल लॉन्च प्लेटफॉर्म Dhanush से लॉन्च किया जा सकता है। Dhanush लॉन्च प्लेटफॉर्म को इस स्टार्टअप ने एक अलग प्रोडक्ट के रूप में बनाया गया है, जो लॉन्चिंग की प्रक्रिया को स्थिरता के साथ विश्वसनीय और वापस इस्तेमाल करने योग्य बनाता है।

Agnikul ने ट्विटर पर नई साझेदारी की घोषणा करते हुए कहा, “माननीय पीएम श्री मोदी जी को अपना #MadeInIndia समाधान पेश करने के ठीक एक साल बाद हमनें ये सफ़लता हासिल की है। आज, दुनिया भर के ग्राहकों के लिए एक वैश्विक समाधान के रूप में हमारे घरेलू प्रोडक्ट को आगे ले जाने के लिए हम उत्साहित हैं। Alaska Aerospace का शुक्रिया!”

इस बीच Agnikul Cosmos के सीईओ श्रीनाथ रविचंद्रन ने कहा;

“यह घोषणा असल में हमारी कंपनी द्वारा लॉन्चिंग को लेकर की जा रही लगातार प्रगति का सबूत है। यह हमारे लिए वैश्विक लॉन्चिंग सेवाओं के मंच पर मेड इन इंडिया प्रोडक्ट को पेश करने का बेहतरीन मौक़ा है।”

वहीं Alaska Aerospace के अध्यक्ष Mark Lester ने कहा;

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“हम Agnikul के साथ इस उड़ान की टेस्टिंग को लेकर बेहद उत्साहित हैं। Agnikul ने खुद को एक अग्रणी रॉकेट तकनीकी कंपनी के रूप में स्थापित किया है।”

आपको बता दें Agnikul Cosmos को औपचारिक रूप से 2017 में स्थापित किया गया था। यह चेन्नई के आईआईटी मद्रास स्थित National Center for Combustion R&D पर आधारित है। इसने Igniters और थ्रस्टर्स बनाने से शुरुआत की थी और 2018 में Airbus के एयरोस्पेस ऐक्सेलरेटर प्रोग्राम के हिस्से के रूप में इसका परीक्षण भी किया था। और फिर कुछ समय बाद कंपनी ने लॉन्च वाहनों का निर्माण भी शुरू कर दिया, जो पृथ्वी की कक्षाओं में सूक्ष्म और नैनोसैटेलाइट को लॉन्च करने में सक्षम हैं, और यह ग्राहकों की मांग के अनुसार बदलाव करने योग्य भी होते हैं।

हाल ही में जुलाई में Agnikul ने अपनी ग्राउंड स्टेशन सेवाओं का संचालन करने के लिए इटली की Leaf Space कंपनी के साथ भी डील की थी। यह पहले ही दक्षिण ऑस्ट्रेलिया में एक लॉन्च पोर्ट के साथ भागीदारी कर चुका है और निकट भविष्य में इस तरह की और साझेदारी करने का लक्ष्य लेकर चल रहा है।

यह भारतीय स्टार्टअप अब तेज़ी से बढ़ते निजी एयरोस्पेस उद्योग में अब सफलता का स्वाद चखता नज़र आने लगा है। अगस्त में Skyroot भारत में पहली निजी अंतरिक्ष कंपनी बन गई, जिसने अपने ऊपरी चरण के रॉकेट इंजन का सफलतापूर्वक परीक्षण किया। वहीं एक अन्य भारतीय अंतरिक्ष स्टार्टअप Pixxel ने भी इस महीने के अंत में अपने पृथ्वी इमेजिंग उपग्रहों को तैनात करने के लिए $5 मिलियन का निवेश हासिल कर लोगों का भरोसा जीता था।

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