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यूएई ने लॉंच किया अपना पहला मंगल उपग्रह Hope; अरब देशों के संदर्भ में अंतरिक्ष क्षेत्र में रचा एक नया इतिहास

यूएई ने लॉंच किया अपना पहला मंगल उपग्रह Hope; अरब देशों के संदर्भ में अंतरिक्ष क्षेत्र में रचा एक नया इतिहास

अंतरिक्ष जगत में एक और इतिहास गढ़ा गया है। दरसल 19 जुलाई को Emirates Mars Mission के एक तहत संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने अपना पहला ऑर्बिटर लॉन्च किया।

Christened ‘Hope’ (al-Amal in Arabic) नामक यह ऑर्बिटर फरवरी 2021 तक मंगल ग्रह की कक्षा में पहुंचने के लिहाज़ से तैयार किया गया है। ख़ास यह है कि यह सात महीनें की अंतरिक्ष यात्रा अब अरब के पहले इंटरप्लेनटरी अंतरिक्ष मिशन के तौर पर गढ़ी जाएगी। इस बीच आपको बता दें यह लॉंच दक्षिणी जापान के Tanegashima Space Center में Mitsubishi Heavy Industries Ltd  के HII-A रॉकेट द्वारा किया गया था।

बता दें लॉन्च के लगभग 56 मिनट 57 सेकंड बाद, जैसा कि तय किया गया था, लॉन्च वाहन से पेलोड अलग हो गया। आपको बता दें इससे पहले ख़राब मौसम के कारण दो बार यह लॉंच कैन्सल कर दिया गया।

लेकिन इसके लॉंच में जल्दबाज़ी इसलिए भी की गई, क्योंकि इस वक़्त ऑर्बिट के संदर्भ में मंगल और पृथ्वी एक-दूसरे के सबसे करीब होते हैं। ख़ास यह है कि मंगल ग्रह के ऑर्बिट में प्रवेश करने वाले 3 अंतरिक्ष मिशनों में से एक अब यूएई का है। इसमें बाक़ी दो चीन का Tianwen-1 और अमेरिका का Mars 2020 मिशन शामिल है।

आपको बता दें इस स्पेस प्रोजेक्ट की घोषणा Emirates के प्रेसिडेंट शेख खलीफा बिन जायद अल नाहयान ने जुलाई 2014 में की थी, जिसमें Emirates के इंजीनियरों की क्षमताओं का उपयोग करते हुए मंगल के वातावरण और मौसम के पैटर्न का अध्ययन करने का लक्ष्य बनाया गया था।

दरसल इस मिशन का प्राथमिक उद्देश्य असल में मंगल ग्रह पर एक वर्ष की समयावधि (687 पृथ्वी के दिन) के अंतर्गत अंतरिक्ष में मंगल ग्रह के वातावरण में हाइड्रोजन और ऑक्सीजन गैसों के घटने की प्रक्रिया का अध्ययन करना है, जो ग्रह में एक बड़े जलवायु परिवर्तन का कारण बन रहा है।

इसमें यूएई का Muhammed Bin Rashid Space Center इस ‘HOPE’ प्रोजेक्ट में एक अहम भूमिका निभा रहा है। इसको लेकर  प्रोजेक्ट मैनेजर ओमान शराफ ने कहा,

“यह अरब के युवाओं को एक बहुत ही मजबूत संदेश देता है कि यदि यूएई 50 वर्षों से कम समय में मंगल ग्रह तक पहुंचने में सक्षम है, तो वे आगे और भी बहुत कुछ कर सकते हैं।”

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ज़ाहिर है कि मंगल ग्रह एक मुश्किल जगह है। इसके पहले भी कई मिशन हुए हैं, लेकिन उनमें से लगभग 60% लोग तय ऑर्बिट में प्रवेश करने में विफल रहे हैं। अपने पहले ही प्रयास में मंगल ग्रह तक पहुंचने में सफल होने वाला एकमात्र देश भारत था, जब सितंबर 2014 में देश के मार्स ऑर्बिटर मिशन के तहत सफलतापूर्वक ऑर्बिट में प्रवेश किया गया था।

इस बीच यूएई भी लगातार अपनी अंतरिक्ष क्षमताओं को बढ़ा रहा है, विशेष रूप से पिछले एक दशक में। वर्तमान में देश के 9 उपग्रह हैं जो अंतरिक्ष में तैनात हैं और आने वाले सालों में यह संख्या और भी बढ़ती नज़र आ सकती है।

और सबसे दिलचस्प बात यह है कि हाल ही में ही इसने अपने एक नागरिक को एक अंतरिक्ष मिशन में शामिल होने के लिए International Space Station भेजा है।

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