संपादक, न्यूज़NORTH
चीजों को प्रतिबंधित करने वाले अपने रवैए को अपनाए रखते हुए आख़िरकार अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने प्रतिक्रियात्मक कदम के रूप में आज एक नए कार्यकारी आदेश पर साइन कर दिए हस्ताक्षर किए हैं। अब इस आदेश के ज़रिए अमेरिका को ऑनलाइन भाषण की स्वतंत्रता पर काफी हद तक लगाम रखनें में मदद मिलेगी।
बता दें कल रात ही घोषित किए गये इस कार्यकारी आदेश का मक़सद सेक्शन 230 के रूप में जाना जाने वाले एक कानून के प्रावधान को कमजोर करना बताया जा रहा है, जो मुख्यतः सोशल मीडिया कंपनियों को उनके उपयोगकर्ताओं द्वारा पोस्ट किए गये कांटेंट की किसी गम्भीर ज़िम्मेदारी से मुक्त करता था।
इस बीच ट्रम्प के साथ साइन करने वक़्त अटॉर्नी जनरल William Barr भी मौजूद रहे। आपको बता दें Barr को सोशल मीडिया कंपनियों द्वारा प्राप्त स्वतंत्रता के एक बड़े आलोचक के रूप में देखा जाता रहा है और उम्मीद के मुताबिक़ उन्होंने भी सेक्शन 230 द्वारा सोशल मीडिया कंपनियों को मिलने वाली सुरक्षा को सीमित करने के पक्ष में ही बात की।
आपको बता दें Communications Decency Act के सेक्शन 230 कानून के तहत मूल रूप से Twitter और Facebook अपने उपयोगकर्ताओं द्वारा पोस्ट किए गये किसी भी कांटेंट के लिए ज़िम्मेदार नहीं ठहराए जा सकतें हैं।
इतना ही नहीं बल्कि ट्रम्प लंबे समय से Twitter पर रूढ़िवादी विचारों को टार्गेट करके सेंसर करने और रोकने का भी आरोप लगाते रहें हैं। पर आपको बता दें Twitter के ख़िलाफ़ ऐसे आरोपों के कोई सबूत नहीं मिलें हैं कि जहां कंपनी ने मनमानें तरिकें से कोई सेंसरशिप की हो, लेकिन इसके बाद भी ट्रम्प के तमाम समर्थक और साथ राजनेता भी Twitter पर ऐसे आरोप लगाते आ रहें हैं।
दरसल यह मुद्दा पिछले दिनों तक तूल पकड़नें लगा जब Twitter ने अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प के एक ट्वीट को फ़ैक्ट-चेक फ़्लैग से मार्क कर दिया था। जिसके बाद ट्रम्प ने Twitter को बैन करने और भारी ख़ामियाज़ा भुगतने की धमकी दी थी।
इस बीच ट्रम्प ने इस नए आदेश पर साइन करते हुए कहा;
“Twitter जब भी चाहता है अपनी मर्ज़ी से किसी भी Tweet आदि को ब्लैकलिस्ट या एडिट कर देता है, ऐसा लगता है कि यह प्लेटफ़ोर्म सिर्फ़ एक एडिटर के विचार को बढ़ावा देने वालें प्लेटफ़ोर्म की तरह है ही है, और यही बात Google और Facebook के लिए भी कही जा सकती है।”
बेशक Twitter ने दूसरी ओर इस ने आदेश को लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी है, और इस आदेश को “प्रतिक्रियावादी” और “राजनीतिक” करार दिया है। कंपनी ने कहा,
“यह EO (कार्यकारी आदेश) एक लैंडमार्क कानून के लिए एक प्रतिक्रियावादी और राजनीतिक दृष्टिकोण से उठाया कदम है। #Section230 अमेरिकी इनोवेशन और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करता है, और यह लोकतांत्रिक मूल्यों को दर्शाता है। एक पक्षीय तरीक़े से इसको ख़त्म करने का प्रयास ऑनलाइन भाषण और इंटरनेट की स्वतंत्रता के भविष्य के लिए बड़ा खतरा है।”
This EO is a reactionary and politicized approach to a landmark law. #Section230 protects American innovation and freedom of expression, and it’s underpinned by democratic values. Attempts to unilaterally erode it threaten the future of online speech and Internet freedoms.
— Global Government Affairs (@GlobalAffairs) May 29, 2020
इतना ही नहीं बल्कि इसमें Google ने भी इस आदेश के खिलाफ तुरंत एक बयान जारी किया। Google प्रवक्ता ने कहा;
“हमारे प्लेटफार्मों ने राजनीतिक स्पेक्ट्रम ने लोगों और संगठनों की एक विस्तृत श्रृंखला को सशक्त बनाया है, जिससे उन्हें अपनी आवाज को दर्शकों तक पहुँचानें में मदद मिलती है। लेकिन इस तरह से सेक्शन 230 को कमजोर करने से अमेरिका की अर्थव्यवस्था और इंटरनेट स्वतंत्रता को लेकर उसके ही वैश्विक नेतृत्व को नुकसान होगा।”
आपको बता दें इस कार्यकारी आदेश को “Executive Order on Preventing Online Censorship” का शीर्षक दिया गया है, जिसके अनुसार देश “भाषणों को चुनने के लिए ऑनलाइन प्लेटफार्मों के एक समूह को अनुमति नहीं देगा। क्योंकि इस आदेश में इस तरह की अनुमति को “अलोकतांत्रिक और ग़ैर-अमेरिकी” कहा गया है।
वहीं विशेषज्ञों का तर्क है कि सेक्शन 230 को हटाने के लिए प्रशासन को बहुत सी मुश्किल का सामना करना पड़ेगा। दरसल यह आदेश अन्य देशों में भी समान कानूनों/आदेशों के रूप में लागू हो सकता है, जो सोशल मीडिया कंपनियो के लिए ख़तरे की घंटी है।