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Facebook दे रहा है COVID-19 से जुड़ी ‘अफ़वाहों’ व ‘ग़लत जानकरियों’ वाले विज्ञापनों को प्लेटफार्म पर मंजूरी: रिपोर्ट

Facebook दे रहा है COVID-19 से जुड़ी ‘अफ़वाहों’ व ‘ग़लत जानकरियों’ वाले विज्ञापनों को प्लेटफार्म पर मंजूरी: रिपोर्ट

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दुनिया भर के सोशल मीडिया जगत में अग्रणी कंपनी Facebook पर हमेशा अपने प्लेटफार्म पर अफवाहों और भ्रामक जानकरियों को फ़ैलाने के आरोप लगते रहें हैं। लेकिन दुखद यह है कि यह दिग्गज सोशल मीडिया कंपनी अब तक कोई ठोस कदम उठाते हुए ऐसी अफवाहों को रोकने संबंधी मजबूत प्रयास करते नज़र नहीं आई है।

और शायद यही कारण है कि दुनिया भर में मौजूदा समय में चल रही महामारी की स्थिति के बीच भी इस कंपनी के प्लेटफार्म पर महामारी से जुड़े भ्रामक और गलत तथ्यों पर आधारित विज्ञापन चल रहें हैं।

जी हाँ! दरसल Consumer Reports की एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका में स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कोरोनो वायरस महामारी के बारे में गलत जानकारी और उपचार इत्यादि के सोशल मीडिया में तेजी से फैलने पर काफी चिंता जताई है।

साथ ही इस रिपोर्ट में ऐसी अफ़वाहें और ग़लत जानकरियां फ़ैलाने के लिए सोशल मीडिया को एक बड़े हथियार के तौर पर बताया गया है।

लेकिन इस रिपोर्ट में जो एक बात सबसे दिलचस्प निकल कर सामने आई वह यह कि Facebook खुद भी ऐसी गलत सूचनाओं से भरे विज्ञापनों को अपने प्लेटफार्म पर मंजूरी दे रहा है।

दरसल रिपोर्ट की माने तो भले Facebook द्वारा बीते कुछ हफ़्तों से COVID-19 से जुड़ी अफवाहों से लड़ने के दावे किये जा रहें हो, लेकिन Facebook सहित इसके अन्य प्लेटफार्म जैसे Instagram और WhatsApp पर काफी तेजी से ऐसी अफवाहों को फ़ैलाने का काम किया जा रहा है।

और NPR के साथ हाल ही में Facebook के वैश्विक मामलों और संचार के उपाध्यक्ष Nick Clegg के किये गये एक साक्षात्कार में ऐसी दो ग़लत सूचनाओं का खंडन किया गया, जो कंपनी के दावों से अलग प्लेटफार्म पर अफवाहजनक सन्देश के रूप में फ़ैल रही हैं। पहली गलत खबर यह कि कोरोना वायरस से बचने के लिए लोगों से ब्लीच पीने की अपील और दूसरी सोशल डिस्टेंसिंग को प्रभावी कदम न बताते हुए इसको न मानने अपील।

दरसल Consumer Reports की इस रिपोर्ट में किये गये एक दावे के अनुसार COVID-19 से जुडी उपरोक्त दो गलत सूचनाओं और अन्य फेंक ख़बरों के साथ Facebook में करीब सात विज्ञापनों की एक सीरीज़ रन करने की कोशिश की गयी।

और दुर्भाग्यपूर्ण यह रहा कि Facebook ने इन विज्ञापनों को मंजूरी भी दे दी। साथ ही Facebook ने इन सभी विज्ञापनों पर किसी भी तरह का कोई चेतावनी फ़्लैग भी मार्क नहीं किया। हालाँकि इसके बाद महज़ Facebook के दावों की जांच के लिए चलाये गए इन विज्ञापनों को विज्ञापनकर्ता द्वारा खुद ही हटा दिए गया ताकि लोगों तक यह गलत जानकारी न पहुँच सके।

रिपोर्ट में Facebook के दावों की जांच के इरादे से इन विज्ञापनों को चलाने वाले विज्ञापनकर्ता ने बताया कि इन विज्ञापनों में से कुछ के सब-टाइटल में था, ’30 साल से कम उम्र वाले लोग सुरक्षित हैं और वह स्कूल, ऑफिस और पार्टी इत्यादि में जा सकते हैं।’ हालाँकि इसमें कहीं भी कोरोना वायरस का जिक्र नहीं किया गया। लेकिन एक दूसरे विज्ञापन का शीर्षक रखा गया, “कोरोना वायरस महज़ एक धोखा है।”

लेकिन इसके बाद भी इस विज्ञापनों को मंजूरी दे दी गयी। लेकिन Consumer Reports ने जब Facebook से इस मामले को लेकर संपर्क किया तब Facebook ने विज्ञापन चलने के लिए इस्तेमाल किये गये पेज को हटा दिया और बताया कि सभी सातों विज्ञापन Facebook की नीतियों का उल्लंघन करते हैं, लेकिन Facebook ने साफ़ तौर पर वह नियम नहीं बताएं, कि आखिर कौन सी नीतियों के तहत ऐसा किया गया?

Facebook के प्रवक्ता ने कहा;

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“हमनें COVID-19 से संबंधित हमारी नीतियों का उल्लंघन करने वाले लाखों विज्ञापनों को बैन किया है, और हम लगातार अपने सिस्टम को और बेहतर करने के प्रयास कर रहें हैं ताकि इस आपातकाल की स्थिति में गलत सूचनाओं को फैलने से रोका जा सके।”

हालाँकि इसको लेकर कई और पहलु भी सामने आने लगें हैं। दरसल Facebook के अनुसार इस महामारी की स्थिति में उसके अधिकांश कमर्चारी घर से ही काम कर रहें हैं। जिसके चलते कंपनी के कामों में थोड़ी बहुत लचरता दर्ज की जा रही है।

वहीँ इसका एक पहलु कंपनी द्वारा विज्ञापनों के लिए इस्तेमाल की जाने वाली ऑटोमेटेड स्क्रीनिंग भी है। दरसल ऐसे कई दावे पेश किये जा रहें हैं कि इस ऑटोमेटेड स्क्रीनिंग प्रणाली में सिर्फ ऐसे ही फोटो आधारित विज्ञापनों को रोका जा रहा है, जिनमें मास्क इत्यादि दर्शाए गये हों।

वहीँ इस बीच यह मुद्दा बेहद गंभीर बन जाता है, क्यूंकि सोशल मीडिया में सामान्य तौर पर गलत सूचनाओं को रोकना तो एक बड़ी चुनौती है ही, लेकिन मौजूदा COVID-19 जैसे हालातों में कम से कम Facebook जैसे अत्यधिक प्रभावशाली सोशल मीडिया प्लेटफार्म को विज्ञापनों के लिहाज़ से अपनी स्क्रीनिंग प्रकिया को और भी सटीक बनाने की आवश्यकता है, ताकि किसी भी प्रकार की अफवाह या गलत सूचनाओं के चलते हालात और भी बुरे न बन जाएँ।

इस बीच बहुत से लोगों की राय यह भी है कि Facebook को फ़िलहाल COVID-19 से जुड़े विज्ञापनों के लिए मैन्युअल स्क्रीनिंग का प्रबंध करना चाहिए, जिससे गलत ख़बरों और सूचनाओं पर रोक को और मजबूत ढंग से सुनिश्चित किया जा सके।

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