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चीन ने लगाया अपने सरकारी ऑफिसों में ‘विदेशी सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर’ पर प्रतिबंध

चीन ने लगाया अपने सरकारी ऑफिसों में ‘विदेशी सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर’ पर प्रतिबंध

व्यापार हो या तकनीक चीन किसी भी तरह की जंग में खुद को एक कदम आगे रखने की कोशिशें करता रहा है। और एक बार फ़िर चीन ने अपनी इस सोच को जाहिर किया है।

जी हाँ! दरसल तेजी से बढ़ते तकनीकी युद्ध में अपनी बढ़त स्थापित करने के लिए चीन अब जल्द ही अपने सभी सरकारी ऑफिसों से सभी विदेशी कंप्यूटर हार्डवेयर और ऑपरेटिंग सिस्टम को बैन करने जा रहा है। अगले तीन वर्षों में इन सभी को बदलने की प्रक्रिया को पूरा कर लिया जाएगा।

हालाँकि पहले भी चीन कई बार ऐसी कोशिशें करता नज़र आया है, लेकिन अब पश्चिमी टेक्नोलॉजी के प्रभाव से खुद को अलग करने के लिए चीन नए तरीके से और गंभीर प्रयास करता दिखाई दे रहा है।

एक फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार यह आदेश चीनी सरकार में हाई-लेवल द्वारा साल के शुरू में ही पारित किया गया था।

हालाँकि दिलचस्प रूप से चीन के इस कदम का लक्ष्य सिर्फ़ अमेरिकी और यूरोपीय सॉफ्टवेयर व ऑपरेटिंग सिस्टम को ही नहीं बल्कि उनके हार्डवेयर को भी बैन करने का है।

आपको याद दिला दें चीन में सरकार द्वारा आज से करीब पांच साल पहले Android और Windows से देश को मुक्त करने के भी प्रयास किये गये थे, हालाँकि बाद में जो विफ़ल साबित हुआ।

लेकिन अब हालात अलग हैं। अमेरिका और चीन के बीच संबंध विशेष रूप से तकनीकी रूप से काफ़ी तनावपूर्ण हो गए हैं, और अब ये देश प्रतिद्वंदी से ज्यादा एक-दूसरे विरोधी बन गये हैं। 

इस बीच आपको फ़िर से याद दिला दें कि हाल ही में ही अमेरिका ने भी कुछ बड़े चीनी हार्डवेयर प्रदाताओं, जैसे ZTE और Huawei पर प्रतिबंध लगा दिया है।

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हालाँकि Huawei ने इसको अमेरिकी सरकार का एक “असंवैधानिक” फ़ैसला कहा था।

और इसके बाद चीनी सरकार का यह कदम शायद ही आपको इतना हैरान करें, साथ ही हम आपको बता दें इस आदेश के अनुसार चीनी सरकार का लक्ष्य 2020 के अंत तक 30% कंप्यूटर और सॉफ्टवेयर को बदलने का, 2021 में अतिरिक्त 50% और 2022 में शेष 20% को बदलने का है।

हालाँकि हम एक बात फ़िर से दोहराना चाहेंगें की चीन का यह फ़ैसला किसी भी रूप से चौंकाने वाला तो नहीं कहा जा सकता है, क्यूंकि यह जगजाहिर है कि चीन काफी समय से अपने देश को अमेरिकी कंपनियों से मुक्त बनाने के विकल्प तलाशता रहा है।

और ऐसा लगता है कि कई चीनी कंपनियां इसको लेकर काफी समय पहले से तैयार है और वह सरकार के इस फैसले को और भी सफ़ल बनाने के लिए देश में ही निर्मित सॉफ्टवेर और हार्डवेयर तकनीक को बढ़ावा देती नज़र आयेंगी।

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