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भारत सरकार WhatsApp पर फ़ेंक संदेशों को ट्रेस करने के लिए कर रही है IT Act में बदलाव

भारत सरकार WhatsApp पर फ़ेंक संदेशों को ट्रेस करने के लिए कर रही है IT Act में बदलाव

सरकार WhatsApp जैसे मैसेजिंग प्लेटफ़ॉर्मो पर नकेल कसने की पूरी तैयारी कर चुकी है। जी हाँ! एक बार फ़िर से सरकार ने अपनी मंशा साफ़ करते हुए एक बड़ा ऐलान किया है। 

दरअसल सरकार ने बुधवार को कहा कि वह WhatsApp जैसे प्लेटफार्मों पर फ़ेंक और गलत मैसेजों को रोकने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी नियम, 2011 के आईटी अधिनियम, 2000 में संशोधन करने का प्रस्ताव पेश करने जा रही है।

इस प्रस्तावित संशोधन के तहत अब ज़िम्मेदार संस्थाओं को यह जानने का हक़ होगा कि आखिर गलत संदेश को ऐसे प्लेटफ़ॉर्म में तेजी से फ़ैल रहें हैं, उनका सोर्स आखिरक्या है या कहें तो आखिर कौन उन्हें फैला रहा है।  

असल में इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय ने लोकसभा में एक सवाल के जवाब में इस बात की घोषणा करते हुए कहा कि ऐसे गलत संदेश फ़ैलाने वाले लोगों पर ही अंकुश लगाने के मकसद से यह प्रस्ताव पेश किया जा रहा है।

साथ ही कहा गया कि WhatsApp इस सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम, 2000 की परिभाषा के तहत एक मध्यस्थ के तौर पर इसके दायरे में आता है है।

आपको बता दें इस संशोधन के मसौदे को दिसंबर 2018 में सार्वजनिक किया गया था और सरकार ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि 15 जनवरी, 2020 तक इसको एक अंतिम रूप देने की योजना बनायीं गई है।

पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल पर एक अन्य सवाल के जवाब में MeitY ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज, जस्टिस बीएन श्रीकृष्ण ने अपनी रिपोर्ट और ड्राफ्ट बिल में पर्सनल डेटा को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत करने का प्रस्ताव रखा है, पर्सनल डेटा, सेंसिटिव डेटा और महत्वपूर्ण व्यक्तिगत डेटा।

और साथ ही सरकार की भी मंशा है कि अंतिम विधेयक में भी इसी प्रकार डेटा का स्वरुप तय किया जाए।

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संसद के भीतर जवाब में कहा गया,

“समिति द्वारा प्रस्तावित तर्ज पर भी व्यक्तिगत डेटा को व्यक्तिगत, संवेदनशील व्यक्तिगत और महत्वपूर्ण व्यक्तिगत डेटा की तीन श्रेणियों में वर्गीकृत करने की योजना बनायीं जा रही है।”

इस बीच साइबर अपराधों के डेटा पर बात करते हुए MeitY की ओर से लोकसभा को बताया गया कि इस साल अक्टूबर तक भारतीय कंप्यूटर इमर्जेंसी रिस्पांस टीम (Cert-In) द्वारा अब तक कुल 3,13,649 साइबर सुरक्षा से जुड़े मामले दर्ज किये गये हैं। 

जो 2016, 2017 और 2018 के दौरान क्रमशः 50,362, 53,117 और 208,456 रहे। इसमें फ़िशिंग, नेटवर्क स्कैनिंग और वायरस / ख़तरनाक कोड और वेबसाइट हैकिंग सहित 208,456 घटनाएं भी शामिल रहीं।

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