Supreme Court’s decision regarding credit card interest: क्रेडिट कार्ड उपयोग करने वाले उपभोक्ताओं के लिए बुरी खबर है, अब से उन्हें क्रेडिट कार्ड के बिल पेमेंट लेट होने पर 36-50 फीसदी तक का ब्याज देना पड़ सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय उपभोक्ता अदालत के साल 2008 के फैसले को खारिज करते हुए बैंकों का क्रेडिट कार्ड पर ज्यादा ब्याज वसूलने की इजाजत दे दी है। अभी तक क्रेडिट कार्ड लेट फीस पैनल्टी के रूप में अधिकतम लिमिट 30 फीसदी तक तय की गई थी। यह लिमिट 2008 में नेशनल कंज्यूमर डिस्प्यूट्स रिड्रेसल कमीशन (NCDRC) ने तय की थी।
समय पर क्रेडिट कार्ड पेमेंट न (Supreme Court’s decision credit card) चुकाना पड़ेगा महंगा
यदि कोई उपभोक्ताओं क्रेडिट कार्ड बिल का भुगतान तय समय सीमा में नहीं करता है, तो उसे अब 50% तक पैनल्टी चुकानी पड़ेगी। सुप्रीम कोर्ट ने 20 दिसंबर को इस बारे में आदेश जारी कर दिया है। उक्त फैसला जस्टिस बेला त्रिवेदी और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की अगुवाई वाली बेंच ने दिया है। एनसीडीआरसी ने उपभोक्ताओं को संरक्षण देने के लिए बैंकों के ऊपर क्रेडिट कार्ड में तय समय सीमा पर बिल न चुकाने वाले उपभोक्ताओं से अधिकतम 30% सालाना ब्याज दर लेने की लिमिट को तय किया था।
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इस फैसले के खिलाफ स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक, सिटी बैंक, अमेरिकन एक्सप्रेस और हांगकांग एवं शंघाई बैंकिंग कॉरपोरेशन (एचएसबीसी) जैसे बैंकों ने सुप्रीम कोर्ट की ओर रुख किया था।कोर्ट ने NCDRC की ब्याज दर लिमिट को रद्द करते हुए बैंको के पक्ष में फैसला सुनाया है।
2008 में इस आधार पर ब्याज दर लिमिट तय हुई थी
भारत में NCDRC ने 2008 में बैंको के ऊपर क्रेडिट कार्ड भुगतान में देरी पर पेनल्टी दर तय विदेशों में लिए जानें वाले ब्याज दरों के अनुसार तय की थी। NCDRC ने पाया था कि अमेरिका ब्रिटेन जैसे विकसित देशों में पेनल्टी ब्याज दर 9.99% से 17.99% फीसदी के बीच है तो ऑस्ट्रेलिया में यह 18% से 24% फीसदी है। फिलीपींस, इंडोनेशिया और मेक्सिको जैसे विकासशील देशों में यह 36% से 50% फीसदी है, ऐसे में भारत जैसे बड़े और विकासशील देश में उच्चतम ब्याज दर अपनाने का कोई औचित्य नहीं है।