संपादक, न्यूज़NORTH
India Questions Elon Musk Starlink After $4.2 Billion Drug Bust: भारत के इतिहास की सबसे बड़ी ड्रग जब्ती के मामले में अब एक नया तकनीकी पहलू जुड़ता नजर आ रहा है। सामने आ रही जानकारी के मुताबिक, हाल ही में पुलिस ने लगभग $4.2 बिलियन की ड्रग की तस्करी के मामले में इंटरनेट कनेक्टिविटी प्रदान करने वाली एलन मस्क की कंपनी Starlink के एक डिवाइस के इस्तेमाल का खुलासा किया है। इतना ही नहीं बल्कि रिपोर्ट्स के अनुसार, पुलिस ने Starlink से उस ग्राहक की जानकारी मांगी है जिसने यह डिवाइस खरीदा था।
आपको बता दें, नवंबर के अंत में अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के अधिकारियों ने एक म्यांमार की नाव पर छापा मारकर लगभग 6,000 किलोग्राम से अधिक ड्रग जब्त की थी। यह मादक पदार्थ भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में लगभग $4.2 बिलियन की मूल्य का बताया गया। भारत द्वारा Starlink से इस मामले में कथित पूछताछ संबंधित तमाम जानकारी रॉयटर्स की एक हालिया रिपोर्ट की मदद से सामने आई है।
Starlink & Drug Case Connection in India
कार्यवाई के दौरान जब पुलिस ने नाव की जांच की तो उस दौरान उन्हें Starlink Mini डिवाइस के इस्तेमाल का भी पता लगा। बताया जा रहा है कि इस डिवाइस का इस्तेमाल तस्करों ने नेविगेशन और इंटरनेट कम्यूनिकेशन के लिए किया। दिलचस्प रूप से यह पहली बार है जब Starlink डिवाइस का उपयोग भारतीय जल क्षेत्र में मादक पदार्थों की तस्करी के लिए किया गया है।
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रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस ने 4 दिसंबर को Starlink को एक कानूनी नोटिस भेजा। इसके तहत संबंधित डिवाइस को ख़रीदने वाले ग्राहक का नाम, भुगतान के तरीके, डिवाइस का रजिस्ट्रेशन डिटेल और डिवाइस के इस्तेमाल की लोकेशन जैसी तमाम जानकारी मांगी गई है। अधिकारियों का मानना है कि यह जानकारी तस्करों के पूरे नेटवर्क को उजागर करने में मदद कर सकती है। इतना ही नहीं बल्कि, पुलिस ने कंपनी से उस ई-मेल और मोबाइल नंबर की जानकारी भी मांगी है, जो इस स्टारलिंक अकाउंट से जुड़ा हुआ था।
Starlink की भारत में एंट्री
यह सब ऐसे समय में हो रहा है जब पिछले कुछ महीनों से एलन मस्क के मालिकाना हक वाली कंपनी Starlink भारत में अपनी सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सेवाएं शुरू करने की कोशिशें कर रही है। Starlink का दावा रहा है कि उसके डिवाइस अंतर्राष्ट्रीय जलक्षेत्र में भी काम कर सकते हैं, जिससे यह समुद्री यात्राओं के लिए बेहद मददगार साबित हो सकते हैं। लेकिन जाहिर है इस तकनीक का इस्तेमाल तस्करी जैसे अवैध कामों में भी होना शुरू हो गया है, जो एक बड़ी चुनौती बन सकती है।