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Aakash Institute के AoA संशोधन पर रोक बरकरार, NCLAT ने हटाने से किया इनकार

Aakash Institute के AoA संशोधन पर रोक बरकरार, NCLAT ने हटाने से किया इनकार

  • Aakash Institute के आर्टिकल्स ऑफ एसोसिएशन (AoA) में संशोधन को लेकर विवाद
  • Aakash की ओर से कहा गया, Think & Learn (Byju's) की तरह डूबना नहीं चाहते
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Aakash Institute AoA Amendment NCLAT Case: नामी कोचिंग संस्थान Aakash Institute से जुड़ी एक अहम कानूनी लड़ाई में नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) ने शुक्रवार को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) के उस आदेश को हटाने से इनकार कर दिया, जिसमें इंस्टीट्यूट के आर्टिकल्स ऑफ एसोसिएशन (AoA) में संशोधन पर रोक लगाई गई थी।

असल में यह विवाद Aakash Institute द्वारा AoA में एक ऐसे हिस्से को संशोधित करने के प्रयास से जुड़ा है, जो आरक्षित अधिकारों से संबंधित है। इस संशोधन का उद्देश्य कंपनी में नई पूंजी निवेश के जरिए वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करना था। हालांकि Blackstone समर्थित Singapore Topco ने इस कदम का विरोध करते हुए इसे NCLT में चुनौती दी। Topco का दावा था कि यह संशोधन उनके 6.8% शेयर हिस्सेदारी को कमजोर कर सकता है।

Aakash Institute को लेकर NCLAT

गौर करने वाली बात ये है कि Singapore Topco को ये हिस्सेदारी Byju’s के साथ हुए एक विलय संबंधित एग्रीमेंट के तहत प्राप्त की गई थी। ऐसी स्थिति में Byju’s के लेनदार Glas Trust ने आरोप लगाया कि ये संशोधन Byju’s की हिस्सेदारी को कमजोर करने का प्रयास है। Glas Trust ने यह भी कहा कि Byju’s के लिए Aakash Institute में हिस्सेदारी बेहद अहम है और इसके बिना Byju’s की वित्तीय स्थिति और कमजोर हो जाएगी।

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वहीं Aakash Instituteने इस मामले में अपनी दलील  को लेकर कहा कि उनका मकसद AoA में संशोधन के जरिए पूंजी जुटाना है, ताकि कंपनी को संचालित करने के लिए आवश्यक फंड उपलब्ध हो सके। इंस्टीट्यूट की ओर से तर्क दिया गया कि वर्तमान में कंपनी के पास 10,000 से अधिक कर्मचारी और 3 लाख से अधिक छात्र हैं। कंपनी को आगे बढ़ाने और कर्मचारियों व छात्रों के भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए वित्तीय स्थिरता आवश्यक है।

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Aakash ने कहा Byju’s की तरह डूबना नहीं चाहते?

दिलचपस रूप से इंस्टीट्यूट ने यह भी कहा कि संस्थान Byju’s की मूल कंपनी आनी Think & Learn की तरह डूबना नहीं चाहता और खुद को संचालन की स्थिति में रखना चाहता है। आपको याद दिला दें, 20 नवंबर को NCLT नेइंस्टीट्यूट को EGM में पारित प्रस्ताव को लागू करने से रोक दिया। लेकिन 25 नवंबर को कर्नाटक हाईकोर्ट ने NCLT के इस आदेश पर रोक लगा दी।

क्या रहा आदेश?

वहीं 29 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि इंस्टीट्यूट EGM प्रस्ताव को लागू न करे और इस मामले में NCLAT का रुख करे। Singapore Topco ने कर्नाटक हाईकोर्ट के हस्तक्षेप पर आपत्ति जताई और कहा कि यह मामला केवल NCLAT के अधिकार क्षेत्र में आता है। और अब NCLAT ने NCLT के आदेश को हटाने से इनकार कर दिया और मामले को वापस एनसीएलटी को सौंप दिया। इंस्टीट्यूट को आदेश दिया गया है कि वह एक हफ्ते के भीतर रोक हटाने के लिए आवेदन कर सकते हैं। साथ ही एनसीएलटी को यह निर्देश दिया गया कि वह इस आवेदन पर तीन सप्ताह के भीतर निर्णय ले।

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