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AI कंपनियों के लिए ‘स्वैच्छिक आचार संहिता’ तैयार कर रही भारत सरकार: रिपोर्ट

AI कंपनियों के लिए ‘स्वैच्छिक आचार संहिता’ तैयार कर रही भारत सरकार: रिपोर्ट

  • MeitY अब AI कंपनियों के लिए बना रहा 'स्वैच्छिक आचार संहिता' की योजना
  • अगले साल यानी 2025 की शुरुआत में जारी हो सकते हैं संबंधित दिशा-निर्देश
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Voluntary Codes Of Conduct For AI Companies?: भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और जेनरेटिव एआई के बढ़ते प्रभाव व इस्तेमल को देखते हुए अब सरकार इस दिशा में गंभीर नज़र आ रही है। सामने आ रही जानकारी के मुताबिक, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) अब AI कंपनियों के लिए एक तरह की ‘स्वैच्छिक आचार संहिता’ के दिशा-निर्देश तैयार कर रहा है। इसके तहत लार्ज लैंग्विज मॉडल्स (LLMs) और डेटा का उपयोग कर AI मॉडल्स विकसित करने वाली कंपनियों को सुरक्षित तरीके से अपने कार्य को संचालित करने के सुझाव दिए जाएंगे।

जी हाँ! इसका खुलासा ET की एक हालिया रिपोर्ट में मामले के जानकार सूत्रों के हवाले से हो सका है। रिपोर्ट के अनुसार ‘स्वैच्छिक आचार संहिता’ संबंधित इन दिशा-निर्देशों को अगले साल यानी 2025 की शुरुआत में जारी किया जा सकता है।

Voluntary Codes Of Conduct For AI Companies

गौर करने वाली बात ये है कि फिलहाल इतने व्यापक इस्तेमाल के बाद भी अभी तक भारत में AI को लेकर कोई खास कानून नहीं है। इसलिए सरकार ने इस इंडस्ट्री के तमाम हितधारकों से चर्चा शुरू की है ताकि वे एक साझा ‘नैतिक संहिता’ तैयार कर सकें। रिपोर्ट में एक सूत्र के हवाले से बताया गया कि AI के लिए कानून आने में अभी समय लग सकता है। ऐसे में फिलहाल ‘स्वैच्छिक आचार संहिता’ के साथ आगे बढ़ा जा सकता है।

माना जा रहा है कि अभी मंत्रालय में यह विचार-विमर्श चल रहा है कि इस संहिता में क्या-क्या शामिल किया जा सकता है, जो इंडस्ट्री में तमाम कंपनियों आदि द्वारा लागू किया जा सके और आगामी कंपनियों के लिए भी सेल्फ-रेगुलेशन की तर्ज पर मार्गदर्शन का काम कर सके।

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जानकारी के अनुसार, इस आचार संहिता का मकसद उन कंपनियों के लिए नियमों व दिशा-निर्देशों का एक बुनियादी ढांचा तैयार करना है जो AI मॉडल्स को बनाने, ट्रेनिंग देने और विभिन्न एआई टूल्स की व्यावसायिक बिक्री का काम करती हैं।

AI कंपनियों के लिए क्यों है इसकी ज़रूरत?

इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि कहीं न कहीं AI और जेनरेटिव AI जैसी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल काफी हद तक नैतिक और सामाजिक चुनौतियाँ पैदा कर सकता है, जैसे चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करना आदि। शायद इसलिए इस आचार संहिता में कंपनियों को सुझाव दिए जाएंगे कि वे AI मॉडल की ट्रेनिंग और इस्तेमाल के दौरान संभावित गलत उपयोग की पहचान करके उन्हें रोकने संबंधित उपाय कर सकें।

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रिपोर्ट के अनुसार, G7 देशों ने AI और जेनरेटिव AI के क्षेत्र में काम करने वाली कंपनियों के लिए 11 प्वाइंट्स की एक आचार संहिता तैयार की है। ऐसे में भारत सरकार भी जो दिशा-निर्देश तैयार कर रही है, वह भले उससे अलग होगा लेकिन मकसद वही होगा।

क्या-क्या होंगे प्रावधान?

इसमें डेटा सिक्योरिटी और गोपनीयता सुनिश्चित करने से लेकर AI मॉडल्स में किसी भी प्रकार के पूर्वाग्रह को हटाने और विभिन्न समुदायों के प्रति भेदभाव से बचने संबंधित चीजेओं का ध्यान रखा जाएगा। इसके साथ ही  AI मॉडल्स और LLMs को पारदर्शिता के साथ विकसित करने और कंपनियों की जवाबदेही भी तय की जाएगी। इतना ही नहीं बल्कि कंपनियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके मॉडल्स का इस्तेमाल अनैतिक या अवैध कार्यों में न हो सके।

जाहिर हिया भारत सरकार देश में AI के तेजी से बढ़ते इस्तेमाल के चलते ही यह तमाम कदम उठा रही है। सरकार खुद भी सरकारी सेवाओं तक अधिक पहुँच बनाने के लिए AI के उपयोग को प्रोत्साहित कर रही है। लेकिन अन्य तमाम देशों की तरह, सरकार भारत में भी यह कोशिश कर रही है कि इस दिशा में सुरक्षित तरीके से आगे बढ़ा जाए।

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