संपादक, न्यूज़NORTH
Drone delivery startup Airbound Raises Funding: नई ड्रोन टेक्नोलॉजी आधारित स्टार्टअप Airbound ने अब $1.7 मिलियन (लगभग ₹14.35 करोड़) का निवेश हासिल किया है। कंपनी के लिए इस निवेश दौर के नेतृत्व Lightspeed Venture Partners ने किया। इसके साथ ही Gradcapital समेत और कुछ एंजल निवेशकों ने भी इसमें अपनी भागीदारी दर्ज करवाई है। इस निवेश के तहत अब स्टार्टअप भारत में लॉजिस्टिक्स और डिलीवरी क्षेत्र में खुद को और मज़बूत स्थिति पर लाने की कोशिश करेगा।
Airbound इस फंडिंग का इस्तेमाल मुख्य रूप से रिसर्च एंड डेवलपमेंट के काम में करने की प्लानिंग कर रहा है। साथ ही कंपनी मेडिकल डिलीवरी में भी प्रवेश कर रही है, जिसमें ब्लड सैंपल और अन्य मेडिकल नमूनों को हेल्थ सेंटर्स से लैब्स तक पहुंचाना शामिल है। इस तरह के रूटीन डिलीवरी Airbound की प्राथमिकता में हैं, जिससे वे अधिक सटीक और कुशल डिलीवरी सिस्टम स्थापित कर सकें।
बता दें, Airbound नामक इस कंपनी की शुरुआत साल 2020 में की गई थी। यह स्टार्टअप विशेष तौर पर लंबी दूरी और भारी भार (1.5 किलो तक) ढोने में सक्षम ड्रोन पर काम कर रहा है, जिसे TRT नाम दिया गया है। कंपनी का लक्ष्य अपनी प्रॉपर्टरी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके सामानों की डिलीवरी लागत को कम करने का है, जिससे तेजी से बढ़ते लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में एक व्यापक बदलाव देखनें को मिल सकता है।
Airbound Raises Funding
Airbound का TRT ड्रोन बिना किसी अतिरिक्त इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत के लंबे दूरी तक उड़ान भर सकता है। इसके लिए विशेष रूप से छतों जैसे मौजूदा इन्फ्रास्ट्रक्चर का उपयोग किया जाता है, जिससे किसी तरह के विशेष वेयरहाउस या ड्रोन एयरपोर्ट की आवश्यकता नहीं होती है। यह फीचर Airbound को पारंपरिक लॉजिस्टिक्स कंपनियों से अलग बनाता है और इसे एक किफायती विकल्प के रूप में प्रस्तुत करता है। कंपनी का लक्ष्य 2025 की शुरुआत में अपने इस प्रोडक्ट को बाजार में लॉन्च करना है।
कंपनी के संस्थापक, नमन पुष का मानना है कि ड्रोन डिलीवरी अभी भी काफी महंगी है। इसमें कई संरचनात्मक समस्याएं भी हैं, जिन्हें सही ढंग से हल किया जा सके तो डिलीवरी की लागत को 100 गुना तक कम किया जा सकता है। उनका मानना है कि इस प्रयास के जरिए Airbound लॉजिस्टिक्स सेक्टर में बड़े बदलाव ला सकता है, खासकर दूर-दराज के इलाक़ों के मामले में।
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स्टार्टअप के मुताबिक, ड्रोन टेक्नोलॉजी, विशेष रूप से क्विक कॉमर्स क्षेत्र में बहुत अधिक संभावनाएं लेकर आ सकती है। यह टेक्नोलॉजी विशेष रूप से भारत के टियर-II और टियर-III शहरों में बहुत फायदेमंद हो सकती है, जहां पारंपरिक लॉजिस्टिक्स सिस्टम या तो धीमा है या पूरी तरह उपलब्ध नहीं है।
दिलचस्प रूप से भारत में ड्रोन ऑपरेशन के लिए 2021 में ड्रोन रेगुलेशन बनाए गए, जिनमें 2022 में संशोधन किए गए। इन रेगुलेशंस के अनुसार, सभी ड्रोन को एक यूनिक आइडेंटिफिकेशन नंबर (UIN) के साथ रजिस्टर करना होता है और ऑपरेट करने के दौरान पायलट की विज़िबिलिटी लाइन में रहना अनिवार्य है। यह नियम खासकर लंबी दूरी और ऑटोमेटेड ड्रोन ऑपरेशन्स के लिए चुनौती प्रस्तुत करते हैं।