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CJI संजीव खन्ना का बड़ा आदेश, तत्काल सुनवाई के लिए मौखिक प्रस्तुतियां अब मंजूर नहीं

CJI संजीव खन्ना का बड़ा आदेश, तत्काल सुनवाई के लिए मौखिक प्रस्तुतियां अब मंजूर नहीं

  • सुप्रीम कोर्ट में तत्काल सुनवाई के लिए बदले नियम.
  • नए चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने पुरानी व्यवस्था को बदलने का दिया आदेश.
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CJI Sanjeev Khanna’s new order for urgent hearing: सीजेआई डीवीआई चंद्रचूड़ की जगह मुख्य न्यायधीश बने सीजेआई संजीव खन्ना ने तत्कालीन मामले की सुनवाई अर्जी के लिए नए नियमों को बनाया है, अब कोर्ट में तत्कालीन किसी मामले की सुनवाई के लिए मौखिक प्रस्तुति की जगह लिखित में मेल या अन्य किसी संचार माध्यम के जरिए तत्काल सुनवाई क्यों किया जा जाना जरूरी है, उसका कारण बताने की वकीलों के लिए अनिवार्यता कर दी गई है।

सीजेआई के इस आदेश के बाद वकील अपनी मांगों को ईमेल या लिखित आवेदन के माध्यम से भेदेंगे। जिसमें वे बताएंगे कि आखिर उनके मामले को क्यों तुरंत सुना जाना चाहिए। बता दें कि यह बदलाव पूर्व मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ द्वारा शुरू की गई प्रणाली का हिस्सा है जो मौखिक उल्लेखों को सुनते थे।

तत्काल सुनवाई मामलों में होगी कमी

नवनियुक्त CJI के इस फैसले से तत्काल सुनवाई के लिए लगने वाले मामलों की सुनवाई में फर्क पड़ सकता है। कोर्ट में वकील जब उनके मामलों को तत्काल सुनवाई क्यों करें उस बात की वजह लिखित में प्रस्तुत करेंगे तो इससे मामले की सुनवाई और उसकी गंभीरता का अनुमान कोर्ट को पूर्व में हो जायेगा। पूर्व में जारी मौखिक तत्कालीन सुनवाई में कोर्ट में वरिष्ठ वकीलों और प्रभावशाली लोगों को थोड़ा फायदा होता था, और इसमें ज्यादातर मामलों में मौखिक सुनवाई मामलों में कोर्ट का 30 से 40 मिनिट चला जाता था। लेकिन अब ऐसे मामलों में सुनवाई का अधिकार कोर्ट के पास होगा।

चीफ जस्टिस संजीव खन्ना का उक्त फैसला न्यायिक सुधारों के लिए नागरिक-केंद्रित एजेंडे की जो रूपरेखा तैयार उनके द्वारा तैयार की जा रही है, उस उद्वेश्य को परिभाषित कर रही है। उन्होंने कहा है कि न्याय तक आसान पहुंच सुनिश्चित करना और नागरिकों के साथ उनकी स्थिति की परवाह किए बिना समान व्यवहार करना न्यायपालिका का संवैधानिक कर्तव्य है।

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गौरतलब हो, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार (11 नवंबर 2024) को राष्ट्रपति भवन में 51वें प्रधान न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति खन्ना को शपथ दिलाई थी। चीफ जस्टिस ने सोमवार को अपने पहले बयान में कहा न्यायपालिका शासन प्रणाली का अभिन्न, फिर भी अलग और स्वतंत्र हिस्सा है। संविधान हमें संवैधानिक संरक्षक, मौलिक अधिकारों के रक्षक और न्याय के सेवा प्रदाता होने के महत्वपूर्ण कार्य को पूरा करने की जिम्मेदारी सौंपता है। उन्होंने सभी के लिए समान न्याय व्यवस्था चाहे उनकी स्थिति, धन या शक्ति कुछ भी हो, सभी के लिए एक  समान न्यायपूर्ण और निष्पक्ष निर्णय की बात (CJI Sanjeev Khanna’s new order for urgent hearing) कही है।

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