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भारत में 10 सालों के भीतर सड़क दुघर्टना में 15 लाख से अधिक लोगों की मौत

भारत में 10 सालों के भीतर सड़क दुघर्टना में 15 लाख से अधिक लोगों की मौत

  • भारत में सड़क हादसों में प्रति 10,000 किलोमीटर पर 250 लोगों की जान चली जाती है।
  • पिछले 10 सालों में सड़क दुर्घटनाओं में तेजी से वृद्धि देखी गई है।
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Road Accidents Took 15 Lakhs Lives in 10 Years in India: भारत में सड़क दुर्घटनाओं और उनमें जान गंवाने वाले लोगों की संख्या को लेकर कुछ आँकड़े सामने सामने हैं। हम बात करें पिछले दशक यानी 10 सालों के आंकड़ों की तो अकेले 2014 से 2023 के बीच सड़क हादसों के चलते लगभग 15.3 लाख लोगों ने अपनी जान गंवाई है। इसको इस तरह भी देखा जा सकता है कि यह संख्या एक छोटे शहर की आबादी से भी ज़्यादा है।

जाहिर है यह स्थिति न केवल चिंता का विषय है, बल्कि यह स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि देश में सड़क सुरक्षा को लेकर ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। आपको बता दें ये आँकड़े केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय द्वारा जारी किए गए हैं। आँकड़ों के मुताबिक, भारत में सड़क हादसों में प्रति 10,000 किलोमीटर पर 250 लोगों की जान चली जाती है। गौर करने वाली बात ये है कि तुलनात्मक रूप से अमेरिका में यह आंकड़ा 57, चीन में 119 और ऑस्ट्रेलिया में मात्र 11 है।

ऐसे में साफ होता है कि भारत में सड़क सुरक्षा की स्थिति कहीं अधिक चिंताजनक है। हमारे देश के आंकड़े दिखाते हैं कि भारत में हर रोज सड़क पर हादसों से होने वाली मौतें किसी भी प्राकृतिक आपदा से अधिक हैं। इतना ही नहीं बल्कि पिछले 10 सालों में सड़क दुर्घटनाओं में तेजी से वृद्धि देखी गई है।

Road Accidents in India

असल में 2004 से 2013 के बीच सड़क दुर्घटनाओं के चलते मौत का आँकड़ा लगभग 12.1 लाख था, जबकि 2014 से 2023 के बीच यह आंकड़ा 15.3 लाख तक पहुंच गया। वैसे विशेषज्ञों का मानना है कि दुर्घटनाओं में वृद्धि के पीछे कई कारण भी हैं। इनमें सबसे प्रमुख है वाहनों की संख्या में तेजी से हो रही बढ़ोतरी। जी हाँ! साल 2012 में भारत में पंजीकृत वाहनों की संख्या 15.9 करोड़ थी, जो 2024 तक लगभग 38.3 करोड़ हो चुकी है। स्वाभाविक है तेजी बढ़ती संख्या ने यातायात बुनियादी ढाँचे पर दबाव को बढ़ा दिया है, जो शायद उतनी तेजी से नहीं बढ़ सका।

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इसके अलावा सड़क नेटवर्क का विस्तार भी संख्या में वृद्धि के कारण के तौर पर देखा जाता है। साल 2012 में भारत में सड़क नेटवर्क की लंबाई 48.6 लाख किलोमीटर थी, जो 2019 में बढ़कर 63.3 लाख किलोमीटर हो गई। सड़कें बढ़ी हैं, लेकिन सुरक्षा और यातायात प्रबंधन का स्तर नहीं बढ़ा है।

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वृद्धि के अन्य कारण

वहीं हमेशा की तरह यातायात नियमों की अनदेखी और लापरवाही के कारण भी दुर्घटनाओं की संख्या में वृद्धि हो रही है। अधिकांश सड़क दुर्घटनाएं वाहन चालकों द्वारा गति सीमा का उल्लंघन, नशे की हालत में वाहन चलाना, हेलमेट और सीट बेल्ट न पहनना जैसी लापरवाहियों के कारण होती हैं।

सड़क सुरक्षा जानकारों की मानें तो देश में दुर्घटनाओं से संबंधित नियमों का उचित कार्यान्वयन नहीं हो रहा है। कई बार देखने में आता है कि गंभीर सड़क हादसे (Road Accidents in India) होने पर भी जिम्मेदार लोगों को सजा नहीं मिल पाती। कई लोगों का कहना है कि सड़क दुर्घटनाओं को लेकर कोई जवाबदेही तय नहीं की जाती है।

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने सड़क सुरक्षा में सुधार के लिए कुछ कदम उठाए हैं। सड़क सुरक्षा को लेकर सरकारी प्रतिबद्धता भी देखी गई है। इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट ने भी सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए कई निर्देश दिए हैं। लेकिन जानकार मानते हैं कि इस दिशा में और सख्त नियम लागू करने की आवश्यकता है।

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