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डिजिटल अरेस्ट स्कैम में फंसकर जनवरी-अप्रैल 2024 के बीच भारतीयों ने ‘₹120 करोड़’ गंवाए

डिजिटल अरेस्ट स्कैम में फंसकर जनवरी-अप्रैल 2024 के बीच भारतीयों ने ‘₹120 करोड़’ गंवाए

  • भारत में तेजी से बढ़ रहे डिजिटल अरेस्ट स्कैम के मामले
  • इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर (I4C) के आँकड़े
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Digital Arrest Scam: आज के समय दुनिया की तमाम अन्य देशों की तरह भारत में भी साइबर क्राइम दिन-प्रतिदिन तेजी से बढ़ता जा रहा है, और इसी कड़ी में ‘डिजिटल अरेस्ट’ नामक एक नया स्कैम सामने आया है। कई लोग इस ‘डिजिटल अरेस्ट’ स्कैम का शिकार बन चुके हैं, जिसमें उन्हें मानसिक प्रताड़ना से लेकर भारी आर्थिक नुकसान तक सहना पड़ा है। इस स्कैम में धोखधड़ी करने वाले लोग किसी व्यक्ति को अवैध गतिविधियों में संलिप्त होने के झूठे आरोप के तहत उस पर पहले मानसिक दबाव बनाते हैं और फिर इसके बदले में उनसे मोटी रकम वसूलते हैं।

और अब इंडियन एक्सप्रेस की एक हालिया रिपोर्ट में इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर (I4C) द्वारा जारी आंकड़ों का हवाला देते हुए कुछ हैरान करने वाले खुलासे किए गए हैं। आँकड़ो की मानें तो जनवरी-अप्रैल 2024 के दौरान डिजिटल अरेस्ट स्कैम के चलते तमाम भारतीयों को कुल रूप से लगभग ₹120.30 करोड़ का नुकसान हुआ है।

आपको बता दें, इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर (I4C) असल में गृह मंत्रालय के अंतर्गत कार्यरत संस्था है। डिजिटल अरेस्ट स्कैम के तहत आर्थिक ठगी का शिकार बने प्रत्येक व्यक्ति से मोटी रकम वसूली गई। वहीं जारी आँकड़ों की मानें तो इस दौरान अन्य साइबर अपराधों के चलते भारतीयों को लगभग ₹1,776 करोड़ का नुकसान हुआ है। खुद पीएम मोदी भी डिजिटल अरेस्ट स्कैम के बढ़ते मामलों पर चिंता व्यक्त कर चुके हैं।

क्या होता है Digital Arrest Scam?

अधिकतर डिजिटल अरेस्ट स्कैम में अपराधी पहले व्यक्ति को कॉल करके बताते हैं कि उन्होंने किसी अवैध सामग्री जैसे कि ड्रग्स, फर्जी पासपोर्ट या किसी अन्य अवैध वस्तु की डिलीवरी प्राप्त की है या भेजी है। इसके बाद अपराधी खुद को पुलिस अधिकारी के रूप में प्रस्तुत करते हैं और पीड़ित पर अवैध गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाते हैं।

अपराधी पीड़ित को डराने के लिए वीडियो कॉल का सहारा लेते हैं, जिसमें स्कैमर्स खुद पुलिस अधिकारी की वर्दी पहने और सरकारी दफ्तरों के जैसे स्थानों से कॉल करते हुए दिखते हैं। वे पीड़ित को विश्वास दिलाते हैं कि वे कानूनी कार्यवाही में फंस चुके हैं, और अगर वे इस “मामले का निपटारा” करना चाहते हैं तो उन्हें भारी रकम देनी होगी।

Digital Arrest Scam: इन देशों से करते हैं ऑपरेट?

I4C के अनुसार, डिजिटल अरेस्ट और अन्य साइबर धोखाधड़ी में शामिल कई अपराधी तीन दक्षिण पूर्व एशियाई देशों – म्यांमार, लाओस और कंबोडिया से ऑपरेट कर रहे हैं। जनवरी-अप्रैल 2024 के बीच रिपोर्ट किए गए 46% साइबर फ्रॉड मामलों में इन देशों की भूमिका पाई गई है। यह ट्रेंड NCRP के डेटा और राज्य व केंद्र शासित प्रदेशों के इनपुट के आधार पर सामने आया है।

इतना ही नहीं बल्कि I4C के आँकड़ो में यह भी सामने आया है कि इस साल जनवरी से अप्रैल के बीच चार प्रमुख प्रकार के साइबर घोटाले सामने आए हैं, डिजिटल अरेस्ट स्कैम के चलते शिकार बने लोगों को कुल ₹120.30 करोड़ का नुकसान हुआ।

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वहीं ट्रेडिंग स्कैम में भारतीयों ने ₹1,420.48 करोड़ गंवाए। इसके अलावा इन्वेस्टमेंट स्कैम में क़रीब ₹222 करोड़ और डेटिंग स्कैम एक चलते ₹13 करोड़ तक ठगे गए। जाहिर है आँकड़ों के अनुसार, इन सभी स्कैम्स में ‘ट्रेडिंग स्कैम’ सबसे बड़ा खतरा बनकर उभरा है, जिसके कारण लोगों को सबसे अधिक आर्थिक नुकसान हुआ है।

डिजिटल अरेस्ट स्कैम से बचें

डिजिटल अरेस्ट व अन्य तमाम साइबर धोखाधड़ी से बचने के लिए पुलिस और साइबर विशेषज्ञ लगातार आगाह और सलाह जारी करते रहे हैं। तमाम राज्यों के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने यह साफ किया है कि देश भर में कहीं भी पुलिस डिजिटल तौर पर किसी को अरेस्ट नहीं करती। ऐसे में अगर आपसे कोई किसी अवैध गतिविधि के बारे में बात करता है या पैसे की मांग करता है, तो बिना पुष्टि किए तुरंत उस कॉल पर भरोसा न करें। इतना ही नहीं बल्कि वीडियो कॉल पर निजी जानकारी साझा न करने की भी सलाह दी जाती है।

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