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रतन टाटा की वसीयत में उनके डॉग Tito का भी नाम, शांतनु का एजुकेशन लोन माफ

रतन टाटा की वसीयत में उनके डॉग Tito का भी नाम, शांतनु का एजुकेशन लोन माफ

  • Ratan Tata ने अपनी वसीयत में पेटडॉग का भी रखा ध्यान.
  • रतन टाटा ने अपने पीछे लगभग 10,000 करोड़ रुपये की संपत्ति छोड़ा.
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Ratan Tata’s dog Tito’s name also in his will: देश के सबसे बड़े औद्योगिक घराने टाटा ग्रुप का नेतृत्व करने वाले रतन टाटा का हाल में निधन हो गया था, जिसके बाद कई लोगों के मन में यह सवाल उठा कि आखिर रतन टाटा के परलोक सिधारने के बाद उनकी संपत्ति किसे मिलेगी। अब इसे लेकर एक बड़ी बात सामने आई है, समाज सेवी और परोपकारी रतन टाटा की एक वसीयत सामने आई है। जिसमें ये स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि उनकी 10,000 करोड़ रुपये की संपत्ति का मालिक अब कौन होगा।

‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ की रिपोर्ट में स्वर्गीय रतन टाटा की वसीयत को लेकर दावा किया गया है कि उनकी वसीयत में उनके पालतू  जर्मन शेफर्ड कुत्ते टीटो के लिए अनलिमिटेड केयर का प्रावधान किया गया, साथ ही उनकी संपति को उनकी बहनों शिरीन और डिएना के अलावा हाउस स्टाफ और अन्य लोगों के बीच बांटा जाएगा।

भारत में सबसे अमीर कुत्ता टीटो

स्वर्गीय रतन टाटा ने पांच-छह साल पहले जर्मन शेफर्ड डॉग टीटो को गोद लिया था। यह कहना गलत नहीं होगा कि उनको जानवरों से कितना प्यार था। अब रतन टाटा ने अपने वसीयत में टीटो की’असीमित’ देखभाल सुनिश्चित करने का प्रावधान किया है। रतन टाटा की वसीयत के मुताबिक टीटो की देखभाल की जिम्मेदारी उनके लंबे समय तक कुक रहे राज शॉ करेंगे।

औद्योगिक घराने टाटा ग्रुप के (रत्न) रतन टाटा के धन का जितना हिस्सा उनके कुत्ते को मिलने वाला है, उसके बाद वह कम से कम भारत में सबसे अमीर कुत्ता बन जाएगा। रतन टाटा की वसीयत में टीटो का उल्लेख भारत में एक अनोखा मामला है, अब तक अपने पालतू जानवरों के लिए वसीयत या अन्य सुविधाएं छोड़ने का मामला विदेशों से सामने आता था।

रतन टाटा की वसीयत में शांतनू का भी जिक्र

रतन टाटा की वसीयत में उनके खास दोस्त शांतनू का भी जिक्र है। रतन टाटा के खास दोस्त और एग्जीक्यूटिव असिस्टेंट शांतनू नायडू  के उद्योग गुडफेलो में रतन टाटा ने अपनी हिस्सेदारी छोड़ दी और उनके एजुकेशन लोन को माफ कर दिया।

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वही रतन टाटा ने अपनी सेवा करने वाले नौकरों को लेकर भी अपनी वसीयत में स्थान दिया है। वसीयत में तीन दशक तक रतन टाटा के नौकर रहे सुबैया के लिए भी प्रावधान किए गए है। रंजन और सुबैया वही लोग है, जिनके लिए रतन टाटा जब भी कभी बाहर जाते थे, उनके लिए डिजाइनर कपड़े खरीदकर जरूर लाते थे।

 

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