Rare baby bird born from AI in India: जैसलमेर के राष्ट्रीय मरू उद्यान से दुर्लभ और विलुप्त हो रही सोन चिरैया की प्रजाति को बचाने और उनके कुनबे को बढ़ाने का एक अनोखा रास्ता पा लिया है। इसमें बेहद ही दिलचस्प बात यह है कि इसके लिए तकनीकी की मदद ली जाएगी वह भी AI technology की। जी हां! AI technology की सहायता से सुदासरी स्थित ब्रीडिंग सेंटर में आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन (कृत्रिम गर्भाधान) के जरिए गोडावण का चूजा पैदा करवाने में वैज्ञानिकों को सफलता मिली है।
यह अनोखी सफ़लता इसलिए भी खास है, कहा जा रहा है कि ऐसा करना वाला भारत दुनिया का पहला देश बन चुका है। भारत की इस अनोखी सफ़लता से विलुप्त हो रही सोन चिरैया का कुनबा बढ़ने की प्रबल संभावना बढ़ गई है।
गोडावण ने कृत्रिम गर्भाधान के जरिए चूजे को जन्म दिया
यह दुर्लभ गोडावण के संरक्षण के क्षेत्र में बड़ी छलांग है। बता दे, जैसलमेर में पिछले चार दशक से गोडावण संरक्षण के प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन पहली बार गोडावण ने कृत्रिम गर्भाधान के जरिए चूजे को जन्म दिया है। कृत्रिम गर्भाधान (आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन) तकनीक के माध्यम से एक स्वस्थ चूजे का जन्म हुआ, जो गोडावण की घटती संख्या को बढ़ाने और इसे विलुप्ति से बचाने की दिशा में एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। इस संबंध में राजस्थान की डिप्टी सीएम दीया कुमारी ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा
“राजस्थान के जैसलमेर में गोडावण संरक्षण के प्रयासों में एक बड़ी सफलता मिली है। राज्य पक्षी, गोडावण (ग्रेट इंडियन बस्टर्ड), जो विलुप्ति की कगार पर है।” उन्होंने आगे लिखा कि, उसके संरक्षण के लिए कृत्रिम गर्भाधान (आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन) तकनीक का सफल प्रयोग किया गया। जो कि इस क्षेत्र में ऐतिहासिक उपलब्धि है।
नर गोडावण के स्पर्म को मादा गोडावण में इंजेक्ट किया
गोडावण संरक्षण के प्रयास के लिए और इनकी कम होती प्रजाति के लिए जैसलमेर स्थित कृत्रिम प्रजनन केंद्र में नर गोडावण के स्पर्म को मादा गोडावण में इंजेक्ट किया गया। इसके बाद मादा गोडावण ने अंडा दिया। अब उसी अंडे ने अब एक सुरक्षित चूजे को जन्म दिया है। आपकों बता दे, पूर्व में गोडावण के अंडों को फील्ड से उठाकर सुदासरी के गोडावण ब्रीडिंग सेंटर में रखा जाता था।
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गौरतलब हो, गोडावण की सफलतम ब्रीडिंग के बाद जल्द लुप्त हो रही सोनचिरैया को कृत्रिम तरीके से पैदा करने के लिए इस तकनीकी की सहायता ली जाएगी। जैसलमेर का डेजर्ट नेशनल पार्क गोडावण संरक्षण की दशकों पुरानी कवायद का हिस्सा है। यहां पर गोडावण के रहने व उनके प्रजनन की अनुकूल परिस्थितियां है। इसके अलावा जिले में दो ब्रीडिंग (Rare baby bird born from AI in India) सेंटर रामदेवरा व सुदासरी में बनाए गए।