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मंदिरों के लाउडस्पीकर फैलाते हैं ध्वनि प्रदूषण, महिला IAS के बयान पर छिड़ा विवाद

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IAS statement temple loudspeakers cause noise pollution: देश में हमेशा अक्सर धार्मिक स्थलों में बजने वाले ध्वनि यंत्र (लाउडस्पीकर) को लेकर विवाद खड़ा होता रहा है, कोई मस्ज़िद में अंजान के दौरान लाउडस्पीकर के ख़िलाफत करता है तो कोई मंदिर में विभिन्न धार्मिक आयोजनों में साउंड सिस्टम और लाउडस्पीकर के प्रयोग की आलोचना करता है, अब इस मुद्दे को लेकर एक बार फिर विवाद खड़ा हो गया है। लेकिन इस बार जो विवाद पैदा हुआ है वह किसी राजनितिक और धार्मिक संगठन के बयान के बाद नहीं एक आईएस अधिकारी के बयान को लेकर खड़ा हुआ है।

मध्यप्रदेश आईएएस अधिकारी शैलबाला मार्टिन ने अपने X अकाउंट से एक टिप्पणी करते हुए कहा है कि,  “और मंदिरों पर लगे लाउडस्पीकर, जो कई कई गलियों में दूर तक स्पीकर्स के माध्यम से ध्वनि प्रदूषण फैलाते हैं, जो आधी आधी रात तक बजते हैं उनसे किसी को डिस्टरबेंस नहीं होता।”

महिला IAS का बयान अब सोशल मीडिया में वायरल हो चुका है, कई लोग इसे लेकर उनकी आलोचना कर रहे है तो कई ऐसे भी है जो उनकी बात से सहमति जताते नज़र आए है।

हालांकि उन्होंने अपनी ही पोस्ट पर एक यूजर के कमेंट पर रिप्लाई करके यह भी स्पष्ट किया कि माननीय मुख्यमंत्री ने शपथ लेने के साथ ही जो आदेश जारी किए थे, उनमें समस्त धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर्स हटाने और डीजे पर प्रतिबंध शामिल था। यदि इस आदेश पर अमल करते हुए सभी समुदायों के धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर्स हटा दिए जाएं और डीजे (IAS statement temple loudspeakers cause noise pollution)  बंद हो जाए तो सभी के लिए बड़ी राहत होगी।

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महिला IAS किस राज्य में पदस्थ है?

सोशल मीडिया में महिला IAS का विवादित बयान अब वायरल होने लगा है, कई लोगों के मन में उन्हें लेकर कई प्रकार के प्रश्न खड़े हो रहे है। तो हम आपकों बता दे, महिला आईएएस अधिकारी का नाम शैलबाला मार्टिन है। शैलबाला 2009 बैच की मध्य प्रदेश कैडर की आईएएस अधिकारी हैं, और वर्तमान में वह लोक प्रशासन विभाग यानी जनरल एडमिनिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट (GAD) में एडिशनल सेक्रेटरी के पद पर तैनात हैं। वह मूल रूप से मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले की रहने वाली है।

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आपको बता दें, शैलबाला का चयन SCS (State Civil Service) के माध्यम से हुआ है, स्टेट सिविल सर्विसेज में कुछ समय तक काम करने के बाद उन्हें इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस (IAS) के रूप में प्रमोट किया गया।

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