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BRICS Summit 2024: ‘नई करेंसी’ बना सकते हैं ब्रिक्स देश? डॉलर को चुनौती

BRICS Summit 2024: ‘नई करेंसी’ बना सकते हैं ब्रिक्स देश? डॉलर को चुनौती

  • ब्रिक्स देशों को बीच 'नई संयुक्त करेंसी' बनाने पर हो सकती है चर्चा
  • अमेरिकी डॉलर को व्यापारिक लेनदेन के लिहाज से मिलेगी चुनौती
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BRICS Countries Will Launch New Currency?: रुस में BRICS 2024 की बैठक हो रही है। ऐसे में अब इन संगठन में शामिल तमाम देशों – ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के बीच एक नई करेंसी स्थापित करने पर भी चर्चा होने की प्रबल संभावना है। ये देश पिछले कुछ सालों से अमेरिकी डॉलर और यूरो पर निर्भरता को कम करने पर विचार कर रहे हैं। और हाल के वैश्विक वित्तीय संकट और अमेरिकी आर्थिक नीतियों को देखते हुए, एक नई स्वतंत्र और साझा करेंसी की आवश्यकता को बल मिल रहा है।

माना जा रहा है कि BRICS देशों का उद्देश्य है कि वह आर्थिक संप्रभुता को बढ़ाते हुए वैश्विक व्यापार को अमेरिकी डॉलर के दबदबे से आज़ाद कर सकें। ऐसे में  22 से 24 अक्टूबर 2024 के बीच रूस के कजान में आयोजित ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में सभी देशों के शीर्ष नेतृत्व द्वारा ‘एक संयुक्त करेंसी’ बनाए जाने की विषय पर भी विचार विमर्श किया जा सकता है।

देखा जाए तो BRICS देशों के पास अपनी नई करेंसी स्थापित करने के कई प्रमुख कारण हैं। इनमें अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता कम करने से लेकर वैश्विक आर्थिक संतुलन बनाना और स्थानीय व्यापार को सशक्त करना भी शामिल हो सकता है।

BRICS New Currency: क्या होगा लाभ?

असल में वर्तमान में लगभग 90% वैश्विक करेंसी व्यापार और 100% तेल व्यापार अमेरिकी डॉलर में होता है। इसके चलते ही अमेरिकी डॉलर को वैश्विक व्यापार के केंद्र के तौर पर देखा जाता है और अन्य देशों की अर्थव्यवस्थाएं डॉलर पर अत्यधिक निर्भर हो जाती हैं। और अब संभवतः BRICS देश इस निर्भरता को कम करना चाहते हैं।

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चीन, रूस, भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका का मानना है कि डॉलर का अत्यधिक प्रभाव उनके आर्थिक हितों को बाधित करता है। खासतौर पर रूस और चीन, जो अमेरिका की आक्रामक आर्थिक नीतियों और व्यापार युद्धों से प्रभावित हुए हैं, इस दिशा में अधिक सक्रिय दिखाई पड़ते हैं।

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कब तक पेश हो सकती है नई करेंसी

देखा जाए तो BRICS देश अपनी करेंसी का उपयोग करके आपसी व्यापार को सशक्त बनाने का रास्ता निकाल सकते हैं। जैसे मां लीजिए चीन और भारत अपने व्यापार में नई BRICS करेंसी का उपयोग करते हैं, तो ऐसे में आपसी लेनदेन के लिहाज से उन्हें अमेरिकी डॉलर का रुख़ नहीं करना पड़ेगा, जिसके चलते करेंसी विनिमय की लागत और तमाम जटिलताएं कम हो जाएँगी।

चीन, भारत और रूस जैसे बड़े देश वैश्विक व्यापार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। और अगर इस नई करेंसी को अपनाया जाता है तो जाहिर तौर पर अमेरिकी डॉलर के दबदबे को सीधे तौर पर चुनौती मिलेगी। साथ ही यह तरीका अन्य देशों को भी आकर्षित कर सकता है, जो काफी समय से अमेरिकी डॉलर के बजाय एक वैकल्पिक वैश्विक मुद्रा की तलाश में हैं।

रूस के कजान में होने वाला BRICS शिखर सम्मेलन इस नए कदम पर विस्तार से चर्चा की उम्मीद तो की जा रही है। लेकिन इतना स्पष्ट है कि यह तत्काल लागू नहीं हो सकता। खुद रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन साफ कर चुके हैं कि संयुक्त BRICS करेंसी के लिए अभी समय लग सकता है और इसे सावधानीपूर्वक विकसित किया जाना चाहिए।

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