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बाल विवाह पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, अधिनियम सभी पर्सनल लॉ पर लागू

बाल विवाह पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, अधिनियम सभी पर्सनल लॉ पर लागू

  • बाल विवाह के कारण जीवनसाथी चुनने का विकल्प हो जाता है खत्म- सुप्रीम कोर्ट
  • सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने बाल विवाह के मामले पर दिशानिर्देश जारी किए.
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Supreme Court’s big decision on child marriage: बाल विवाह पर सुप्रीम कोर्ट ने अहम टिप्पणी की है, जिसमें स्पष्ट निर्देश दिए गए है कि बाल विवाह रोकथाम अधिनियम को किसी भी व्यक्तिगत कानून के तहत परंपराओं से बाधित नहीं किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने उक्त टिपण्णी एक एनजीओ द्वारा दायर याचिका के बाद की जिसमें अलग अलग राज्यों के अंदर बाल विवाह के मामले बढ़ने का दावा किया गया था। एनजीओ ने  आरोप लगाया था कि राज्यों के स्तर पर बाल विवाह निषेध अधिनियम का सही तरह से अमल नहीं हो पा रहा है।

सभी पर्सनल लॉ में बाल विवाह अधिनियम लागू

बाल विवाह को लेकर सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार (18 अक्टूबर 2024) में NGO द्वारा दायर एक याचिका में CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने कहा, बाल विवाह रोकने के लिए हमें अवेयरनेस की जरूरत है, सिर्फ सजा के प्रावधान से कुछ नहीं होगा। हालांकि इस दौरान कोर्ट की और से एक महत्वपूर्ण टिपण्णी करते हुए यह जरूर स्पष्ट किया गया कि, बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 सभी ‘पर्सनल लॉ’ पर प्रभावी होगा।

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कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा, बाल विवाह की रोकथाम के कानून को ‘पर्सनल लॉ’ के जरिए प्रभावित नहीं किया जा सकता, इस तरह की शादियां नाबालिगों की जीवन साथी चुनने की स्वतंत्र इच्छा का उल्लंघन हैं।

दंड के प्रावधन में ज़ोर न देकर निषेध और रोकथाम पर काम जरूरी

कोर्ट ने याचिका की सुनवाई के बाद बाल विवाह में अपने फैसले के तौर टिप्पणी में कहा कि, दंड और अभियोजन के बजाय निषेध और रोकथाम पर जोर दिया जाना चाहिए। सीजेआई ने अपनी टिप्पणी  में कहा, हमने कानून और समाजशास्त्रीय विश्लेषण के पूरे दायरे को देखा है। हमने बाल विवाह निषेध अधिनियम के उचित क्रियान्वयन के लिए विभिन्न निर्देश दिए हैं।सबसे अच्छा तरीका वंचित वर्गों, शिक्षा की कमी, गरीबी से ग्रस्त लड़कियों की काउंसलिंग करना है।

कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए कि प्राधिकारियों को बाल विवाह की रोकथाम और नाबालिगों की सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए तथा अपराधियों को अंतिम उपाय के रूप में (Supreme Court’s big decision on child marriage) दंडित करना चाहिए।

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