Paytm CEO Controversial Post on Ratan Tata: भारतीय उद्योग जगत के दिग्गज और Tata Group के पूर्व चेयरमैन, रतन टाटा का 86 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उनके निधन से देशभर में शोक की लहर दौड़ गई। टाटा के जीवन की सादगी, विनम्रता, परोपकार की भावना और उद्यमिता सभी के लिए प्रेरणदायक रही है। शायद यही वजह है कि उनके निधन पर मानों भारत ही नहीं दुनिया भर के तमाम देशों के लोग और दिग्गजों ने दुःख जाहिर करते हुए उन्हें याद किया।
रतन टाटा का योगदान केवल व्यावसायिक क्षेत्र तक ही सीमित नहीं था, बल्कि उन्होंने सामाजिक सुधारों और चैरिटी के क्षेत्र में भी अपनी अमिट छाप छोड़ी। शायद यही वजह है कि वह तमाम युवाओं और खासकर स्टार्टअप संस्थापकों के आदर्श भी रहे। उनके निधन की खबर सुनकर भारतीय टेक्नोलॉजी और स्टार्टअप जगत के कई प्रमुख चेहरों ने सोशल मीडिया पर अपनी संवेदनाएं व्यक्त की।
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इनमें Ola के सीईओ भाविश अग्रवाल, People Group के सीईओ अनुपम मित्तल, पूर्व Xiaomi India के प्रमुख मनु कुमार जैन, BharatPe के पूर्व सीईओ अशनीर ग्रोवर और Paytm सीईओ विजय शेखर शर्मा आदि शामिल रहे। सभी ने टाटा को एक अद्वितीय व्यक्ति के रूप में याद किया, जिन्होंने भारतीय उद्योग और समाज के प्रति परोपकार की भावना को एक नई परिभाषा दी और कई बड़े मानक स्थापित किए।
Paytm CEO Controversial Post on Ratan Tata
लेकिन इस बीच Paytm के सीईओ विजय शेखर शर्मा का एक पोस्ट विवाद का रूप लेने लगा। असल में शर्मा ने अपने X अकाउंट से एक पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने कथित रूप से लिखा,
“एक लेजेंड जिन्होंने हर पीढ़ी को प्रेरित किया। अगली पीढ़ी के उद्यमियों को भारत के सबसे विनम्र व्यवसायी के साथ बातचीत न कर पा सकने की कमी खलेगी। सलाम, सर; ओके टाटा बाय बाय।”
उनके इस पोस्ट के अंतिम वाक्य ‘Ok Tata Bye Bye’ को लेकर सोशल मीडिया पर काफी नकारात्मक प्रतिक्रिया आई। कई उपयोगकर्ताओं ने इसे “अनुचित” शब्दों के चयन करार दिया और कुछ ने तो कहा कि क्या ये पोस्ट किसी इंटर्न से लिखवाई है।
फिलहाल विवाद बढ़ता देख विजय शेखर शर्मा ने अपनी पोस्ट को डिलीट कर दिया, लेकिन इंटरनेट भला कुछ भी आसानी से कहाँ भूलता है। पोस्ट का स्क्रीनशॉट वायरल हो गया। सोशल मीडिया पर कई लोगों ने उनकी आलोचना की कि ऐसे गरिमामय और संवेदनशील समय में एक जिम्मेदार व्यक्ति के रूप में उन्हें उचित शब्दों का चयन करना चाहिए था। जाहिर है भले Paytm सीईओ का इरादा किसी भी प्रकार से स्वर्गीय रतन टाटा के सम्मान को ठेस पहुँचाने का नहीं था, लेकिन लोगों का कहना है कि शब्दों के चयन में उनसे चूक हो गई।