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Ratan Tata Death: रतन टाटा ने दुनिया को कहा अलविदा, 86 साल की उम्र में निधन

Ratan Tata Death: रतन टाटा ने दुनिया को कहा अलविदा, 86 साल की उम्र में निधन

  • दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा का निधन
  • ब्रीच कैंडी अस्पताल में ली अंतिम सांस
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Ratan Tata Dies At 86: भारत के दिग्गज उद्योगपति और Tata Group के पूर्व चेयरमैन, रतन टाटा का 86 वर्ष की आयु में निधन हो गया। रतन टाटा, जो सिर्फ एक सफल उद्योगपति के तौर पर ही नहीं बल्कि अपनी उदारता, सादगी और परोपकार के लिए दुनिया भर में एक विशेष पहचान रखते थे। जाहिर है यह केवल भारतीय उद्योग जगत के लिए ही नहीं बल्कि पूरे देश और दुनिया के लिए एक अपूर्ण क्षति है। खासकर भारत के विकास में उनके योगदान को भी हमेशा याद किया जाएगा।

रतन टाटा का बुधवार (09 अक्टूबर) को निधन हो गया है। गौर करने वाली बात ये है कि सोमवार को ही उन्होंने पुष्टि की थी कि उम्र संबंधी बीमारियों के चलते उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। हालाँकि मीडिया रिपोर्ट्स में उनके स्वास्थ्य की स्थिति को गंभीर बताया गया, लेकिन तब उन्होंने इसका खंडन किया था। 7 अक्टूबर को एक सोशल मीडिया पर साझा किए गए एक पोस्ट में उन्होंने स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं को ‘अफवाह’ करार दिया था। उन्होंने बताया था कि चिंता की कोई बात नहीं है और वह उम्र को देखते हुए स्वास्थ्य संबंधित जांच कराने अस्पताल आए हैं।

Ratan Tata Dies: क्या थी बीमारी?

बताया जा रहा है कि रतन टाटा का ब्लड प्रेशर अचानक गिरने लगा था, जिसके बाद उन्हें मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल ले ज़ाया गया और भर्ती कराया गया था। लेकिन बाद में उनकी तबीयत अचानक बिगड़ने के बाद, उन्हें ICU में शिफ्ट किया गया, और इलाज के दौरान उनका निधन हो गया।

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Ratan Tata Dies: राजकीय सम्मान से होगी विदाई

Tata Group की ओर से जानकारी दी गईहै कि रतन टाटा के अंतिम दर्शन मुंबई के नेशनल सेंटर फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स (NCPA) के लॉन में किए जा सकेंगे। यह 10 अक्टूबर को सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक किया जा सकेगा, जिससे आम जनता भी उन्हें श्रद्धांजलि दे सके। इस बीच उनकी अंतिम विदाई पूरे राजकीय सम्मान से की जाएगी।

रतन टाटा का प्रभाव

हम सब जानते हैं कि अपने कार्यकाल के दौरान रतन टाटा ने Tata Group को वैश्विक स्तर पर एक मज़बूत मुक़ाम तक पहुँचाया। उनके नेतृत्व में ही Tata Group ने टाटा मोटर्स, टाटा स्टील, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) और टाटा केमिकल्स जैसी कंपनियों के जरिए भारत की भी तरराष्ट्रीय स्तर पर स्थिति मजबूत की। रतन टाटा के बारे में अक्सर कहा जाता रहा है कि वह सिर्फ मुनाफे या लाभ कमाने के बारे में नहीं सोचते थे, बल्कि बिज़नेस के नैतिक मूल्यों के अलावा उनका ध्यान समाज की सेवा और विकास में भी मुख्य रूप से रहता था।

रतन टाटा ने 1991 में Tata Sons के चेयरमैन का पद संभाला था और Tata Group का नेतृत्व किया। इसके बाद उन्होंने 2012 में रिटायरमेंट का ऐलान कर दिया था। दिलचस्प रूप से उन्हीं के कार्यकाल के औरं 1996 में टाटा टेलीसर्विसेज की स्थापना की गई थी, जिसके तहत टाटा समूह ने टेलीकॉम सेक्टर में कदम रखा था। Tata Sons में  उनके कार्यकाल के दौरान ही टेटली, कोरस और जगुआर लैंड रोवर जैसी कंपनियों का अधिग्रहण भी देखनें को मिला।

बिज़नेस के साथ-साथ Tata Trusts की लोकप्रियता

रतन टाटा के नेतृत्व में ही Tata Group असल मायनों में $100 बिलियन से अधिक वैल्यूएशन के साथ भारत ही नहीं बल्कि वैश्विक जगत में अपनी पहचान बनाने में कामयाब रहा। लेकिन इससे अलग लोगों के बीच रतन टाटा एक उद्योगपति ही नहीं बल्कि समाज के कल्याण के बारे में सोचने और पुख्ता रूप से काम करने वाले चुनिंदा व्यक्तियों में शुमार रहे।

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 Tata Trust के ज़रिए रतन टाटा ने शिक्षा, स्वास्थ्य, और ग्रामीण विकास के क्षेत्र में असाधारण योगदान दिया। उन्होंने हमेशा समाज के गरीब और वंचित तबके के उत्थान के लिए कार्य किया। उनके द्वारा शुरू किए गए कई सामाजिक कार्यक्रम आने वाले पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बने रहेंगे। इतना ही नहीं बल्कि कम आय वाले भारतीय परिवारों के लिए उन्होंने ही ‘नैनो कार’ का आइडिया सोचा था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जताया शोक

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने X पर अपनी संवेदनाएं व्यक्त करते हुए लिखा;

“श्री रतन टाटा जी केवल एक उद्योगपति नहीं थे, बल्कि वे एक महान इंसान थे। उनकी विनम्रता और समाज सेवा की भावना ने उन्हें सभी का प्रिय बना दिया था। उनकी नेतृत्व क्षमता और दृष्टिकोण ने टाटा समूह को वैश्विक पहचान दिलाई।”

वहीं नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने उन्हें “दूरदर्शी और परोपकारी” बताते हुए कहा कि उनके जाने से देश को अपार क्षति हुई है। जबकि गौतम अडानी ने भी रतन टाटा को याद करते हुए कहा कि भारत ने एक महान नेता खो दिया है, जो आधुनिक भारत के निर्माण में अग्रणी रहे। इस बीच आनंद महिंद्रा ने कहा, “

“रतन टाटा की अनुपस्थिति को स्वीकार करना कठिन है। उनके मार्गदर्शन ने हमें इस महत्वपूर्ण मोड़ तक पहुंचने में मदद की।”

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