Prohibition on investigation against Isha Foundation: ईशा फाउंडेशन के संस्थापक और प्रमुख सद्गुरु जग्गी वासुदेव की थोड़ी मुसीबतें कम होती दिख रही है, मद्रास हाई कोर्ट के आश्रम के खिलाफ जांच के आदेश को लेकर सुप्रीम कोर्ट बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को ईशा फाउंडेशन के खिलाफ पुलिस जांच के आदेश पर रोक लगा दी है।
बता दे, फाउंडेशन के खिलाफ रिटायर्ड प्रोफेसर एस कामराज ने मद्रास हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। कामराज ने हाईकोर्ट में दायर हैबियस कॉर्पस पिटीशन में आरोप लगाया था कि उनकी बेटियों लता और गीता को ईशा फाउंडेशन के आश्रम में बंधक बनाकर रखा गया है। जिसके बाद मद्रास हाई कोर्ट ने ईशा फाउंडेशन के खिलाफ़ जांच के आदेश दिए थे, लेकिन इस बीच ईशा फाउंडेशन अपना मामला लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था, जहां से फाउंडेशन के लिए राहत भरी खबर आई है। सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल मद्रास हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है।
ईशा फाउंडेशन के अपराधिक कैस की डिटेल
30 सितंबर को मामले की सुनवाई के बाद मद्रास हाई कोर्ट ने ईशा फाउंडेशन के खिलाफ दर्ज सभी जानकारी पुलिस से कोर्ट में प्रस्तुत करने को कहा था। आदेश के बाद करीब 150 पुलिसकर्मी ईशा फाउंडेशन जांच करने पहुंचे थे, उक्त मामले को लेकर ईशा फाउंडेशन ने सुप्रीम कोर्ट की ओर रुख किया था। जहां शीर्ष कोर्ट ने हाइकोर्ट के आदेश को रोक लगाते हुए उक्त मामले में अगली सुनवाई अब 18 अक्टूबर को की जायेगी।
मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
सीजेआई ने कहा कि आप सेना या पुलिस को ऐसी जगह दाखिल होने की इजाजत नहीं दे सकते हैं। फाउंडेशन पर एक रिटायर प्रोफेसर एस. कामराज ने आरोप लगाया है कि उनकी दो बेटियों को जबरन आश्रम में रखा गया है।
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जिसके बाद सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने उन दोनों महिलाओं से भी बातचीत की, जिन्होंने अदालत को बताया कि वे अपनी मर्जी से (तमिलनाडु के कोयंबटूर स्थित) आश्रम में रह रही हैं और (Prohibition on investigation against Isha Foundation) उन्हें कोई भी जबरन रोक नहीं रहा है।