UP 40 thousand teacher appointment dispute: उत्तर प्रदेश के सहायता प्राप्त (एडेड) माध्यमिक विद्यालयों में अयोध्या से शुरू हुई जांच का दायरा जो काफी विस्तृत होता जा रहा है, और इस जांच के दायरे में वर्ष 1981 से 2020 तक नियुक्त लगभग 40 हजार शिक्षक-कर्मचारी आ गए थे। अब उस जांच को न कराने का फैसला इस अवधि में नियुक्त शिक्षकों और कर्मचारीयों के विरोध के चलते लिया गया हैं। मतलब कि माध्यमिक शिक्षा विभाग ने इस मामले में ख़ुद ही यूटर्न ले लिया हैं।
जांच को आगे बढ़ाने के लिए उत्तर प्रदेश सतर्कता अधिष्ठान, लखनऊ पुलिस अधीक्षक ने 1 अगस्त 2024 को एक पत्र के माध्यम से तत्काल कई बिन्दुओं के सापेक्ष अभिलेख उपलब्ध कराने का अनुरोध किया था।
जिसके बाद उप शिक्षा निदेशक चेतराम ने एक आधिकारिक पत्र जारी करते हुए सभी मंडलीय संयुक्त शिक्षा निर्देशकों के साथ साथ जिला विद्यालय निरीक्षकों को निर्देश दिए थे कि वह माध्यमिक शिक्षा विभाग में शिक्षकों एवं कर्मचारियों की नियुक्तियों के सम्बन्ध में उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड अधिनियम-1982 की प्रमाणित प्रति उपलब्ध कराने के साथ ही शासनादेश सं0-828/15-7-2003-2(10)-2003/शिक्षा अनुभाग-7 23 अगस्त 2003 माध्यमिक शिक्षा उत्तर प्रदेश शासन की सत्यापित प्रति भी दें।
सब की जांच नही सिर्फ़ विवादित भर्ती की जांच
अब विभाग ने उक्त मामले में यूटर्न लेते हुए सभी भर्तियों की जांच की जगह सिर्फ़ उन्ही भर्तियों की जांच की बात कही है, जिसे लेकर कोई विवाद या शिकायत दर्ज हो। इस फैसले के संबंध में अपर शिक्षा निर्देशक माध्यमिक सुरेंद्र कुमार तिवारी ने कहा कि सभी 40 हजार कर्मचारियों की नियुक्ति जांच नही होगी। जिसके खिलाफ शिकायत होगी उसकी ही जांच की (UP 40 thousand teacher appointment dispute) जायेगी।
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इससे पहले जैसे ही इस बात का पता चला कि 1981 से 2020 के मध्य नियुक्त 40 हजार शिक्षक व कर्मचारियों की नियुक्तियों की जांच की जायेगी तो इस दौरान नियुक्त शिक्षकों और कर्मचारियों ने विभाग के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था, उन्होंने इसे शिक्षकों के विरुद्ध एक षड़यंत्र बताया। उनका आरोप था कि अनेक शिक्षकों की मृत्यु हो चुकी है, कई शिक्षक सेवानिवृत्त हो चुके हैं जो जांच में फंसे हैं विजिलेंस जांच के नाम पर उनका आर्थिक शोषण होने की संभावना है। उन्होंने कहा कि वह शिक्षा निदेशक के इस आदेश को लागू नहीं होने देंगे।