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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पर दर्ज होगी FIR, कोर्ट ने दिया आदेश

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Image Credit: Wikimedia Commons

FIR Against Finance Minister Nirmala Sitharaman: बेंगलुरु की एक विशेष अदालत ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और अन्य के खिलाफ चुनावी बॉन्ड (इलेक्टोरल बॉन्ड) के जरिए कथित जबरन वसूली के मामले में एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है। यह फैसला तब आया जब जनाधिकार संघर्ष परिषद के सह-अध्यक्ष आदर्श अय्यर ने बेंगलुरु की जनप्रतिनिधि अदालत में शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनावी बॉन्ड का दुरुपयोग कर धन उगाही की गई थी।

जनाधिकार संघर्ष परिषद द्वारा दायर शिकायत में कहा गया कि चुनावी बॉन्ड की योजना का इस्तेमाल राजनीतिक दलों द्वारा जबरन वसूली के लिए किया जा रहा था। इस शिकायत में केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, भाजपा के अन्य वरिष्ठ नेताओं, और ईडी अधिकारियों के खिलाफ आरोप लगाए गए थे। शिकायत में आरोप लगाया गया कि इन लोगों ने चुनावी बॉन्ड का गलत इस्तेमाल कर राजनीतिक दलों से धन उगाही की।

अदालत ने शिकायत पर संज्ञान लेते हुए बेंगलुरु के तिलक नगर पुलिस स्टेशन को मामले में एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है। अब पुलिस द्वारा इस मामले की जांच की जाएगी और इसमें शामिल सभी आरोपियों से पूछताछ की जाएगी। अदालत ने सुनवाई की अगली तारीख 10 अक्टूबर तय की है।

FIR Against Nirmala Sitharaman

हम सभी जानते हैं कि चुनावी बॉन्ड योजना 2018 में केंद्र सरकार द्वारा लाई गई थी, जिसका उद्देश्य राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे में पारदर्शिता लाना था, लेकिन यह काफी विवादित साबित हुआ। योजना में बॉन्ड खरीदने वाले व्यक्ति या संगठन की पहचान गुप्त रखने का प्रावधान था, जिसके कारण इस योजना की पारदर्शिता पर सवाल उठे।

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विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि इस योजना का इस्तेमाल सत्ता में बैठे दलों को लाभ पहुंचाने के लिए किया जा रहा है। इस मामले में याचिका सुप्रीम कोर्ट तक पहुंची और अदालत ने इलेक्टोरल बॉन्ड योजना पर रोक लगा दी। इसके बाद यह मुद्दा और भी ज्यादा विवादास्पद हो गया।

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बढ़ सकती हैं बीजेपी की मुश्किलें

और अब बेंगलुरु की अदालत का यह आदेश राजनीतिक रूप से भी बड़ा हड़कंप मचा सकता है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने से भाजपा के लिए राजनीतिक रूप से मुश्किलें बढ़ सकती हैं। इसके अलावा, विपक्षी दलों को इस मुद्दे को लेकर सरकार पर हमला करने का एक और मौका मिल गया है।

पहले भी इस योजना को लेकर विपक्षी दलों ने कई बार सरकार पर भ्रष्टाचार और धन उगाही के आरोप लगाए थे। अब जब अदालत ने एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है, तो यह मामला और भी तूल पकड़ सकता है। अदालत के आदेश के बाद पुलिस द्वारा की जाने वाली जांच पर सभी की नजरें टिकी रहेंगी। अगर जांच में कोई ठोस सबूत मिलता है, तो यह मामला बड़े राजनीतिक घोटाले का रूप ले सकता है।

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