Supreme Court comment regarding child pornography: चाइल्ड पोर्नोग्राफी मामले को लेकर एक मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट टिप्प्णी की है कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी से जुड़ी सामग्री डाऊनलोड करना और उसे अपने पास रखना अपराध है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब यह स्पष्ट हो गया है कि यदि किसी के मोबाइल ड्राइव या अन्य किसी भी डिजीटल साधन में चाइल्ड पोर्नोग्राफी से संबंधित कुछ भी प्राप्त होता है तो वह अपराधी होगा।
सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब हाल ही में एक चाइल्ड पोर्नोग्राफी मामले को लेकर मद्रास उच्च न्यायालय में सुनवाई के दौरान एक आरोपी को इस बिना पर आरोप मुक्त कर दिया था कि आरोपी ने चाइल्ड पोर्न सिर्फ अपने पास रखा था और उसे फॉरवर्ड नहीं किया था।
सुप्रीम कोर्ट की चाइल्ड पोर्नोग्राफी को लेकर टिप्पणी
कोर्ट ने चाइल्ड पोर्नोग्राफी मुद्दे को लेकर केंद्र सरकार को एक सलाह देते हुए कहा कि केंद्र सरकार इसमें एक अध्यादेश लेकर चाइल्ड पोर्नोग्राफी शब्द की जगह ‘चाइल्ड सेक्सुअली एब्युजिव एंड एक्सप्लॉयटेटिव मैटेरियल’ लिखने के लिए जल्द कानून तैयार करें।
Supreme Court says that mere storage of child pornographic material is an offence under the Protection of Children from Sexual Offences Act (POCSO Act).
Supreme Court suggests Parliament to bring a law amending the POCSO Act to replace the term “child pornography” with “Child… pic.twitter.com/mNwDXX88fb
— ANI (@ANI) September 23, 2024
इसके साथ ही अब यह साफ हो गया है कि बच्चों के साथ यौन अपराध से जुड़े वीडियो को सिर्फ डाउनलोड करना/ देखना / उसे अपने पास इलेक्ट्रॉनिक गजेट में रखना भी अपराध है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसे पॉक्सो एक्ट के सेक्शन 15 (1) के तहत अपराध माना जाएगा। सुप्रीम कोर्ट की उक्त टिपण्णी के बाद अब मद्रास उच्च न्यायालय का वह आदेश अब रद्द हो गया जिसमें कहा गया था कि बाल पोर्नोग्राफी देखना, डाउनलोड करना अपराध नहीं है।
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गौरतलब हो, मद्रास हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ एनजीओ जस्ट राइट फॉर चिल्ड्रन एलायंस ने सुप्रीम कोर्ट मे याचिका दाखिल की थी। उक्त मामले को लेकर 19 अप्रैल को मद्रास हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ दाखिल अपील पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, अब उक्त मामले में सोमवार (23 सितम्बर 2024) को फैसला सुनाते हुए मद्रास (Supreme Court comment regarding child pornography) उच्च न्यायालय के फैसले को बदल दिया है।