Supreme Court in UP 69000 teacher recruitment case: सुप्रीम कोर्ट ने इलहाबाद हाईकोर्ट के 69000 शिक्षकों की भर्ती मामले में सुनाए गए फैसले को फिलहाल रोक लगा दी है, सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला नौकरी कर रहें शिक्षकों के साथ साथ उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के लिए भी एक राहतभरी ख़बर है।
दरअसल पिछले दिनों इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश मे शिक्षकों की भर्ती को लेकर चयन प्रक्रिया को गैर संवैधानिक बताते हुए नियुक्तियों को रद्द करते हुए सरकार को 2019 की सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा के आधार पर तीन महीने के भीतर नई चयन सूची जारी करने का निर्देश दिया था, हाइकोर्ट का उक्त आदेश आने के बाद हजारों शिक्षकों की नौकरी में बने रहने में सवाल खड़े हो गए थे।
सुप्रीम कोर्ट ने फैसले को स्थगित किया
सुप्रीम कोर्ट में शिक्षक भर्ती विवाद में सुनवाई के बाद कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी, मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) ने कहा कि हाईकोर्ट का फैसला फिलहाल स्थगित रहेगा और अगली सुनवाई 25 सितंबर को होगी। इसके साथ ही सीजेआई ने उक्त मामले के सभी संबंधित पक्षों को लिखित दलीलें पेश करने का निर्देश दिए।
इसमें राज्य सरकार की ओर से भी भर्ती के संबंध में दलील दी जायेगी, इसके साथ ही हाईकोर्ट के फैसले के बाद अप्रत्यक्ष और प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित व्यक्ति भी अपनी बात कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करेगा। इलाहाबाद हाई ने पिछले दिनों आरक्षण नियमों का पालन न होने के आधार पर मेरिट लिस्ट रद्द करके नई लिस्ट जारी करने के राज्य सरकार को निर्देश दिए थे। इसका असर लगभग 19000 ऐसे लोगों पर पड़ सकता है, जो 4 साल से शिक्षक की नौकरी कर रहे हैं।
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हाइकोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया था कि कोई आरक्षित श्रेणी का अभ्यार्थी सामान्य कैटेगरी के बराबर मेरिट हासिल कर लेता है तो उसका सलेक्शन जनरल कैटगरी में ही माना चाहिए, न की उसकी नियुक्ति आरक्षित श्रेणी वर्ग में हो, HC के इस आदेश के चलते यूपी में बड़ी संख्या में नौकरी कर रहे (Supreme Court in UP 69000 teacher recruitment case) शिक्षकों पर नौकरी खोने का खतरा मंडराने लगा था।