संपादक, न्यूज़NORTH
Uttar Pradesh government introduces new policy for Social Media: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अब सोशल मीडिया को लेकर और गंभीर नजर आ रहे हैं। हाल में यूपी सरकार की कैबिनेट ने प्रदेश में सोशल मीडिया पर नियंत्रण के लिए एक नई नीति को मंजूरी दी है। इस नई नीति में सरकार ने कई सख्त नियमों को भी शामिल किया है, जिसके तहत तमाम सोशल मीडिया ऐप्स पर पोस्ट होने वाले कंटेंट की निगरानी बढ़ने की उम्मीद है। इतना ही नहीं बल्कि नियमों के उल्लंघन पर सख्त सजा का भी प्रावधान है।
असल में उत्तर प्रदेश में लाई जा रही इस नई सोशल मीडिया नीति के तहत Facebook से लेकर X, Instagram और YouTube समेत तमाम अन्य प्लेटफार्मों पर कंटेंट को नियंत्रित करमें और आपत्तिजनक कंटेंट पर सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करने के प्रावधान प्रमुखता से शामिल किए गए हैं।
यूपी की इस नई नीति के तहत सोशल मीडिया पर किसी भी तरह का देश-विरोधी कंटेंट पोस्ट करना अब गंभीर अपराध की श्रेणी में आएगा। ऐसे में अब इसके लिए 3 साल की जेल से लेकर उम्रकैद तक की सजा हो सकती है। ध्यान देने वाली बात ये है कि मौजूदा समय में भी ऐसे मामलों में कार्यवाई की जाती है, लेकिन वह आईटी एक्ट के तहत होती है।
Uttar Pradesh Introduces New Policy For Social Media
जी हाँ! अभी तक इस तरह के मामलों को सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66E और 66F के तहत ही कार्यवाई का प्रावधान रहा है। वहीं नई नीति में ऑनलाइन अश्लील कंटेंट आदि को लेकर भी सख्ती बरती गई है। ऐसे मामलों में आपराधिक मानहानि के तहत निपटारा किया जाएगा। देखनें वाली बात ये होगी कि एक बार लागू होने के बाद इस तरह के क़ानून के दुरुपयोग को भी कैसे रोका जा सकेगा?
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वैसे इस बीच नई नीति कमाई के साधन भी पेश करती है। डिजिटल प्लेटफार्मों के ज़रिए कमाई कर सकने के प्रावधानों को भी इसमें शामिल किया गया है। इस नीति के तहत सरकार V Form डिजिटल एजेंसी को सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर विज्ञापनों का ज़िम्मा दिया है। इसमें सरकार की योजनाओं का प्रचार-प्रसार शामिल होगा।
योजनाओं का प्रचार करने के तहत, नई नीति में सोशल मीडिया पर सक्रिय इन्फ्लुएंसर्स आदि के लिए X, Facebook और Instagram पर क्रमशः ₹5 लाख, ₹4 लाख और ₹3 लाख तक काम सकेंने का प्रावधान शामिल है। बात YouTube की करें तो वीडियो से लेकर शॉर्ट्स और पॉडकास्ट तक के ज़रिए ₹4 लाख से लेकर ₹8 लाख तक कमाए जा सकते हैं। यह संभवतः मासिक सीमा होगी।
फिलहाल यह पॉलिसी अब चर्चा का विषय बन चुकी है। लोग इसको लेकर पक्ष-विपक्ष दोनों तरह की राय व्यक्त करते दिखाई दे रहे हैं। कुछ लोगों का कहना है कि यह उत्तर प्रदेश द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के उपयोग को सुरक्षित और जवाबदेह बनाने की दिशा में एक सशक्त कदम है तो वहीं कुछ इसे सरकार के प्रचार तंत्र के लिए नए टूल और विरोध को दबा सकने वाले नियमों के रूप में संदर्भित करते नजर आ रहे हैं।