annual income above ₹50,000 not get free water: हिमाचल प्रदेश की सुखविंद्र सिंह सुक्खू सरकार ने राज्य में पानी में रियायत कम करने और राजस्व की बढ़ोतरी के लिए एक कठोर कदम उठाया है, जिसे गरीब परिवारों के ऊपर आर्थिक वजन पड़ना लाजमी है।
पिछले महीने पानी के बिल में कंपनियों द्वारा 10% तक की वृद्धि के प्रस्ताव को मंजूरी के बाद सुक्कू कैबिनेट ने ग्रामीण क्षेत्रों के नागरिकों को पानी में रियायत देने में रोक लगा दी है, हिमाचल सरकार ने एक फैसले में ग्रामीण क्षेत्रों में भी ₹50,000 से अधिक वार्षिक आय वाले नागरिकों से ₹100 मासिक पानी शुल्क लेने का फैसला लिया है। जबकि आपको बता दे, पचास हजार वार्षिक आय में मासिक आय चार हजार के करीब आय पड़ती है,जो गरीब परिवारों के अंतर्गत आता है। सरकार के ग्रामीण क्षेत्रों में पानी के बिल के बाद ग्रामीण क्षेत्रों के गरीब परिवारों में आर्थिक वजन पड़ना लाजमी है।
व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को भी किलोलीटर के हिसाब से भुगतान
सुक्खू सरकार के एक और अन्य फैसले में ग्रामीण क्षेत्रों के व्यावसायिक प्रतिष्ठानों जैसे कि, होटल, स्टे होम, जहां भी पानी का व्यवासिक उपयोग किया जाता है, वह सरकार पानी का भुगतान किलोलीटर के हिसाब से लेंगी। ऐसे प्रतिष्ठानों को जलापूर्ति के लिए वाणिज्यिक दरों पर बिल जारी किया जाएगा। सरकार का यह फैसला राजस्व बढ़ाने और रियायतों में कमी करने के लिया गया है।
ग्रामीण क्षेत्रों में जल कर में वृद्धि को लेकर राज्य के मुख्यमंत्री सुक्खू ने एक बयान में कहा है कि,
‘‘पचास हजार रुपये से अधिक वार्षिक आय वाले घरेलू उपभोक्ताओं को पानी के बिल के तौर पर 100 रुपये प्रतिमाह का भुगतान करना होगा, जबकि होटल जैसे व्यावसायिक प्रतिष्ठानों से प्रति किलोलीटर के हिसाब से शुल्क लिया जाएगा तथा इस धनराशि का उपयोग पेयजल की गुणवत्ता सुधारने में किया जाएगा।’’
इन्हें मिलता रहेगा मुफ्त पानी
राज्य सरकार ने हालांकि अपने मुफ़्त पानी योजना में अभी भी कुछ लोगों के लिए रियायत देना जारी रखा है, राज्य सरकार के अनुसार विधवाओं, निराश्रितों, अकेली महिला, दिव्यांग जनों और अन्य कमजोर वर्गों सहित कुछ वंचित वर्गों के लिए मुफ्त पानी की सुविधा पूर्व के जैसे ही मुहैया करवाई जायेगी।
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गौरतलब हो, पिछली भाजपा सरकार ने राज्य में ग्रामीण क्षेत्रों में फ्री पानी देने का फैसला लिया था, पूर्ववती सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में फ्री पानी योजना की शुरुआत 2022 से की थी, जिसे तत्कालीन सरकार ने अब बंद करने का फैसला लिया है। सरकार के अधिकारी के अनुसार, मुफ्त जलापूर्ति के कारण करीब जन शक्ति विभाग को करीब 800 करोड़ रुपये का राजस्व घाटा (annual income above ₹50,000 not get free water) हो रहा है।