संपादक, न्यूज़NORTH
Supreme Court Verdict On Muslim Women Divorce: देश की सर्वोच्च अदालत ने आज तलाक को लेकर मुस्लिम महिलाओं के हक में एक बड़ा फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने CrPC की धारा 125 के तहत यह निर्णय सुनाया है कि तलाक के बाद मुस्लिम महिलाएं भी अपने पति से गुजारा भत्ता लेने की हकदार हैं। और उन्हें भी इस संबंध में याचिका दायर करने का अधिकार है।
यह फैसला सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान दिया है। असल में इस मामले के तहत एक मुस्लिम शख्स ने अपनी तलाकशुदा पत्नी को भत्ते के रूप में ₹10,000 की राशि दिए जाने के हाईकोर्ट के आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी। इसी मामले की सुनवाई के चलते सुप्रीम कोर्ट ने अब यह बड़ा फैसला सुनाया है।
Supreme Court Verdict On Muslim Women Divorce
आपको बता दें शीर्ष अदालत में इस मामले की सुनवाई जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने की और दोनों ने ही अलग-अलग लेकिन एकमत से यह निर्णय दिया। असल में जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने बुधवार को उस मुस्लिम व्यक्ति की याचिका को खारिज करते हुए यह फैसला दिया है।
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अदालत की ओर से साफ किया गया है कि देश में धारा 125 CrPC के तहत सभी महिलाओं को समान हक मिलता है। अदालत का कहना रहा कि अगर किसी मुस्लिम महिला को धारा 125 CrPC के तहत आवेदन के दौरान तलाक दे दिया जाता है, तो वह मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 के तहत अपील कर सकती है।
इस संबंध में 2019 अधिनियम धारा 125 सीआरपीसी के अतिरिक्त उपाय प्रदान करती है। इसके पहले फैमिली कोर्ट के इस आदेश को तेलंगाना हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। जहां कहा गया कि दोनों ने वढ़स 2017 में मुस्लिम पर्सनल लॉ के अनुसार तलाक ले लिया था।
इसके पहले 2013 में फैमिली कोर्ट के उस आदेश को बहाल कर दिया, जिसमें एक तलाकशुदा मुस्लिम महिला को भरण-पोषण के लिए सीआरपीसी की धारा 125 याचिका को बनाए रखने का हकदार माना गया था।
आपको याद दिला दें, साल 1985 का मशहूर शाहबानो केस भी इस मामले को देख लोगों के ज़हन में आ रहा है, जिसको लेकर सुप्रीम कोर्ट लगातार अपने फैसलों में यह कहता आ रहा है कि तलाक लेने वाली मुस्लिम महिलाएं भरण पोषण की हकदार हैं। हालाँकि शाहबानो फैसले को सरकार ने पलट दिया था, पर इसके बाद ट्रिपल तलाक के फैसले के दौरान अदालत ने फिर इस मामले में महिला के भरण पोषण को लेकर रूख स्पष्ट किया था।