संपादक, न्यूज़NORTH
Asteroid Hitting Earth Real Possibility, Says ISRO Chief: विश्व क्षुद्रग्रह दिवस के मौके पर आयोजित एक वर्कशॉप के दौरान भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ISRO के प्रमुख एस सोमनाथ ने एस्टेरॉयड के संभावित ख़तरों का जिक्र करते हुए कई अहम बातें कहीं हैं। उन्होंने साफ किया कि पृथ्वी को बचाए रखने के लिए इसका एस्टेरॉयड्स (क्षुद्रग्रहों) से बचाव करना बेहद आवश्यक है और सभी को इस दिशा में थोड़ी तैयारी करनी चाहिए।
असल में हम देखते भी आ रहे हैं कि दुनिया भर की ताम अंतरिक्ष एजेंसियां पृथ्वी को क्षुद्रग्रहों से बचाने के लिए ‘रक्षा क्षमताओं’ के निर्माण को लेकर गंभीर रही हैं और इसे मात्र एक काल्पनिक ख़तरे के बजाए, संभावित वास्तविक चुनौती के रूप में लिया जाने लगा है। और अब ऐसा लगता है कि ISRO भी इन कोशिशों में कदम बढ़ाते हुए, पृथ्वी को क्षुद्रग्रहों से बचाने की जिम्मेदारी लेते हुए प्रयास शुरू कर सकता है।
ISRO Chief On Asteroid Hitting Earth Possibility
वर्कशॉप में अपने सम्बोधन के दौरान ISRO प्रमुख ने स्पष्ट रूप से कहा कि भले ही ये क्षुद्रग्रह मिसाइलों, बंदूकों या लेज़र बीम की तरह हम पर हमला नहीं करेंगे, लेकिन ये आकर ग्रह से टकरा सकते हैं और खतरनाक साबित हो सकते हैं। उन्होंने साफ किया कि क्षुद्रग्रहों का पृथ्वी से टकराना एक संभावित वास्तविकता हो सकती है।
इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि कोई भी एक देश अकेले ही पृथ्वी को क्षुद्रग्रहों से बचाने के उपाय नहीं कर सकता। ऐसे मकसद के लिए दुनिया भर के देशों और संबंधित एजेंसियों को मिल्कर संयुक्त प्रयास करना होगा?
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एस सोमनाथ ने यह भी साफ किया कि स्पेस रिसर्च को लेकर तत्पर रहने वाले देश के रूप में भारत भी इस दिशा में प्रयास करने को लेकर बहुत उत्सुक है और पृथ्वी को किसी भी प्रकार की संभावित आपदा से बचाने के लिए यह आवश्यक है कि इन विषयों पर चर्चाऐं की जाएं। उन्होंने कहा:
”हमारा जीवनकाल 70-80 साल का होता है और हम अपने समय में ऐसी कोई आपदा नहीं देखते हैं शायद इसलिए यह मान लेते हैं कि ऐसा होना संभव नहीं है। लेकिन अगर अगर आप दुनिया और ब्रह्मांड के इतिहास को देखेंगे तो ग्रहों पर क्षुद्रग्रह के पहुंचने की घटना आम सी दिखती है।”
“मैंने गुरुवार से टकराने वाले क्षुद्रग्रह को शूमेकर-लेवी से टकराते देखा है। अगर पृथ्वी पर ऐसी कोई घटना होती है तो हम सभी विलुप्त हो जाएंगे। ये वास्तविक संभावनाएं हैं और हमें इससे बचाव के लिए तैयार रहना होगा।”
इस दौरान उन्होंने क्षुद्रग्रहों से ग्रह के बचाव के तरीकों जैसे उन्हें विक्षेपित करना या पृथ्वी के निकट आने वाले क्षुद्रग्रह का पता लगा सकते हैं और उसे दूर ले जाने का भी जिक्र किया, लेकिन यह भी कहा कि कई बार यह असंभव भी हो सकता है। ऐसे में उन्होंने बेहतर तकनीक विकसित करने की ज़रूरत पर जोर दिया।