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खुदाई में मिली दुर्लभ पीतल की धातु की तोप, वजन इतना की लोग हुए हैरान!

खुदाई में मिली दुर्लभ पीतल की धातु की तोप, वजन इतना की लोग हुए हैरान!

  • खजुराहों में खुदाई के दौरान मिली दुर्लभ 40 से 50 किलो वजनी पीतल की तोप.
  • चंदेल कालीन राजाओं के समय की बताई जा रही तोप.

Brass cannon found in excavation: मध्यप्रदेश का खजुराहों अपने पुरात्विक और ऐतिहासिक महत्व के लिए दुनियाभर में विख्यात है, छतरपुर जिले के खजुराहों में स्थित मंदिर, महलों और कलाकृतियों को देखने के लिए देश सहित विदेशों से भी पर्यटक पहुंचते है। इसी कारण मध्यप्रदेश का यह क्षेत्र पर्यटन की दृष्टि से पूरे प्रदेश में विशेष स्थान रखता है।

इसी क्रम में निकलकर आई जानकारी के मुताबिक़, मध्यप्रदेश में पुरातात्विक और सांस्कृतिक विरासत के इस क्षेत्र में खुदाई के दौरान 50 किलो वजनी पीतल धातु से बनी दुर्लभ और बेशकीमती तोप प्राप्त हुई है।

तालाब में खुदाई के दौरान प्राप्त हुई तोप

इन दिनों खजुराहो के आसपास चंदेल कालीन राजाओं के द्वारा निर्मित तालाबों का गहरीकरण का कार्य प्रशासन द्वारा करवाया जा रहा है। खजुराहो मध्यप्रदेश का एक ऐसा क्षेत्र है, जहा हमेशा ही कुछ न कुछ दुर्लभ और बेशकीमती पुरानी वस्तुएं खुदाई या अन्य तरीकों से प्राप्त होती आई है, कई बार दुर्लभ धातुओं से निर्मित मूर्तिया या गहने खुदाई में यह प्राप्त हुए है।

अब एक बार फिर चंदेल राजाओं के समय के तालाबों के गहरीकरण कार्य करते समय खजुराहो के चंदेल कालीन रत्नसागर में पीतल धातु से बना 40- 50 किलो वजनी तोप प्राप्त हुआ है।

खुदाई से मिला यह तोप देखने में एक हेडपंप के अंदर के भाग के सामान प्रतीत होता है, जिसका वजन अनुमानत 40 से 50 किलो के बीच बताया जा रहा है, सुरक्षा की दृष्टि से फिलहाल इसे स्थानीय पार्षद के घर में रखा गया है, जिसे जल्द ही प्रशासन के सुपुर्द कर दिया जायेगा।

गौरतलब हो, मध्यप्रदेश का विख्यात पर्यटन स्थल खजुराहो में चन्देल वंश ने कई वर्षो तक राज्य किया, खजुराहो के संस्थापक और चंदेल वंश के पहले राजा चन्द्रवर्मन थे। चन्द्रवर्मन ने मध्यकाल में बुंदेलखंड में शासन  किया था, वे अपने आप को (Brass cannon found in excavation) चन्द्रवंशी मानते थे।

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चन्द्रवर्मन से शुरू हुआ चंदेल वंश ने दसवीं से बारहवीं शताब्दी तक मध्य भारत में शासन किया। इन्हीं चंदेल राजाओं ने खजुराहों में विश्व प्रसिद्ध मंदिरों का निर्माण 950 ईसवीं से 1050 ईसवीं के बीच कराया था।

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