Governor orders police to vacate Raj Bhavan: लोकसभा चुनावों के बाद पश्चिम बंगाल में लगातर हिंसा की घटनाएं सामने आ रही है, भाजपा का आरोप है टीएमसी समर्थक बीजेपी के कार्यकर्ताओं और भाजपा समर्थकों से चुनाव में भाजपा के लिए काम करने का बदला ले रहें है, उनके ऊपर हमले किए जा रहें है।
वही इस बात को टीएमसी और राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सिरे से नकार रही है, इस बीच राज्य के राज्यपाल सीवी आनंद बोस के एक फैसला ने देशभर में सुर्खिया बटौरा है।
दरअसल बंगाल के गवर्नर सीवी आनंद बोस ने सोमवार (17 जून, 2024) की सुबह राजभवन में तैनात कोलकाता पुलिस के कर्मियों को तत्काल परिसर खाली करने का आदेश दिया, इस आदेश की पुष्टि राज्य के एक अधिकारी ने की है।
बंगाल के वरिष्ठ अधिकारी ने समाचार एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए बताया कि, बोस राजभवन के उत्तरी द्वार के पास स्थित पुलिस चौकी को ‘जन मंच’ में बदलने की योजना बना रहे हैं।
Bengal Governor C V Ananda Bose orders on-duty personnel of Kolkata Police to immediately vacate Raj Bhavan premises: Official
— Press Trust of India (@PTI_News) June 17, 2024
साथ ही उन्होंने बताया कि, बंगाल गवर्नर बोस ने अपने एक आदेश में
“प्रभारी अधिकारी सहित राजभवन के अंदर तैनात पुलिस अधिकारियों को तत्काल परिसर खाली करने का आदेश दिया है।”
क्यों किया ऐसा आदेश जारी?
राज्यभवन में लगें सुरक्षा अधिकारी और प्रभारी अधिकारी के ऊपर आरोप लगे है कि उनके द्वारा राज्यपाल के आदेशों का पालन नहीं किया गया है। दरअसल बीजेपी के नेता शुभेंदु अधिकारी और राज्य में चुनाव के बाद हुई हिंसा के कथित पीड़ितों को बोस से मिलने के लिए राजभवन में प्रवेश करने से रोक दिया गया था जबकि उनके पास राज्यपाल से मुलाकात करने की लिखित अनुमति स्वयं राजपाल के द्वारा प्रदान की गई थी। राज्यपाल का नया आदेश इसी कथित घटना के बाद लिया गया एक्शन बताया (Governor orders police to vacate Raj Bhavan) जा रहा है।
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गौरतलब हो, राज्यभवन में तैनात पुलिस ने गुरुवार को सीआरपीसी की धारा 144 का हवाला देते हुए अधिकारी को चुनाव बाद की हिंसा के कथित पीड़ितों के साथ राजभवन में प्रवेश करने से रोक दिया, जिसके तहत राज्यपाल भवन के बाहर बड़ी संख्या में लोगों के एकत्र होने पर रोक है। जिसके बाद यह बात उठने लगी थी कि जब राज्यपाल के लिखत आदेश में मिलने की अनुमति प्रदान की गई थी तो पुलिस कर्मियों ने लोगों को राज्यपाल से मिलने से क्यों रोका। इस मामले में पीड़ितों ने कलकत्ता हाईकोर्ट की ओर रुख किया था।