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जानलेवा गर्मी को देखते हुए हाईकोर्ट ने सरकार से की ‘नेशनल इमरजेंसी’ घोषित करने की अपील

जानलेवा गर्मी को देखते हुए हाईकोर्ट ने सरकार से की ‘नेशनल इमरजेंसी’ घोषित करने की अपील

  • राजस्थान हाई कोर्ट ने राजस्थान सरकार को गर्मी से मरने वाले लोगों के आश्रित परिवारजनों को मुआवजा देने का निर्देश दिया.
  • गर्मी और शीतलहर को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की आवश्यकता-राजस्थान हाईकोर्ट
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High Court should declare extreme heat as a national disaster: देशभर में भीषण गर्मी के चलते मरने वालों की संख्या में लगातार इज़ाफ़ा हो रहा है,राजस्थान, ओडिशा, दिल्ली जैसे राज्यों में हीट वेव और लू से मरने वालो की संख्या लगातार बढ़ रही है।

जहा मौसम विभाग लगातार चेतावनी जारी करते हुए देश में लोगों से अपील करते हुए दोपहर में जरूरत न होने पर घर से न निकलने की सलाह दे रहा है तो वही देश के अलग अलग राज्यों की सरकार भी इस भीषण गर्मी के प्रकोप से बचने का तरीके में काम कर रही है। इस बीच राजस्थान हाई कोर्ट ने राजस्थान सरकार को गर्मी से मरने वाले लोगों के आश्रित परिवारजनों को मुआवजा देने का निर्देश दिया है।

गर्मी और शीतलहर को राष्ट्रीय आपदा घोषित किया जाए

राजस्थान हाईकोर्ट ने गर्मी से मरने वाले लोगों को उचित मुआवजा देने के साथ अपनी टिपण्णी में कहा कि, गर्मी और शीतलहर को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की आवश्यकता है।

‘हीट एक्शन प्लान’ का क्रियान्वयन ठीक से नहीं हुआ

कोर्ट ने राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की सलाह और अगुवाई में ‘हीट एक्शन प्लान’ का जिक्र करते हुए कहा कि, यह सब होने के बाद भी इसे ठीक ढंग से क्रियान्वन नही किया गया। योजनाओं के मसौदे तैयार करने के बावजूद वेलफेयर स्टेट की ओर से आम जनता के हित में उन्हें ऐसी भीषण (High Court should declare extreme heat as a national disaster) गर्मी से बचाने के लिए प्रभावी कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।

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कोर्ट ने गर्मी और शीत लहर को लेकर क्या टिप्पणी की?

राजस्थान हाईकोर्ट ने गर्मी की वजह से मारे गए लोगों को लेकर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि, आंकड़े को देखा जाए तो गर्मियों में अधिक गर्मी के अलावा लू लगने और सर्दियों में कड़ाके की ठंड के कारण बड़ी संख्या में लोगों की जान जा चुकी है, ऐसे में सरकार को चाहिए की वह उचित कानून बनाएं और गर्मी और शीत लहरों के कारण होने वाली मौतों की रोकथाम के लिए लाए गए विधेयक 2015 के तहत एक वैधानिक अधिनियम बनाएं।

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