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पुलिस नहीं करेगी ‘जुर्म’, ‘कत्ल’, ‘गिरफ्तार’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल, हटाए जाएंगे 69 उर्दू और फारसी शब्द

पुलिस नहीं करेगी ‘जुर्म’, ‘कत्ल’, ‘गिरफ्तार’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल, हटाए जाएंगे 69 उर्दू और फारसी शब्द

  • पुलिस FIR में नहीं दिखेंगे जुर्म, कत्ल और गिरफ्तार जैसे शब्द
  • डिक्शनरी से हटाए जाएंगे उर्दू और फारसी के लगभग 69 शब्द
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69 Urdu Persian Words To Be Removed From Police Dictionary: मध्य प्रदेश में अब पुलिस तमाम उर्दू और फारसी शब्दों के इस्तेमाल से बचती दिखाई देगी। ऐसा इसलिए क्योंकि राज्य सरकार ने पुलिस विभाग को कई उर्दू और फारसी शब्दों को न इस्तेमाल करते हुए, उनके स्थान पर हिंदी शब्दों का उपयोग करने के निर्देश दिए हैं।

जी हाँ! सामने आ रही जानकारी के अनुसार, मध्य प्रदेश में अब एफआईआर लिखते समय पुलिस उर्दू और फारसी के शब्दों का उपयोग नहीं करेगी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, राज्य में क्राइम इंवेस्टिगेशन के एडीजी ने तमाम संबंधित अधिकारियों और राज्य की सभी पुलिस इकाईयों को उर्दू और फारसी के लगभग 69 शब्दों की एक सूची भेजी है। इस लिस्ट के साथ ही यह निर्देश दिए गए हैं कि इन शब्दों के स्थान पर हिंदी शब्दों के अधिक से अधिक इस्तेमाल पर जोर दिए जाए।

Police Removed 69 Urdu Words?

असल में अभी तक पुलिस अपने कामकाज को लेकर सामान्य शब्दावली के तहत जुर्म, कत्ल, हस्ब जेल, अदालत, हमराह, दस्तयाब, आमद, इस्तगासा, तफ्तीश, इरादतन, गैर इरादतन, गिरफ्तार, हलफनामा, तामील, मुलजिम, मुजरिम, गवाह, बयान, खैरियत, माकूल जैसे विभिन्न उर्दू और फारसी शब्दों का उपयोग करती चली आ रही है। लेकिन अब जल्द ही इन शब्दों की जगह हिंदी शब्दों के चलन शुरू होगा।

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उदाहरण के लिए शब्दों के इस्तेमाल में कुछ इस प्रकार परिवर्तन देखनें को मिलेंगे,

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उर्दू और फारसी की जगह अब इन हिंदी शब्दों का होगा इस्तेमाल

  1. कैदखाना की जगह बंदी गृह
  2. अदालत की जगह न्यायालय
  3. जाप्ता फौजदारी की जगह दंड प्रक्रिया संहिता
  4. ताजिरात-ए-हिंद की जगह भारतीय दंड संहिता
  5. हाजिर/गैरहाजिर की जगह उपस्थित/अनुपस्थित
  6. तहरीर की जगह लिखित/लेखीय विवरण
  7. तफ्तीश/तहकीकात की जगह अनुसंधान/जांच
  8. इस्तगासा की जगह दावा, परिवाद
  9. कब्जा की जगह आधिपत्य
  10. इरादतन की जगह साशय
  11. चश्मदीद/गवाह की जगह प्रत्यक्षदर्शी, साक्षी
  12. कत्ल/कातिल/कतिलाना की जगह हत्या,वध/हत्यारा/प्राणघातक
  13. गिरफ्तार/हिरासत की जगह अभिरक्षा
  14. गुजारिश की जगह प्रार्थना, निवेदन
  15. नकबजनी की जगह गृहभेदन, सेंधमारी
  16. बयान की जगह कथन
  17. हलफनामा की जगह शपथ पत्र
  18. फरियादी की जगह आवेदक, शिकायतकर्ता
  19. फैसला की जगह निर्णय
  20. फौत की जगह मृत्यु
  21. मुकीम की जगह रुकना, ठहरना
  22. सजा/बरी की जगह दोषसिद्ध/दोषमुक्त
  23. माकूल की जगह उचित
  24. मुल्जिम/मुजरिम की जगह आरोपी/अपराधी
  25. जुर्म, (जरायम) दफा की जगह अपराध, धारा
  26. इजाफा की जगह वृद्धि, बढ़ाना
  27. आमद/रवाना की जगह रवानगी आगमन, प्रस्थान
  28. कायमी की जगह पंजीयन
  29. अदम चैक की जगह असंज्ञेय, पुलिस हस्तक्षेप अयोग्य अपराध की सूचना
  30. इत्तिला/इत्तिलान की जगह सूचना/सूचनार्थ इमरोजा : आज दिनांक
  31. कैफीयत/मजनून/तफसील की जगह विवरण, विस्तृत विवरण
  32. इमदाद की जगह मदद सहायता
  33. तामील/अदम तामील की जगह सूचना/सूचित न होना
  34. खारिज/खारिजी की जगह रद्द निरस्त/निरस्तीकरण
  35. म्याद की जगह समय सीमा, अवधि
  36. खैरियत की जगह कुशलता
  37. खून आलूदा की जगह रक्त रंजित, रक्त से सना हुआ
  38. गवाह/गवाहन की जगह साक्षी/साक्षीगण
  39. जमानत/मुचलका की जगह प्रतिभूति/बंध पत्र
  40. जप्त की जगह अभिग्रहण, अधिग्रहण
  41. जख्म/जख्मी/मजरूब की जगह चोट, घाव/घायल, आहत
  42. ताकीद/हिदायत की जगह चेतावनी, समझाइश
  43. तफ्तीश कुनिंदा की जगह विवेचक, अनुसंधानकर्ता, अन्वेषक
  44. जरिए की जगह माध्यम
  45. तहत की जगह अंतर्गत
  46. दीगर की जगह अन्य दूसरा
  47. मौका-ए-वारदात की जगह घटनास्थल
  48. नजीर की जगह दृष्टांत
  49. परवाना की जगह परिपत्र, अधिपत्र
  50. थाना हाजा की जगह आरक्षी केंद्र पर उपस्थित
  51. तब्दील की जगह परिवर्तित, परिवर्तन
  52. मशरुका की जगह संपत्ति मुतफर्रिक की जगह विविध
  53. दस्तावेज की जगह प्रपत्र अभिलेख
  54. दस्तयाब की जगह खोज लेना, बरामद
  55. मर्ग की जगह अकाल मृत्यु
  56. मंजूरशुदा की जगह स्वीकृत
  57. आला जरब/आला जरर/आला ए कत्ल की जगह घटना, अपराध या हत्या में प्रयुक्त हथियार
  58. हस्ब जेल की जगह उपरोक्तानुसार, के अनुसार
  59. गोशवारा की जगह नक्शा
  60. शिनाख्त की जगह पहचान सहवन की जगह भूलवश, त्रुटिवश
  61. दस्तंदाजी/अदम दस्तंदाजी की जगह संज्ञेय/असंज्ञेय
  62. सकुनत/साकिन की जगह पता/निवास
  63. सबूत की जगह साक्ष्य, प्रमाण
  64. संगीन की जगह गंभीर
  65. हमराह की जगह साथ में
  66. हिकमत अमली की जगह विवेकानुसार आदि

असल में इन शब्दों को बदलने के पीछे कई संभावित तर्क दिए जा रहे हैं। कुछ लोगों का कहना है कि साल 1896 से ही पुलिस विभाग में इन उर्दू और फारसी शब्दों का इस्तेमाल चला आ रहा है। लेकिन कई ऐसे शब्द हैं, जो बोल चाल की भाषा में हिंदी के शब्द नहीं है और यह सबक़ों समझ में भी नहीं आते। इसलिए इन्हें बदलना ज़रूरी है।

वैसे इसके पहले जनवरी 2022 में मध्य प्रदेश के तत्कालीन गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने भी पुलिस की लिखित कार्रवाई से उर्दू और फारसी शब्दों के उपयोग को हटाकर हिंदी शब्दों के इस्तेमाल को बढ़ावा देने का समर्थन किया था।

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